ट्रंप टैरिफ से भारतीय शहद बाजार में मचेगा हड़कंप ! अमेरिका को 79 फीसदी एक्सपोर्ट , किसानों की गिर सकती है इनकम

भारत का शहद उद्योग बड़ी चुनौती से गुजर रहा है क्योंकि अमेरिका ने भारतीय शहद निर्यात पर 50 फीसदी टैरिफ और 25 फीसदी पेनल्टी लगा दी है. वर्ष 2024-25 में कुल 1.52 लाख टन शहद उत्पादन हुआ जिसमें से 52 फीसदी शहद अमेरिका भेजा गया. नए टैरिफ से निर्यात में भारी गिरावट आएगी और घरेलू बाजार में शहद की कीमत और कम होगी.

भारत का शहद उद्योग बड़ी चुनौती से गुजर रहा है. Image Credit: CANVA

Indian Honey Export: भारत दुनिया के सबसे बड़े शहद पैदा करने वाले देशों में से एक है. इसका बड़ा हिस्सा विदेशों में एक्सपोर्ट होता है. लेकिन अब भारतीय शहद इंडस्ट्री पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. अमेरिका ने भारतीय शहद पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है जिसमें 25 फीसदी पेनल्टी भी शामिल है. इसका सीधा असर भारत के एक्सपोर्ट, किसानों की इनकम और शहद इंडस्ट्री के कुल बिजनेस पर पड़ सकता है. यह कदम न सिर्फ भारतीय शहद की मांग को घटाएगा बल्कि इंटरनेशन मार्केट में कंपटीशन भी बढ़ा देगा.

कितना है भारत में शहद का प्रोडक्शन

वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने करीब 1.52 लाख टन शहद का उत्पादन किया. इसमें से लगभग 79,720 टन अकेले अमेरिका को भेजा गया. यह देश के कुल उत्पादन का करीब 52 फीसदी और कुल निर्यात का लगभग 80 फीसदी है. कुल शहद निर्यात 100,773 टन रहा जिसका मूल्य 1750 करोड़ रुपये था.

वर्षभारत में शहद उत्पादन (टन)
2014-1581,000
2015-1688,000
2016-1794,000
2017-18105,000
2018-19120,000
2019-20120,000
2020-21125,000
2021-22133,000
2022-23142,000
2023-24146,000
2024-25152,000

ट्रंप टैरिफ का सीधा असर

    अमेरिका भारतीय शहद का सबसे बड़ा खरीदार है. लेकिन ट्रंप द्वारा लगाया गया 50 फीसदी टैरिफ भारतीय शहद को महंगा बना देगा. इससे अमेरिकी बाजार में भारतीय शहद की मांग घटेगी और भारत कंपटीशन में पिछड़ जाएगा. अमेरिका को 79 फीसदी एक्सपोर्ट करता है.

    मूल्य (₹ करोड़)मात्रा (टन)अमेरिका को निर्यात का हिस्सा (%)
    53529,57983
    70638,17788
    55845,05587
    65451,54783
    73261,33482
    63459,53783
    71659,99982
    1,22174,41375
    1,62379,92980
    1,4711,07,96383
    1,7501,00,77379

    कंपटीटर को मिलेगा फायदा

    भारत की कमजोर स्थिति का सीधा फायदा अर्जेंटीना, वियतनाम, यूक्रेन और मेक्सिको जैसे देशों को मिलेगा. ये देश कम कीमत पर शहद उपलब्ध कराकर अमेरिकी बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर सकते हैं. निर्यात घटने से भारत के भीतर शहद की सप्लाई और बढ़ जाएगी. लेकिन मांग स्थिर रहने के कारण कीमतों में और गिरावट होगी. इससे किसानों और प्रोसेसरों को नुकसान होगा क्योंकि लागत निकालना भी मुश्किल हो जाएगा.

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    गिरते दामों से किसानों की मुश्किलें

    कोविड काल में शहद का थोक भाव 150 से 170 रुपये प्रति किलो था. लेकिन अब यह गिरकर 90 से 110 रुपये प्रति किलो पर आ गया है. ऐसे में किसानों को उत्पादन, ट्रांसपोर्ट और प्रोसेसिंग की लागत निकालना भी कठिन हो रहा है. भारत का शहद उद्योग करीब 3500 करोड़ रुपये का है. टैरिफ की मार से इस उद्योग को बड़ा झटका लग सकता है. निर्यातक और किसान दोनों प्रभावित होंगे और भविष्य में शहद उत्पादन पर भी असर पड़ सकता है.

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