अपने शहर में भी कर सकते हैं केसर की खेती, जानें कैसे और कितनी होगी कमाई

आम तौर पर केसर की खेती ठंडी जलवायु में होती है और भारत में इसके लिए सबसे उपयुक्त जगह मानी जाती है कश्मीर. लेकिन अब आपको केसर उगाने के लिए कश्मीर जाने की जरूरत नहीं है. आज के दौर में आप अपने ही शहर में, एक बंद कमरे में भी इसकी खेती कर सकते हैं और अच्छी आमदनी कर सकते हैं.

अपने शहर में भी कर सकते हैं केसर की खेती,

How to Grow Saffron in Aeroponics: केसर को धरती का सोना कहा जाता है, और ये नाम यूं ही नहीं पड़ा है. इसकी कीमत इतनी ज्यादा होती है कि थोड़ी सी मात्रा में ही किसान अच्छी-खासी कमाई कर सकता है. आम तौर पर केसर की खेती ठंडी जलवायु में होती है और भारत में इसके लिए सबसे उपयुक्त जगह मानी जाती है कश्मीर. लेकिन अब आपको केसर उगाने के लिए कश्मीर जाने की जरूरत नहीं है. आज के दौर में आप अपने ही शहर में, एक बंद कमरे में भी इसकी खेती कर सकते हैं और अच्छी आमदनी कर सकते हैं. ये मुमकिन हुआ है एक खास तकनीक के जरिए, जिसे कहते हैं एरोपोनिक तकनीक.

क्या है एरोपोनिक तकनीक?

एरोपोनिक्स एक ऐसी आधुनिक तकनीक है जिसमें पौधों को मिट्टी के बिना उगाया जाता है. इस पद्धति में पौधों की जड़ें हवा में लटकती हैं और एक विशेष धुंध (mist) के जरिए उन्हें पानी और पोषक तत्व मिलते हैं. यह तरीका पारंपरिक खेती या हाइड्रोपोनिक्स से काफी बेहतर है क्योंकि इसमें जड़ों को ज्यादा ऑक्सीजन मिलती है, जिससे पौधे जल्दी और स्वस्थ तरीके से बढ़ते हैं.

इनवायरो एग्रीटेक की रिपोर्ट के मुताबिक, इस तकनीक के जरिए किसान एक बंद कमरे में कश्मीर जैसे वातावरण की नकल कर सकते हैं. इसके लिए चिलिंग डिवाइस, ह्यूमिडिटी फायर, एयर सर्कुलेशन सिस्टम और ग्रो लाइट्स जैसे उपकरणों का उपयोग किया जाता है. इससे तापमान, आर्द्रता, हवा की गति और प्रकाश को पूरी तरह कंट्रोल किया जा सकता है.

केसर की खेती का पूरा प्रोसेस

केसर की खेती का प्रोसेस में सबसे पहले उच्च गुणवत्ता वाले बीजों (कॉर्म्स) का चयन करना होता है. ये बीज लकड़ी की ट्रे में रखे जाते हैं और उनके चारों ओर उपयुक्त वातावरण तैयार किया जाता है. इस दौरान तापमान और नमी के स्तर में क्रमशः बदलाव किया जाता है ताकि कश्मीर के मौसमी बदलावों की नकल की जा सके.

कमरे में केसर उगाने के फायदे

क्लाइमेट कंट्रोल: बाहरी मौसम के प्रभाव से फसल सुरक्षित रहती है.

उच्च गुणवत्ता: मिट्टी से रहित खेती होने से रोगों का खतरा नहीं रहता और केसर ऑर्गेनिक होता है.

उत्पादन में बढ़ोतरी: बंद कमरे में एक साल में चार बार फसल ली जा सकती है, जबकि पारंपरिक खेती में सिर्फ एक बार.

कम नुकसान: वातावरण की अनिश्चितता और प्रदूषण का असर नहीं होता.

सफल उदाहरण

एनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर शोलेश मोदक ने एरोपोनिक तकनीक के जरिए सिर्फ 160 स्क्वायर फीट के कंटेनर में केसर की खेती शुरू की. उन्होंने एक बार निवेश किया, जिसमें से बीज और सेटअप लागत शामिल थी. आज वह सालाना लाखों रुपये की आमदनी कर रहे हैं.

कितने बीज की होती है जरूरत?

100 किलोग्राम केसर के बल्ब (कॉर्म्स) से करीब 500 से 600 ग्राम केसर हासिल होता है. एरोपोनिक प्रणाली में फसल को साल में चार बार उगाया जा सकता है. बेहतर उपज के लिए 9/10 या 10/11 आकार के बल्ब सबसे उपयुक्त होते हैं क्योंकि उनसे प्रति बल्ब 1 से 3 फूल तक निकलते हैं.

सही माहौल कैसे बनाएं?

केसर की एरोपोनिक खेती के लिए एक उपयुक्त वातावरण तैयार करना आवश्यक होता है. इसके लिए कमरे का तापमान 18°C से 24°C (65°F – 75°F) के बीच बनाए रखना चाहिए, नमी 50% से 60% तक रखनी चाहिए, और प्रकाश के लिए प्राकृतिक सूर्य प्रकाश जैसे कृत्रिम ग्रो लाइट्स का उपयोग करना होता है. पौधों की जड़ों को आवश्यक पोषक तत्व देने के लिए एक संतुलित pH वाला पोषक घोल देना जरूरी होता है.

केसर की खेती में खर्च और कमाई का पूरा गणित

अब बात करें लागत और कमाई की। एरोपोनिक तकनीक से केसर की खेती शुरू करने के लिए लगभग 4.5 लाख रुपये का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होता है, जिसमें ग्रो लाइट्स, चिलिंग डिवाइस, ह्यूमिडिटी कंट्रोलर, फैन और नमी स्प्रे सिस्टम जैसे उपकरण शामिल होते हैं. इसके अलावा, अच्छे गुणवत्ता वाले केसर के बल्ब (कॉर्म्स) खरीदने में लगभग 2.5 लाख रुपये का खर्च आता है. यह खर्च हर बार नहीं आता क्योंकि बल्बों को कई वर्षों तक दोबारा उपयोग किया जा सकता है. इसके दूसरे खर्चों में बिजली, लेबर, सिस्टम की सफाई और पोषक घोल की आपूर्ति शामिल है, जो चलती प्रक्रिया में वैरिएबल होते हैं.

इस प्रकार, कुल शुरुआती निवेश करीब 7 लाख रुपये होता है यदि आप 100 स्क्वायर फीट का सेटअप लगाते हैं.

कितनी होती है कमाई ?

अब बात करें कमाई की. यदि आप 400 स्क्वायर फीट में केसर की खेती करते हैं, तो एक फसल में लगभग 1.5 किलो केसर का उत्पादन हो सकता है. एरोपोनिक सिस्टम की मदद से साल में चार बार फसल ली जा सकती है, जिससे सालाना 6 किलो केसर का उत्पादन संभव है. अगर आप यह केसर औसतन 4 लाख रुपये प्रति किलो की दर से बेचते हैं, तो आपकी सालाना कमाई 24 लाख रुपये तक हो सकती है.

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