अब पॉपकॉर्न पर कितना लगेगा GST, मॉल, थियेटर या हो सुपरमार्केट आपको कैरेमल-साल्टेल पर कितना देना होगा टैक्स
फिल्म देखते हुए आपके हाथों में जो पैकेट होता है, उस पर सिर्फ मक्खन या नमक का स्वाद नहीं लिखा होता, उस पर टैक्स का हिसाब भी छिपा रहता है. हाल ही में हुई एक अहम बैठक ने इस लोकप्रिय स्नैक को लेकर चल रही बहस को आखिरकार निर्णायक मोड़ दे दिया है.

भारत में टैक्स की बहस कभी चाय पर हो जाती है तो कभी बिस्कुट पर. और अब तक सबसे बड़ा झगड़ा था- पॉपकॉर्न आखिरकार किस टैक्स स्लैब में आता है? नमकीन पॉपकॉर्न, पैकेट वाला पॉपकॉर्न और मीठा कैरमेल पॉपकॉर्न, तीनों की अलग-अलग किस्मत रही. लेकिन बुधवार को GST काउंसिल ने इस ‘टैक्स ड्रामे’ का क्लाइमेक्स कर दिया. अब हर तरह के पॉपकॉर्न एक ही स्लैब में आएंगे, अब चाहे वो पॉपकॉर्न, प्लेन हो, सॉल्टेड हो या कैरेमलाइज्ड. साथ ही ये फर्क नहीं पड़ता की आप इसे किस जगह से खरीद रहे हैं, जीएसटी के दाम वही हैं.
काउंसिल का बड़ा फैसला
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई GST काउंसिल की बैठक में दो-स्तरीय कर संरचना को मंजूरी दी गई. साथ ही स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम को GST से पूरी तरह छूट दी गई. लेकिन लोगों की नजर सबसे ज्यादा उस फैसले पर गई जिसने पॉपकॉर्न की तकदीर बदल दी. 22 सितंबर 2025 से हर प्रकार का पॉपकॉर्न, चाहे नमकीन हो, पैकेट वाला हो या कैरमेल कोटेड हो अब 5 फीसदी स्लैब में आएगा.
अब सब पर बराबर टैक्स
पहले नियम बड़े पेचीदा थे. अनपैक्ड नमकीन पॉपकॉर्न 5% पर, पैक्ड ब्रांडेड नमकीन 12% पर और कारमेल पॉपकॉर्न 18% पर था. कैरेमेल वाली कैटेगरी को मीठा ‘कन्फेक्शनरी’ मानकर ज्यादा टैक्स लगाया गया था. सोशल मीडिया पर इसका खूब मजाक बना. लोग पूछने लगे कि अगर पैकेट पर लिखा हो ‘सॉल्ट कारमेल’, तो अफसर तय कैसे करेंगे कि ये 5 फीसदी है या 18 फीसदी?
अब काउंसिल ने सारी दुविधा खत्म कर दी. नमकीन हो या मीठा, हर पॉपकॉर्न पर टैक्स सिर्फ 5% रहेगा.
सरकार का मानना है कि यह बदलाव टैक्स ढांचे को सरल बनाएगा. कंपनियों और दुकानदारों के लिए कंफ्यूजन खत्म होगा. वहीं उपभोक्ताओं को भी अब कुछ रुपये की राहत मिलेगी क्योंकि मीठे पॉपकॉर्न का टैक्स सीधे 18% से 5% पर आ गया है.
पिछले साल से चल रही थी बहस
दिसंबर 2024 की बैठक में तीन अलग-अलग स्लैब तय होने के बाद यह मुद्दा सुर्खियों में आया था. कई मीम्स बने, कैरमेल पॉपकॉर्न पर ‘स्वीट बर्डेन’ कहकर लोगों ने सरकार को ट्रोल किया. तब वित्त मंत्री ने सफाई दी थी कि चीनी वाले प्रोडक्ट्स पर ज्यादा टैक्स लगना चाहिए.
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इस फैसले के साथ GST का ‘पॉपकॉर्न अध्याय’ आखिरकार बंद हो गया है. यानी अब सिनेमा हॉल में सीट पर बैठकर आपको सोचना नहीं पड़ेगा कि सामने रखा पॉपकॉर्न 5%, 12% या 18% वाला है या नहीं. अब हर दाने पर टैक्स का स्वाद एक ही रहेगा, सिर्फ 5%.
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