17 साल में पहली बार ऐसा उछाल! मैन्युफैक्चरिंग में आई तगड़ी बूम लेकिन सर्विस सेक्टर पड़ा धीमा: PMI रिपोर्ट

जुलाई महीने की एक बड़ी रिपोर्ट ने देश की आर्थिक सेहत को लेकर कई संकेत दिए हैं. जहां कुछ आंकड़े उम्मीद जगाते हैं, वहीं कुछ पहलू ऐसे हैं जो सोचने पर मजबूर करते हैं. क्या भारत की विकास गाड़ी वाकई पटरी पर है या आगे कोई बड़ा मोड़ आने वाला है?

मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में ग्रोथ. Image Credit: Freepik

भारत की प्राइवेट सेक्टर ग्रोथ जुलाई में एक बार फिर रफ्तार पकड़ती दिखी है, लेकिन इसके साथ ही कई चिंता की लकीरें भी उभर आई हैं. HSBC Flash India Composite Purchasing Managers’ Index (PMI) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश की आर्थिक गतिविधियों में लगातार चौथे साल मजबूती बनी हुई है, लेकिन महंगाई और नौकरियों की कमी अब बड़ा सवाल बनती जा रही है.

मजबूत रहा मैन्युफैक्चरिंग, सेवाओं में हल्की गिरावट

रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई का कंपोजिट पीएमआई इंडेक्स 60.7 पर रहा, जो जून के 61.0 के मुकाबले थोड़ा कम है, लेकिन 50 के आंकड़े से ऊपर होना इसका संकेत है कि व्यापार में अब भी ग्रोथ जारी है. खास बात यह रही कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भारी उछाल आया है. जुलाई का मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 59.2 रहा, जो पिछले 17 वर्षों का सबसे ऊंचा स्तर है. वहीं, सर्विस सेक्टर में थोड़ा ठहराव देखा गया.

हालांकि ग्रोथ के इन संकेतों के बीच चिंता की बात यह रही कि महंगाई दर में फिर से बढ़ोतरी देखी जा रही है. जुलाई में इनपुट कॉस्ट और आउटपुट प्राइसेज दोनों में इजाफा हुआ है, जिससे कंपनियों ने खर्च का बोझ उपभोक्ताओं पर डालना शुरू कर दिया है. खासकर एल्युमिनियम और खाद्य सामग्री के दामों में तेजी आई है.

साथ ही, रोजगार सृजन की रफ्तार भी कम हुई है. रिपोर्ट बताती है कि रोजगार वृद्धि की गति 15 महीनों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है, जिससे युवाओं की बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है.

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RBI के फैसलों पर असर?

जून में खुदरा महंगाई छह साल के निचले स्तर पर थी, लेकिन अगर महंगाई फिर से ऊपर गई तो यह भारतीय रिजर्व बैंक के ब्याज दरों को लेकर फैसलों को प्रभावित कर सकती है. साथ ही अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता भी कंपनियों की कारोबारी धारणा को कमजोर कर रही है.

भारत की आर्थिक तस्वीर फिलहाल दो चेहरों वाली है, एक तरफ ग्रोथ के आंकड़े उम्मीद जगा रहे हैं, तो दूसरी ओर नौकरियों की कमी और महंगाई आम लोगों की मुश्किलें बढ़ा रही है.