उत्तर प्रदेश में आम किसानों को कीट हमले की चेतावनी, बारिश और ओलावृष्टि के बाद बढ़ा खतरा

उत्तर प्रदेश के आम उत्पादकों के सामने एक नई चुनौती खड़ी हो गई है. हाल की बारिश और ओलावृष्टि के बाद अब फसलों पर एक और संकट मंडरा रहा है. विशेषज्ञों की चेतावनी और किसानों की चिंता को लेकर एक अहम खबर सामने आई है, जिसे जानना हर किसान के लिए जरूरी है.

आम किसान सावधान! Image Credit: FreePik

उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुई बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं के बाद आम की फसल पर कीटों के हमले का खतरा बढ़ गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम में आई आर्द्रता के चलते कई इलाकों में फल-मक्खियों और अन्य कीटों की सक्रियता तेज हो सकती है. किसानों को समय रहते सतर्क रहने और उचित प्रबंधन अपनाने की सलाह दी गई है.

आईसीएआर-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक टी. दामोदरन ने कहा कि बारिश के बाद बने आर्द्र माहौल के कारण कीटों का प्रकोप बढ़ सकता है, हालांकि इससे पूरे राज्य की फसल पर असर नहीं पड़ेगा, कुछ इलाकों पर ही ये खतरा है. उन्होंने कहा, “फल-मक्खियों की संख्या मिट्टी और वातावरण में नमी के कारण तेजी से बढ़ती है. अगर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो यह पूरी फसल को प्रभावित कर सकती हैं.”

कैसे बचाएं अपने फसल को?

दामोदरन ने कीट नियंत्रण के लिए ‘मिथाइल यूजेनॉल ट्रैप’ को कारगर और पर्यावरण के अनुकूल तरीका बताया. ये ट्रैप बाजार में उपलब्ध हैं और इन्हें आम के पेड़ की छतरी के अंदर अर्ध-छायादार हिस्सों में 1.5 से 2 मीटर की ऊंचाई पर टांगा जा सकता है.

इसके अलावा, गुड़ आधारित जहरीले चारे का भी उपयोग प्रभावी माना गया है. यह चारा 20 ग्राम गुड़, 100 भाग पानी और 1 मिली प्रति लीटर कीटनाशक (जैसे मैलाथियान 50 ईसी) मिलाकर तैयार किया जाता है. इसका छिड़काव पेड़ के तने, निचली शाखाओं और पत्तियों पर किया जाना चाहिए, सुबह या देर दोपहर के समय, ताकि यह अधिक प्रभावी हो.

अन्य विकल्पों में इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल, थियामेथोक्सम 25% डब्ल्यूजी, लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 5% ईसी या टॉलफेनपाइरैड 15% ईसी शामिल हैं, जिनका उपयोग सावधानीपूर्वक और निर्धारित मात्रा में किया जाना चाहिए.

राज्य में देश के कुल उत्पादन का एक तिहाई आम

उत्तर प्रदेश देश के कुल 2.4 करोड़ टन आम उत्पादन में लगभग एक तिहाई योगदान देता है. दशहरी, लंगड़ा, चौसा और आम्रपाली यहां की प्रमुख किस्में हैं. बिजनौर, सहारनपुर और लखनऊ जैसे इलाके प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं, जहां बुधवार को तेज बारिश और हवाएं दर्ज की गईं.

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उत्तर प्रदेश में आम की तुड़ाई जून से शुरू होनी है. विशेषज्ञों ने किसानों से अपील की है कि वे अगले कुछ हफ्तों तक सतर्क रहें और मौसम के अनुसार फसल की देखभाल करें, ताकि गुणवत्ता युक्त उत्पादन बाजार तक पहुंच सके.