रिलायंस की बड़ी डील, तमिलनाडु की उदयम्स में खरीदी मेजॉरिटी हिस्सेदारी; जानें क्या है मेगा प्लान
उदयम्स के साथ यह डील ऐसे समय में हुई है जब भारत का कंज्यूमर सेक्टर में तेजी से कंसोलिडेशन हो रहा है. बड़ी पुरानी कंपनियों को फुर्तीले रीजनल और डिजिटल-फर्स्ट ब्रांड्स से कड़ी टक्कर मिल रही है. उधयम एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड, उधयम नाम के मुख्य ब्रांड के तहत काम करती है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की FMCG कंपनी रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (RCPL) ने उदयम एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड में मेजॉरिटी हिस्सेदारी खरीद ली है, जिससे तमिलनाडु का मशहूर न्यूट्रिशन ब्रांड उदयम अब उसके साथ आ गया है. इस अधिग्रहण की घोषणा गुरुवार 18 दिसंबर को की गई. ज्वाइंट वेंचर एग्रीमेंट के तहत, RCPL के पास कंपनी में मेजॉरिटी हिस्सेदारी होगी, जबकि उदयम के मौजूदा प्रमोटर्स के पास कम हिस्सेदारी रहेगी. इस ट्रांजैक्शन से उदयम RCPL के ब्रांडेड स्टेपल्स पोर्टफोलियो में शामिल हो जाएगा.
तीन दशक से मार्केट में मौजूद
उधयम एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड, उधयम नाम के मुख्य ब्रांड के तहत काम करती है और तमिलनाडु में तीन दशकों से ज्यादा समय से मार्केट में मौजूद है. इस ब्रांड ने राज्य में एक बड़े डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क की मदद से चावल, दालें, मसाले, स्नैक्स और इडली बैटर जैसी जरूरी खाने-पीने की चीजों की कैटेगरी में अपनी पहचान बनाई है.
माइनॉरिटी हिस्सेदारी
इस अधिग्रहण के बाद कंपनी के प्रमोटर, एस सुधाकर और एस दिनाकर, कंपनी में माइनॉरिटी हिस्सेदारी बनाए रखेंगे और बिजनेस से जुड़े रहेंगे. दोनों को स्टेपल सेगमेंट में 30 साल से ज्यादा का अनुभव है और वे उदयम में पैकेट वाले दालों के बिज़नेस को बढ़ाने में शामिल रहे हैं.
तमिलनाडु से बाहर विस्तार में मिलेगी मदद
RCPL ने कहा कि यह अधिग्रहण ब्रांडेड स्टेपल सेगमेंट में अपनी मौजूदगी बढ़ाने और पुराने भारतीय ब्रांड्स के साथ काम करने पर उसके फोकस के मुताबिक है. कंपनी ने कहा कि यह जॉइंट वेंचर उदयम को तमिलनाडु से बाहर विस्तार करने में मदद करेगा. RCPL, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की FMCG कंपनी है और कई कंज्यूमर प्रोडक्ट कैटेगरी में काम करती है. गुरुवार को सेशन में रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर मामूली गिरावट के साथ बंद हुए. इस साल अब तक स्टॉक में 26 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है.
कंज्यूमर सेक्टर में कंसोलिडेशन
इसके अलावा, उदयम्स के साथ यह डील ऐसे समय में हुई है जब भारत का कंज्यूमर सेक्टर में तेजी से कंसोलिडेशन हो रहा है. बड़ी पुरानी कंपनियों को फुर्तीले रीजनल और डिजिटल-फर्स्ट ब्रांड्स से कड़ी टक्कर मिल रही है जो अच्छी प्राइसिंग, डायरेक्ट डिस्ट्रीब्यूशन और क्विक कॉमर्स का फायदा उठा रहे हैं. नतीजतन, छोटे प्लेयर्स को बड़े प्रतिद्वंद्वी और निवेशक एक्टिव रूप से लुभा रहे हैं.
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