अब मनमाना पैसा नहीं वसूल सकेंगी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां, मेडिकल खर्च पर कंट्रोल की तैयारी में सरकार; आम लोगों को मिलेगी राहत
सरकार हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम में तेजी से हो रही बढ़ोतरी को रोकने के लिए नए कदमों पर काम कर रही है. मेडिकल महंगाई बढ़ने और क्लेम सेटलमेंट में असमानता के कारण ग्राहकों पर बोझ बढ़ रहा है. इसी को सुधारने के लिए सरकार IRDAI अस्पताल समूह और बीमा कंपनियों के साथ चर्चा कर रही है. प्रीमियम सीमा कमीशन कंट्रोल और क्लेम प्रोसेस को डिजिटल बनाने जैसे सुझावों पर विचार हो रहा है ताकि ग्राहकों को राहत मिल सके.
Health Insurance Premium Cap: देश में हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम लगातार बढ़ रहे है और लोग महंगे होते इलाज से परेशान है. इसी समस्या को देखते हुए सरकार अब प्रीमियम पर कंट्रोल के उपाय खोज रही है. सरकार ने इंश्योरेंस रेग्युलेटर इंडस्ट्री एक्सपर्ट और हॉस्पिटल ग्रुप्स के साथ चर्चा शुरू की है ताकि हेल्थ इंश्योरेंस को आम लोगों के लिए सस्ता और ट्रांसपेरेंट बनाया जा सके. कई अहम सुझाव इंश्योरेंस रेग्युलेटर IRDAI को भेजे गए है जिन पर अभी फैसला होना बाकी है. साथ ही सरकार यह भी जानना चाहती है कि क्या कंपनियां GST में की गई कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचा भी रही है या नहीं.
पहला फोकस मेडिकल खर्च पर रोक
इकोनामिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार का मानना है कि तेजी से बढ़ रही मेडिकल महंगाई हेल्थ इंश्योरेंस पर सबसे बड़ा दबाव बना रही है. अस्पतालों में इलाज महंगा हो जाने से कंपनियों पर क्लेम बोझ बढ़ गया है. सरकार चाहती है कि अस्पताल और बीमा कंपनियां बिलिंग को ट्रांसपेरेंट बनाए और खर्चो को कंट्रोल करने के उपाय तैयार करें.
प्रीमियम पर लिमिट लगाने पर भी हो रही चर्चा
सरकार हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर एक निश्चित सीमा लगाने पर विचार कर रही है ताकि कंपनियां मनमाने तरीके से प्रीमियम न बढ़ाए. खासकर सीनियर सिटिजन पॉलिसी में हाल के दिनों में बहुत अधिक ग्रोथ देखी गई है. IRDAI ने इस पर चिंता जताई है और कुछ उत्पादो में सालाना ग्रोथ सीमित भी की है.
एजेंट कमीशन पर सख्ती की तैयारी
एजेंट कमीशन भी हेल्थ इंश्योरेंस की लागत को बढ़ाता है. अभी नई पॉलिसी पर 20 फीसदी तक और रिन्यूअल पर 10 फीसदी तक कमीशन दिया जाता है. स्टैंड अलोन हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों में प्रीमियम का 35 फीसदी तक खर्च मैनेजमेंट में शामिल होता है. सरकार और रेग्युलेटर इस सिस्टम को और कड़ा बनाने पर विचार कर रहे है ताकि खर्च कम हो और इसका लाभ ग्राहकों को मिले.
क्लेम सेटलमेंट में ट्रांसपेरेंसी सबसे बड़ी चिंता
रेग्युलेटर IRDAI ने पाया है कि कई मामलों में हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम उम्मीद से कम पेमेंट किए जा रहे है. इससे ग्राहकों में असंतोष बढ़ रहा है. सरकार चाहती है कि सभी क्लेम को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जोड़ा जाए और नेशनल हेल्थ क्लेम्स एक्सचेंज के माध्यम से पूरी प्रक्रिया तेज और ट्रांसपेरेंट बनाई जाए.
अस्पतालों और बीमा कंपनियों के बीच तकरार भी एक कारण
अस्पतालों का कहना है कि उनकी मार्जिन कम है और तकनीक और संसाधन महंगे हो गए है. दूसरी तरफ इंश्योरेंस कंपनियां दावा करती है कि अस्पताल अनियमित तरीके से अधिक बिलिंग करती है जिससे क्लेम बोझ बढ़ जाता है. वित्त मंत्रालय ने दोनों पक्षों को मिलकर समाधान निकालने के निर्देश दिए है ताकि ग्राहक को सही सेवा मिले.
भारत में मेडिकल महंगाई दुनिया से ज्यादा
AON की रिपोर्ट के अनुसार भारत में मेडिकल महंगाई 2026 में 11.5 फीसदी तक पहुंच सकती है जो वैश्विक औसत 9.8 फीसदी से काफी अधिक है. यही मुख्य कारण है कि हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम लगातार ऊपर जा रहे है और सरकार अब इसे कंट्रोल करने के लिए जल्द कदम उठा सकती है.
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