फिर किसानों के लिए कानून लाएगी मोदी सरकार! डीलर बेचेंगे नकली बीज तो होगी 3 साल की जेल, लगेगा 30 लाख जुर्माना

सरकार ने बीज बाजार में चल रही गड़बड़ियों पर सख्ती का संकेत देते हुए नया Seeds Bill 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है. इसमें खराब या गैर-पंजीकृत बीज बेचने पर भारी कार्रवाई का प्रस्ताव है, जिससे किसानों को मिलने वाले बीजों की गुणवत्ता को लेकर बड़ा बदलाव आ सकता है.

New Seeds Bill 2025 Image Credit: Canva

New Seeds Bill 2025: खराब और मिलावटी बीजों की वजह से हर साल किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. खेत की पूरी फसल खतरे में पड़ जाती है और महीनों के मेहनत पर पानी फिर जाता है. इसी गंभीर समस्या को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने गुरुवार को Seeds Bill 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है. नए बिल का मकसद साफ है, अगर कोई खराब, नकली या गैर-पंजीकृत बीज बेचेगा, तो अब उसकी खैर नहीं. बिल में न सिर्फ भारी जुर्माना लगाया गया है, बल्कि जेल की सजा का भी प्रावधान किया गया है.

खराब बीज बेचने पर 30 लाख का जुर्माना और जेल

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी इस ड्राफ्ट बिल में बड़े अपराधों पर सख्त दंड का प्रस्ताव है. अगर कोई व्यक्ति नकली (spurious) बीज, गैर-पंजीकृत बीज, या बिना रजिस्ट्रेशन के बीज कारोबार करते हुए पकड़ा जाता है, तो उस पर 30 लाख रुपये तक का जुर्माना और तीन साल तक की सजा हो सकती है. यह प्रावधान पहली बार इतने कड़े रूप में शामिल किया गया है, ताकि बाजार में निम्न गुणवत्ता वाले बीजों की बिक्री पर रोक लगाई जा सके.

अब अगर कानून पास होता है तो, किसानों की किस्मों और निर्यात के लिए बनाए गए बीजों को छोड़कर, कोई भी बीज तभी बेचा जा सकेगा जब वह अनिवार्य रूप से पंजीकृत हो. अभी तक पुराने Seeds Act 1966 में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं था, लेकिन नए बिल में इसे कड़े नियमों के साथ लागू किया जाएगा. हालांकि, पुराने कानून के तहत अधिसूचित बीजों को नए कानून में पहले से पंजीकृत माना जाएगा.

क्वालिटी बढ़ाने की कोशिश

Seeds Bill 2025 का उद्देश्य बाजार में उपलब्ध बीजों की गुणवत्ता को नियंत्रित करना, उत्पादन को बढ़ावा देना और किसानों को भरोसेमंद बीज उपलब्ध कराना है. ड्राफ्ट बिल में अपराधों को तीन श्रेणियों, सरल, मामूली और गंभीर में बांटा गया है, जिनमें गंभीर अपराधों पर सबसे कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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11 दिसंबर तक सुझाव आमंत्रित

सरकार ने इस ड्राफ्ट पर जनता और विशेषज्ञों से 11 दिसंबर तक सुझाव मांगे हैं. इससे पहले 2004 और 2019 में भी ऐसे बिल लाए गए थे, लेकिन वे कानून नहीं बन पाए. इस बार सरकार उम्मीद कर रही है कि नया बिल किसानों के हित में बड़ा बदलाव लाएगा.