एक्सपोर्ट के जरिए चीनी की सरप्लस सप्लाई को मैनेज करेगा भारत, अक्टूबर से अब तक कीमतों मे 4% की गिरावट
भारत के खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने पत्रकारों से कहा, 'सरप्लस से किसानों को नुकसान होगा, जो हम बर्दाश्त नहीं कर सकते. भारत 2022/23 तक पिछले पांच साल में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी एक्सपोर्टर था, जिसमें सालाना औसतन 6.8 मिलियन टन चीनी भेजी जाती थी.
भारत का लक्ष्य एक्सपोर्ट के जरिए सरप्लस सप्लाई को मैनेज करके और अधिक चीनी को इथेनॉल प्रोडक्शन के लिए इस्तेमाल करके गन्ने के किसानों को इनकम के नुकसान से बचाना है. एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि दुनिया के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक देश से ज्यादा एक्सपोर्ट से बेंचमार्क न्यूयॉर्क और लंदन फ्यूचर्स पर दबाव पड़ सकता है, जो पांच साल के निचले स्तर के करीब हैं.
सरप्लस से किसानों को नुकसान होगा
भारत के खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने पत्रकारों से कहा, ‘सरप्लस से किसानों को नुकसान होगा, जो हम बर्दाश्त नहीं कर सकते. इसलिए उनके हित में और सभी स्टेकहोल्डर्स के हित में भी यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि सरप्लस स्टॉक को कंट्रोल किया जाए.’ उन्होंने कहा कि सरकार सभी संभावित उपायों से चीनी के सरप्लस को कंट्रोल करने की कोशिश करेगी.
चोपड़ा ने कहा कि 1 अक्टूबर को शुरू हुए 2025/26 मार्केटिंग ईयर में भारत का चीनी उत्पादन, इथेनॉल उत्पादन के लिए 3.4 मिलियन टन डायवर्ट करने के बाद भी 18 फीसदी बढ़कर 30.9 मिलियन मीट्रिक टन होने का अनुमान है.
घरेलू डिमांड
दुनिया के सबसे बड़े चीनी कंज्यूमर में घरेलू डिमांड सालाना लगभग 29 मिलियन टन है. प्रोडक्शन कंजम्पशन से ज्यादा होने की उम्मीद है, इसलिए पिछले महीने नई दिल्ली ने मौजूदा सीज़न में 1.5 मिलियन टन चीनी के एक्सपोर्ट को मंजूरी दी.
भारत 2022/23 तक पिछले पांच साल में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी एक्सपोर्टर था, जिसमें सालाना औसतन 6.8 मिलियन टन चीनी भेजी जाती थी. लेकिन सूखे के कारण सरकार को 2023/24 में चीनी एक्सपोर्ट पर बैन लगाना पड़ा, और पिछले साल सिर्फ 1 मिलियन टन चीनी विदेश भेजने की इजाजत दी गई.
अधिक सप्लाई से कम होंगी कीमतें
चोपड़ा ने कहा कि चीनी इंडस्ट्री को उम्मीद है कि जनवरी के बीच तक, जब सप्लाई ज्यादा होने की उम्मीद है, तो कीमतें धीरे-धीरे कम हो जाएंगी, जिससे इस सेक्टर के लिए चुनौतियां खड़ी होंगी. उन्होंने कहा, ‘हमने इस बात का ध्यान रखा है. अगले महीने या उसके आसपास हम कुछ फैसले लेंगे, जो इंडस्ट्री की मदद करेंगे और किसानों को समय पर पेमेंट सुनिश्चित करेंगे.’
कीमतों में 4 फीसदी की गिरावट
चीनी की कीमतें पहले ही गिरनी शुरू हो गई हैं. 1 अक्टूबर को मार्केटिंग साल शुरू होने के बाद से लगभग 4 फीसदी की गिरावट आई है. खाद्य सचिव ने कहा कि भारत के घरेलू बाजार में चीनी बिक्री के लिए फ्लोर प्राइस बढ़ाना एक और उपाय है जिस पर विचार किया जा रहा है.
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