रुम नंबर 13 का क्‍या है दिल्‍ली धमाके से कनेक्‍शन, अल फलाह यूनिवर्सिटी के हॉस्‍टल में पक रही थी ये साजिश

लाल किला ब्लास्ट केस में जांच एजेंसियों को बड़ा सुराग मिला है. फरीदाबाद के अल-फलाह मेडिकल कॉलेज का रूम नंबर 13 आतंकियों के ठिकाने के रूप में सामने आया है. इस कमरे में दिल्ली-एनसीआर में ब्लास्ट की साजिश रची गई थी. पुलिस ने कॉलेज और आसपास के इलाकों से करीब 2900 किलो विस्फोटक जब्त किए हैं.

अल-फलाह मेडिकल कॉलेज का रूम नंबर 13 आतंकियों के ठिकाने के रूप में सामने आया है.

Red Fort Blast: लाल किला ब्लास्ट केस में जांच एजेंसियों को बड़ा सुराग मिला है. फरीदाबाद स्थित अल-फलाह मेडिकल कॉलेज के बिल्डिंग नंबर 17 के रूम नंबर 13 को अब इस आतंकी मामले से जोड़ा जा रहा है. यह वही धमाका था जिसमें 12 लोगों की मौत और 20 घायल हुए थे. बताया जा रहा है कि यह कमरा आतंकियों की मीटिंग और योजना बनाने का ठिकाना था. रिपोर्ट के अनुसार, यह कमरा पुलवामा के डॉक्टर मुझम्मिल अहमद गनई के कब्जे में था. इस कमरे में आतंकी मॉड्यूल के सदस्य बैठकर दिल्ली-एनसीआर में ब्लास्ट की योजना बना रहे थे. जांच में पता चला है कि आरोपी इस कमरे में मीटिंग करते थे और विस्फोटक सामग्री की सप्लाई का रास्ता तय करते थे. पुलिस ने इस कमरे से कई डिजिटल डिवाइस और भी बरामद किए हैं.

फरीदाबाद से बरामद हुए करीब 2900 किलो विस्फोटक

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस जांच में सामने आया कि अल-फलाह कॉलेज के दो फैकल्टी सदस्य उमर उन नबी और डॉक्टर शाहीन शाहिद इसमें शामिल थे. दोनों ने कॉलेज की लैब से केमिकल्स जुटाए और फिर फरीदाबाद के धौज और फतेहपुर टागा गांवों में करीब 2900 किलो विस्फोटक रखा गया था. उमर नबी वही व्यक्ति है जो रेड फोर्ट मेट्रो स्टेशन के पास ब्लास्ट हुई कार चला रहा था.

जांच के घेरे में अल-फलाह यूनिवर्सिटी

अल-फलाह यूनिवर्सिटी की स्थापना 2014 में हुई थी और यह एक निजी संस्थान है. इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और अल्पसंख्यक छात्रों को शिक्षा देना था. लेकिन अब यह यूनिवर्सिटी आतंक नेटवर्क का हब कही जा रही है. यूनिवर्सिटी में जम्मू कश्मीर, यूपी और बिहार से भी कई छात्र पढ़ते हैं. पुलिस को शक है कि यूनिवर्सिटी के भीतर और भी कई लोग इस मॉड्यूल से जुड़े हो सकते हैं.

फॉरेंसिक टीम ने कमरे और लैब से जुटाए सबूत

पुलिस और फॉरेंसिक टीम ने रूम नंबर 13 और मेडिकल कॉलेज की लैब से रासायनिक अवशेष, ग्लासवेयर और डिजिटल डेटा जब्त किया है. कॉलेज की लैब को फिलहाल सील कर दिया गया है. जांचकर्ताओं को शक है कि यहीं से छोटी मात्रा में अमोनियम यौगिक और ऑक्सीडाइजर जुटाए गए थे जिन्हें बाद में मिलाकर विस्फोटक तैयार किए गए.

डिजिटल सबूतों ने खोली आतंकी नेटवर्क

अधिकारियों के अनुसार, आरोपियों ने अपने विदेशी हैंडलर्स से एन्क्रिप्टेड माध्यमों में बातचीत की. उनके फोन और लैपटॉप से ऐसे कोड वर्ड मिले जिनमें ब्लास्ट सामग्री को ‘शिपमेंट’ और ‘पैकेज’ कहा गया था. पुलिस अब इस नेटवर्क के और कनेक्शन तलाश रही है ताकि पूरी साजिश का पर्दाफाश किया जा सके.