DAP की जगह किसान करें इस खाद का इस्तेमाल, बहुत जल्द बढ़ जाएगी फसल की पैदावार, पैसों की भी बचत
किसान एक एकड़ में एक बोरी एनपीके ग्रोमोर का छिड़काव कर सकते हैं. इससे अच्छी पैदावार मिलेगी. वहीं यूरिया की जगह नैनो यूरिया को बढ़ावा दिया जा रहा है. खास बात यह है कि नैनो यूरिया लिक्विट फॉम में होता है. यह 500 ग्राम की बोतल में आता है. सरकार का ऐसा दावा है कि यह यूरिया के मुकाबले सस्ता और ज्यादा असरदार भी है.

रबी फसलों की बुवाई के साथ ही डीएपी और यूरिया खाद की मांग बढ़ गई है. कई राज्यों में तो खासकर डीएपी की किल्लत की भी खबरें आर रही हैं. खाद खरीदने के लिए किसानों को दुकान के बाहर घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. लेकिन इसके बावजूद भी किसानों को प्रयाप्त मात्रा में खाद नहीं मिल पा रही है. लेकिन अब किसानों को डीएपी और यूरिया की किल्लत को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है. एक्सपर्ट का कहना है कि किसान डीएपी और यूरिया की जगह दूसरे विकल्पों का भी चयन करत सकते हैं. इससे फसल की उपज पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बल्कि पैदावार पहले से ज्यादा बढ़ जाएगी.
ऐसे भी केंद्र सरकार डीएपी और यूरिया की किल्लत को खत्म करने के लिए खाद के अन्य विकल्पों को बढ़ावा दे रही है. वह डीएपी खाद के विकल्प के रूप में एनपीके ग्रोमोर और नैनो यूरिया को बढ़ावा दे रही है. पढ़े-लिखे किसान बड़े स्तर पर फसलों में एनपीके ग्रोमोर और नैनो यूरिया का इस्तेमाल भी कर रहे हैं. लेकिन पारंपरिक तरीके से खेती करने वाले किसान अभी भी एनपीके ग्रोमोर और नैनो यूरिया को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं. उनके मन में आशंका है कि इनके इस्तेमाल से पैदावार पर असर पड़ेगा, लेकिन ऐसी बात नहीं है.
पैदावार में नहीं आएगी कोई गिरावट
कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि डीएपी और यूरिया की किल्लत को दूर करने के लिए मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में सरकार किसानों को एनपीके ग्रोमोर और सिंगल सुपर फॉस्फेट खाद खरीदने के लिए प्रेरित कर रही है. क्योंकि नपीके ग्रोमोर और सिंगल सुपर फॉस्फेट भी डीएपी तरह की काम करता है. ये दोनों खाद भी फसलों के लिए उतने ही फायदेमंद है, जितना कि डीएपी. अगर किसान इसका इस्तेमाल करते हैं, तो पैदावार में कोई गिरावट नहीं आएगी, बल्कि उत्पादन बढ़ जाएगा.
80 फीसदी यूरिया हो जाता है बर्बाद
किसान एक एकड़ में एक बोरी एनपीके ग्रोमोर का छिड़काव कर सकते हैं. इससे अच्छी पैदावार मिलेगी. वहीं यूरिया की जगह नैनो यूरिया को बढ़ावा दिया जा रहा है. खास बात यह है कि नैनो यूरिया लिक्विट फॉम में होता है. यह 500 ग्राम की बोतल में आता है. सरकार का ऐसा दावा है कि यह यूरिया के मुकाबले सस्ता और ज्यादा असरदार भी है. क्योंकि खेत में पारंपरिक यूरिया का छिड़काव करने पर केवल 20 फीसदी ही उर्वरक पौधों तक पहुंच पाते हैं, जबिक बाकि के 80 फीसदी खाद बर्बाद हो जाती है.
30 से 35 दिन बाद ही खेत में डालें खाद
वहीं, नैनो यूरिया को फसलों के ऊपर स्प्रे किया जाता है. इसलिए पत्तियां फर्टिलाइजर को पूरी तरह से अवशोषित कर लेती हैं. इससे फसल का विकास तेजी से होता है. एक्सपर्ट की माने तो नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का इस्तेमाल तुरंत नहीं करना चाहिए. फसल बोने के 30 से 35 दिन बाद ही खेत में इसका स्प्रे करना चाहिए.
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