बैंकों ने बेचे ₹6,700 करोड़ के Bad Loans! जानिए बैंकिंग सिस्टम के अंदर की कहानी

भारत में जब लोग अपने बैंक लोन समय पर नहीं चुकाते, तो वही लोन बाद में Non-Performing Assets यानी NPAs बन जाते हैं. हाल ही में बैंकों ने करीब ₹6,700 करोड़ के Bad Loans बेचे हैं. बैड लोन बढ़ने से बैंकों की बैलेंस शीट कमजोर पड़ती है, इसलिए इन्हें साफ करने के लिए “Bad Bank” मॉडल इस्तेमाल होता है. भारत में NARCL और प्राइवेट ARCs का काम ही इन खराब लोन को कम कीमत पर खरीदना है. बैंक अपना फंसा हुआ पैसा इन कंपनियों को बेचकर कुछ राशि वापस पा लेते हैं, जबकि ARC इन लोन से वसूली करके लाभ कमाती हैं. इससे बैंकों को दो फायदे होते हैं — बैलेंस शीट हल्की होती है और नया लोन देने की क्षमता बढ़ती है. लेकिन लगातार बढ़ते डिफॉल्ट्स भारत के मिडिल क्लास के लिए चेतावनी भी हो सकते हैं. अगर परिवार समय पर लोन नहीं चुका पाते, तो यह पूरे वित्तीय सिस्टम में दबाव पैदा कर सकता है. इसलिए Bad Loans की कहानी सिर्फ बैंकों की नहीं, बल्कि आम लोगों की आर्थिक सेहत से भी जुड़ी होती है.