ये हैं दक्षिण अफ्रीका के ‘विजय माल्या’, यूपी के सहारनपुर से है नाता; नीलाम हो रहा है 28 करोड़ का महल

दक्षिण अफ्रीका में गुप्ता बंधुओं की तीन आलीशान कोठियों की नीलामी हो रही है. गुप्ता परिवार पर सरकार पर गलत प्रभाव डालकर ठेके हासिल करने और भ्रष्टाचार फैलाने के आरोप लगे थे. 2018 में जुमा के इस्तीफे से पहले वे देश छोड़कर दुबई भाग गए. अब इन कोठियों की नीलामी से दिवालिया कंपनी के कर्ज चुकाए जाएंगे.

दक्षिण अफ्रीका में गुप्ता बंधुओ की तीन आलीशान कोठियों की नीलामी की जा रही है.

Gupta Brothers: दक्षिण अफ्रीका में गुप्ता बंधुओ की तीन आलीशान कोठियों की नीलामी की जा रही है. भारतीय मूल के अतुल, अजय और राजेश गुप्ता लंबे समय तक देश के सबसे विवादास्पद कारोबारी रहे हैं. इन पर सत्ता में बैठे लोगों से नजदीकियों के जरिए सरकारी फैसलों को प्रभावित करने और भारी भ्रष्टाचार करने के आरोप लगे. इन कोठियों में कभी राजनेताओं और उद्योगपतियों की महफिलें लगती थीं, लेकिन अब ये वीरान हो चुकी हैं. 2018 में पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा के इस्तीफे से ठीक पहले गुप्ता परिवार देश छोड़कर दुबई चला गया था.

राजनीतिक उठापटक की जड़ बनी कोठियां

जोहान्सबर्ग के सैक्सनवोल्ड इलाके में स्थित इन कोठियों की खरीदारी 2006 में शुरू हुई थी. गुप्ता बंधुओं ने यहां से सत्ताधारी नेताओं से करीबी बढ़ाई. वक्त के साथ आरोप लगने लगे कि उन्होंने अनुचित लाभ के लिए सरकार पर प्रभाव डाला. विरोध में लोग इन कोठियों के बाहर जमा होकर प्रदर्शन करने लगे. धीरे धीरे ये परिसर भ्रष्टाचार के प्रतीक के रूप में पहचाना जाने लगा.

कोठियों की हालत अब जर्जर

नीलामी से पहले जब पत्रकारों और आम लोगों को इन कोठियों का दौरा कराया गया, तो अंदर का नजारा बेहद खराब मिला. स्वीमिंग पूल में हरा पानी, खिड़कियों में दरारें, उखड़ती दीवारें और टूटी छत इस बात की गवाही दे रही थीं कि इन्हें लंबे समय से छोड़ा हुआ है. एक समय सत्ता का प्रतीक रहा यह घर अब खंडहर जैसी हालत में बदल चुकी है.

नीलामी से वसूले जाएंगे कर्ज

गुप्ता बंधुओं की कंपनी कॉन्फिडेंट कॉन्सेप्ट 2018 से दिवालिया प्रक्रिया में है. अब इन कोठियों की बिक्री से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल कंपनी के लेनदारों को पेंमेंट में किया जाएगा. तीनों कोठियों की कुल नगरपालिका कीमत करीब 64 मिलियन रैंड है लेकिन इनकी हालत देखते हुए यह संपत्तियां कम कीमत पर बिकने की संभावना है.

स्टेट कैप्चर घोटाले की गवाही देते दस्तावेज

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व चीफ जस्टिस रेमंड जोंडो की जांच समिति ने गुप्ता बंधुओं के परिसरों को स्टेट कैप्चर घोटाले का केंद्र बताया था. जांच में बताया गया कि इन घरों में गोपनीय बैठकें होती थीं जहां सरकारी फैसलों को प्रभावित करने के लिए रिश्वत की पेशकश की जाती थी. इस जांच में 1400 से अधिक व्यक्तियों और संस्थाओं का नाम सामने आया था.

ये भी पढ़ें- अरबपति बने सुंदर पिचाई, शिखर के करीब अल्फाबेट के शेयर; अमेरिकी बाजार भी रिकॉर्ड हाई पर पहुंचा

प्रत्यर्पण अब भी अधर में

गुप्ता बंधुओं पर मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के गंभीर आरोप हैं. 2022 में अतुल और राजेश को यूएई में गिरफ्तार किया गया लेकिन 2023 में कोर्ट ने दक्षिण अफ्रीका के प्रत्यर्पण अनुरोध को खारिज कर दिया. अजय गुप्ता के खिलाफ तो 2019 में ही गिरफ्तारी वारंट हटा लिया गया था.