उज्ज्वला योजना ने देश में LPG कवरेज 95 फीसदी से अधिक पहुंचाया, 10 करोड़ से अधिक परिवारों को मिला कनेक्शन
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) ने देश में LPG कवरेज को 95 फीसदी से अधिक तक पहुंचाते हुए 10 करोड़ से अधिक परिवारों को स्वच्छ ऊर्जा से जोड़ा है. इस योजना ने ग्रामीण भारत में रसोई से धुआं हटाने के साथ महिलाओं के स्वास्थ्य, पर्यावरण और महिला सशक्तिकरण में अहम योगदान दिया है.
Ujjwala Yojana: प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) की शुरुआत 2016 में हुई थी. इस योजना ने देश की एक बड़ी आबादी को स्वच्छ ऊर्जा से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है. PMUY ने न केवल रसोई का धुआं हटाया है, बल्कि इसने लाखों परिवारों के स्वास्थ्य, पर्यावरण की गुणवत्ता और महिला सशक्तिकरण में एक अहम बदलाव लाने का काम किया है. 2023 तक 10 करोड़ से अधिक परिवारों तक LPG कनेक्शन पहुंचाकर इस योजना ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है.
क्या थी चुनौती और कैसे मिला समाधान?
योजना से पहले, देश के ग्रामीण और गरीब परिवारों में खाना पकाने के लिए लकड़ी, कोयला और उपले जैसे ठोस ईंधन का इस्तेमाल होता था. इससे निकलने वाला धुआं घर के भीतर की हवा को प्रदूषित करता था, जिसे हाउसहोल्ड एयर पॉल्यूशन (HAP) कहा जाता है. यह प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है और इससे श्वसन संक्रमण, फेफड़ों का कैंसर, स्ट्रोक और हृदय रोगों का जोखिम बढ़ जाता है. भारत, चीन, इंडोनेशिया और नाइजीरिया जैसे देशों में लाखों लोग आज भी इस जोखिम का सामना कर रहे हैं.
उज्ज्वला योजना ने इसी जटिल समस्या का समाधान प्रस्तुत किया. इसकी सफलता का श्रेय उस रणनीति को जाता है, जिसमें सब्सिडी देकर LPG सिलिंडर और चूल्हे की प्रारंभिक लागत को कम किया गया. सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि इस योजना ने महिलाओं को सीधा लाभार्थी बनाया, जिससे न केवल ऊर्जा तक पहुंच बनी बल्कि उनमें आत्मनिर्भरता की भावना भी विकसित हुई.
मिले ठोस परिणाम
- व्यापक कवरेज: इस योजना की बदौलत देश में LPG का कवरेज 95 फीसदी से अधिक हो गया है.
- ग्रामीण क्षेत्रों में असर: ग्रामीण इलाकों में LPG को प्राथमिक ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने वाले परिवारों की संख्या में तीन गुना वृद्धि दर्ज की गई है.
स्वास्थ्य, पर्यावरण और महिला सशक्तिकरण
- स्वास्थ्य: हाल के शोध बताते हैं कि LPG के नियमित और एकमात्र इस्तेमाल से गर्भवती महिलाओं के व्यक्तिगत PM2.5 एक्सपोजर में 80 फीसदी से अधिक की कमी आ सकती है. मॉडलिंग स्टडीज से अनुमान लगाया गया है कि यदि सभी उज्ज्वला परिवार पूरी तरह से LPG का इस्तेमाल करने लगें, तो प्रतिवर्ष 1.5 लाख से अधिक अकाल मौतों को टाला जा सकता है.
- पर्यावरण: ठोस ईंधन से निकलने वाला धुआं भारत में हवा में मौजूद बारीक कणों (PM2.5) प्रदूषण का लगभग 30 फीसदी हिस्सा है. उज्ज्वला योजना के माध्यम से HAP को खत्म करने से देश को राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों और WHO के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिलेगी.
- महिला सशक्तिकरण: योजना ने महिलाओं को धुएं से मुक्ति दिलाई, उनके स्वास्थ्य में सुधार किया और रसोई में बिताए जाने वाले समय में कमी लाई है, जिससे उन्हें अन्य प्रोडक्टिव गतिविधियों के लिए समय मिल रहा है.
बची हुई चुनौती
हालांकि योजना ने पहुंच बनाने में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती अब LPG के नियमित और एकमात्र इस्तेमाल को सुनिश्चित करने की है. कई परिवार अब भी लागत बचाने के चक्कर में LPG के साथ-साथ पारंपरिक ईंधन का उपयोग करते हैं, जिससे स्वास्थ्य लाभ पूरी तरह से हासिल नहीं हो पाता.
इस चुनौती से निपटने के लिए LPG की पहुंच और सामर्थ्य दोनों में सुधार लाने हेतु निरंतर निवेश की आवश्यकता है. यह संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG 7.1) के अनुरूप है, जो 2030 तक सभी के लिए स्वच्छ ऊर्जा की सार्वभौमिक पहुंच की मांग करता है.
यह भी पढ़ें: Auto Parts Boom: 2030 तक 18 लाख करोड़ का होगा ऑटो कंपोनेंट मार्केट, इन 5 स्टॉक्स पर बनाए रखें नजर
Latest Stories
79 हजार करोड़ के रक्षा सौदे को हरी झंडी, तीनों सेनाओं की मारक क्षमता होगी और मजबूत
तेजस्वी ही होंगे महागठबंधन के CM फेस, मुकेश सहनी को बनाया उपमुख्यमंत्री का चेहरा; खींचतान के बाद ऐलान
हादसा टला! फ्यूल लीक की आशंका के बाद Indigo फ्लाइट की हुई इमरजेंसी लैंडिंग, 166 यात्री थे सवार
