अलीगढ़ कैसे बना तालों का शहर, 155 साल पहले एक शख्स की एंट्री; और कोईल बन गया ‘सिटी ऑफ लॉक्स’

अलीगढ़ सिर्फ ताले बनाने के लिए मशहूर नहीं है, बल्कि उसकी पहचान एक इतिहास, एक विरासत और लाखों लोगों की रोजी-रोटी से जुड़ी है. 19वीं सदी में शुरू हुआ तालों का यह सफर अब ग्लोबल स्तर पर अपनी पकड़ बना चुका है. 'अलीगढ़ के ताले, दुनिया के हवाले' कहावत आज भी इस शहर की पहचान को बखूबी बयां करती है. जानें इस शहर इस तमगे की पूरी कहानी.

अलीगढ़ और तालों की नगरी Image Credit: @Money9live/@AI

Journey of Aligarh from City of Lakes: उत्तर प्रदेश में कई शहर स्थित है. सभी शहरों की अपनी कहानी और अपना पहचान है. उन्हीं में से एक शहर है अलीगढ़. अलीगढ़ को लेकर भी कहावत है. कहते हैं, “अलीगढ़ के ताले, दुनिया के हवाले!”. कई दूसरे व्यापार, शख्सियत और नामों के साथ अलीगढ़ का ताला भी देश में काफी फेमस है. अलीगढ़ को ‘तालों की नगरी’ जिसे अंग्रेजी में ‘सिटी ऑफ लॉक्स’ कहा जाता है. अगर आप अलीगढ़ के इस पहचान या इन कहावतों से परिचित नहीं हैं तो सही जगह आए हैं. हम आपको इस शहर और ताले के रिश्ते की शुरुआत से लेकर मौजूदा स्थिति में इसके हालात तक की पूरी कहानी बताने वाले हैं.

अलीगढ़ और ताले का पुराना रिश्ता

अलीगढ़ का प्राचीन नाम ‘कोइल’ या ‘कोल’ है. यह भारत का 55वां सबसे बड़ा शहर है. अब तालों के इस्तेमाल से तो हम सभी परिचित ही होंगे. इसका इस्तेमाल घरों के दरवाजे से लेकर गाड़ियों और महंगे सोने चांदी जैसे आभूषणों को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है. आज से तकरीबन 155 साल पहले, 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश शासन के दौरान एक कंपनी की शुरुआत हुई, नाम था ‘जॉनसंस एंड कंपनी’. कंपनी उस वक्त कच्चा माल इंग्लैंड से मंगाती और अलीगढ़ में असेंबल कर बेचती थी. लेकिन धीरे-धीरे अलीगढ़ के लोग भी इस विधा में माहिर होने लगे थे.

स्थानीय स्तर पर वहां पर कई लोगों ने खुद से ताले बनाना का काम सीखना शुरू किया. इससे वहां पर छोटे स्तर के कारखानों की शुरुआत हुई और समय के साथ अलीगढ़ तालों का बड़ा और उभरता हुआ इंडस्ट्री तैयार हो गया. उसके बाद कई कंपनियों ने इस पेशे में हाथ आजमाना शुरू किया. उसी दौड़ में ‘Link Locks’ का नाम भी सामने आता है. 1970 के दशक में लिंक लॉक्स ने तालों का काम शुरू किया. आज यह ब्रांड भारत में काफी मशहूर है. इसके अलावा अलीगढ़ में तालों की कई कंपनियां मौजूदा समय में ताले बना और देश दुनिया तक उन्हें पहुंचा रही है. इससे इतर अलीगढ़ में गोदरेज लॉक्स की एक यूनिट है. इसके अलावा लिंकसेफ लॉक्स, रैमसन लॉक्स, हाई-सेफ लॉक्स, जे के लॉक्स सेफवेल लॉक्स जैसी कई दूसरी कंपनियां शहर में उपस्थित हैं और अपने प्रोडक्ट्स को भारत के हर कोने तक पहुंचाने की कोशिश में जुटी हुई हैं.

समय के साथ बढ़ता गया कारोबार

समय के साथ तालों का कारोबार अलीगढ़ में काफी तेजी से फैलने लगा था. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हर साल अलीगढ़ में 2000 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार किया जाता है. कुल मिलाकर अलीगढ़ के ताले और हार्डवेयर इंडस्ट्री से लगभग 9000 यूनिट्स जुड़ी हुई हैं. पारंपरिक डोर लॉक के साथ वहां की कंपनियों ने समय और मांग के साथ कदम से कदम मिलाते हुए आगे भी बढ़ा.

आज डिजिटल, स्मार्ट और बायोमेट्रिक लॉकिंग सिस्टम तक का सफर तय कर लिया है. इससे इतर, कई कंपनियों ने अपने व्यापार को इतना बढ़ा दिया है कि आज वह अपने सामानों को दूसरे देशों में एक्सपोर्ट कर रहे हैं. उदाहरण के लिए लिंक लॉक्स की बात करें तो उस कंपनी के प्रोडक्ट्स आज मिडिल ईस्ट, अफ्रीका और एशिया के कई दूसरे देशों में एक्सपोर्ट किए जाते हैं. इस कंपनी ने क्वालिटी, डिजाइन और सिक्योरिटी के स्तर पर काफी हद तक काम करके अपने नाम को अधिक पॉपुलर किया है.

ये भी पढ़ें- अलीगढ़ के इन 5 अरबपतियों का दुनिया में डंका; एक के साउंड बॉक्स का ठेले से लेकर 5-स्टार होटल तक यूज

मुश्किलें भी आई

तेजी से बढ़ते ताले के कारोबार को मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा था. साल 2000 के समय चीन और दूसरे देशों से सस्ते तालों के इंपोर्ट से अलीगढ़ की कई कंपनियों का बड़ा झटका लगा था. उस दौरान उन्हें अपने तालों की कीमत को कॉम्पटीटर ब्रांड्स के समान करके बेचना पड़ा था. इसके अलावा, डिजिटल लॉकिंग सिस्टम की बढ़ती मांग ने भी पारंपरिक कंपनियों को टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ने पर मजबूर किया था. आज के समय में अलीगढ़ के ताले देश सहित विदेश में भी बिकते हैं. केवल अलीगढ़ की बात करें तो वहां पर ताले के व्यापार के कारण हजारों लोगों का घर चलता है. लाखों लोगों को इस इंडस्ट्री ने रोजगार दिया है.

ये भी पढ़ें- अलीगढ़ के सास-दामाद ने कर दी ये बड़ी गलती, पुलिस ने इस टेक्नोलॉजी से ऐसे कर लिया ट्रैक

Latest Stories

खाड़ी में जंग, दुनिया की उड़ानों में हड़कंप! एयर इंडिया, ब्रिटिश एयरवेज से लेकर सिंगापुर एयरलाइंस ने बदले रास्ते

अडानी ग्रुप ने शुरू किया भारत का पहला ऑफ-ग्रिड ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट, कार्बन उत्सर्जन में आएगी कमी

Waaree Energies vs Suzlon Energy: कौन है एनर्जी किंग, किसकी ऑर्डर बुक में ज्‍यादा पावर, देखें कमाई में कौन नंबर 1

भारत के पास केवल 15-16 दिन की LPG स्टोरेज क्षमता, हर 3 में से 2 सिलेंडर अरब देशों के भरोसे, युद्ध बढ़ाएगा संकट !

शराब में इंपोर्टेंड VS मेड इन इंडिया की जंग! कमाई की होड़ में कस्टमर को फायदा या नुकसान, एक्सपर्ट ने बता दिया पूरा हिसाब

इन 12 भारतीय कंपनियों का इजरायल में है अरबों का बिजनेस, युद्ध से बढ़ा रिस्‍क, लिस्ट में ये बड़े दिग्गज शामिल