आमदनी कम फिर भी GST का बोझ ज्यादा, अमीर और गरीब के टैक्स पेमेंट पर बड़ा खुलासा, ये है सच्चाई
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी की रिपोर्ट के अनुसार भारत में जीएसटी का बोझ गरीब और मिडिल क्लास पर समान रूप से पड़ रहा है. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में निचले 50 फीसदी लोग लगभग उतना ही जीएसटी दे रहे हैं जितना मध्य 30 फीसदी लोग.

GST Burden: देश में 2017 से लागू GST सिस्टम को लेकर एक नई रिपोर्ट सामने आई है, जिसने टैक्स स्ट्रक्चर की असमानता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी की इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के लोअर मिडिल क्लास के 50 फीसदी लोग और मिडिल क्लास के 30 फीसदी लोग लगभग बराबर टैक्स दे रहे हैं. वहीं दूसरी ओर, सरकार ने 2023-24 में कॉरपोरेट टैक्स में लगभग 99 हजार करोड़ रुपये की छूट दी है. यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब GST ढांचे में बड़े बदलावों की चर्चा हो रही है.
ग्रामीण और शहरी भारत में टैक्स का बंटवारा
रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में लोअर मिडिल इनकम ग्रुप के 50 फीसदी और मिडिल इनकम ग्रुप के 30 फीसदी लोग मिलकर 62 फीसदी GST दे रहे हैं. शहरी इलाकों में यह आंकड़ा 59 फीसदी है. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों के सबसे अमीर 20 फीसदी लोग 37 फीसदी GST और शहरी क्षेत्रों में 41 फीसदी GST का भुगतान करते हैं. यानी आमदनी कम होने के बावजूद गरीब और मिडिल क्लास का टैक्स योगदान लगभग बराबर है.
कम टैक्स वाली चीजों पर ज्यादा खर्च करते हैं गरीब
रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रामीण और शहरी कंज्यूमर अपने मासिक खर्च का लगभग 45 फीसदी उन वस्तुओं पर खर्च करते हैं जिन पर GST की रेट या तो शून्य है या 5 फीसदी है. वहीं पेट्रोल, डीजल और शराब जैसी GST से बाहर की चीजों पर ग्रामीण लोग 9 फीसदी और शहरी लोग 10 फीसदी खर्च करते हैं. इससे साफ है कि गरीब वर्ग कम टैक्स वाली चीजों पर निर्भर है.
एमपीसीई वर्ग (प्रति व्यक्ति मासिक खर्च) | ग्रामीण (%) | शहरी (%) |
---|---|---|
0–5% | 1.7% | 1.5% |
5–10% | 2.3% | 2.0% |
10–20% | 5.5% | 4.9% |
20–30% | 6.4% | 5.9% |
30–40% | 7.3% | 6.7% |
40–50% | 8.2% | 7.6% |
50–60% | 9.2% | 8.7% |
60–70% | 10.3% | 9.9% |
70–80% | 11.8% | 11.7% |
80–90% | 14.2% | 14.5% |
90–95% | 8.8% | 9.3% |
95–100% | 14.3% | 17.1% |
12 फीसदी GST स्लैब हटाने की योजना
सरकार 12 फीसदी वाले GST स्लैब को हटाकर 5 और 18 फीसदी स्लैब में बांटने की योजना बना रही है. रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि इससे गरीबों और लोअर इनकम मीडिल क्लास पर टैक्स का बोझ बढ़ सकता है. अगर 5 से 12 फीसदी स्लैब की मौजूदा वस्तुओं पर टैक्स दरें बढ़ीं तो इसका सीधा असर जरूरत की चीजों पर होगा.
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कॉरपोरेट टैक्स में भारी छूट, पर गरीब पर टैक्स बरकरार
वित्त मंत्रालय ने संसद में बताया कि 2023-24 में सरकार ने कंपनियों को कॉरपोरेट टैक्स में 98,999 करोड़ रुपये की छूट दी. इससे पहले 2022-23 में यह आंकड़ा 88,109 करोड़ और 2021-22 में 96,892 करोड़ रुपये था. इसके विपरीत, गरीबों और मिडिल क्लास पर GST का बोझ बना रहा है, जिससे टैक्स सिस्टम की असमानता और स्पष्ट हो जाती है.
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