Lenskart IPO: ₹1 कमाई के लिए ₹235 का खर्च, निवेशकों के लिए ग्रोथ की इतनी भारी कीमत क्यों?
Lenskart IPO का अपर प्राइस बैंड 402 रुपये प्रति शेयर रखा गया है. कंपनी की कमाई की तुलना में यह वैल्यूएशन 235x P/E है. यानी कंपनी 1 रुपये की कमाई के लिए 235 से 238 रुपये तक खर्च करने की मांग कर रही है. सवाल उठता है कि इतने कि क्या ग्रोथ के लिए इतने हाई वैल्यूएशन पर निवेश वाजिब है? जानें कंपनी की ग्रोथ, फाइनेंशियल्स और ब्रोकरज व्यू.
 
 
            Lenskart IPO शुक्रवार 31 अक्टूबर को पब्लिक सब्सक्रिप्शन के लिए खुल गया है. लेकिन जितनी चर्चा कंपनी की ब्रांड वैल्यू और ग्रोथ की हो रही है, उतनी ही बहस इसके हाई वैल्यूएशन को लेकर भी है. ET की रिपोर्ट के मुताबिक IPO के अपर प्राइस बैंड 402 रुपये प्रति शेयर पर Lenskart का वैल्यूएशन FY25 की कमाई के हिसाब से 235-238 गुना (P/E) तक पहुंच जाता है. इस तरह यह देश की सबसे महंगी कंज्यूमर-टेक लिस्टिंग्स होने जा रही है.
तेजी से बढ़ रहा बिजनेस
2008 में शुरू हुई Lenskart ने सिर्फ एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से निकलकर आज भारत का सबसे बड़ा ऑर्गनाइज्ड ऑप्टिकल रिटेल नेटवर्क खड़ा कर लिया है. जून 2025 तक कंपनी ने दुनियाभर में 2,806 स्टोर्स खोले हैं, जिनमें से 2,137 भारत में हैं. यह प्रिस्क्रिप्शन ग्लासेस, सनग्लासेस और कॉन्टैक्ट लेंस ऑनलाइन-ऑफलाइन हाइब्रिड मॉडल के जरिए बेचती है.
वित्तीय प्रदर्शन दमदार
वित्त वर्ष 2025 में कंपनी का रेवेन्यू 6,652 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. वहीं, FY23 से FY25 के बीच कंपनी ने 32.5% CAGR से शानदार ग्रोथ की है. वहीं, इस दौरान EBITDA मार्जिन भी 6.9% से बढ़कर 14.7% तक पहुंचा गया है. FY23 में कंपनी जहां 64 करोड़ रुपये के घाटे में थी. FY25 में 296 करोड़ रुपये के प्रॉफिट में आ गई है. हालांकि, Owndays के अधिग्रहण से जुड़े अकाउंटिंग एडजस्टमेंट्स के कारण प्रॉफिट इन्फ्लेटेड है. अगर इसे निकाल दें, तो असल प्रॉफिट करीब 130 करोड़ रुपये के आसपास है.

कहां होगा फंड का इस्तेमाल?
IPO के जरिये कुल 7,278 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है. इसमें 2,150 करोड़ रुपये का फ्रेश इश्यू है और 5,128 करोड़ का ऑफर फॉर सेल (OFS) शामिल है. फ्रेश इश्यू से जुटाई गई रकम का इस्तेमाल रिटेल नेटवर्क के विस्तार, टेक इंफ्रास्ट्रक्चर और मार्केटिंग पर किया जाना है.

वैल्यूएशन बनाम ग्रोथ
ज्यादातर ब्रोकरेज मानते हैं कि लेंसकार्ट की ग्रोथ जबरदस्त है, लेकिन वैल्यूएशन को लेकर राय बंटी हुई है. SBI Securities ने कहा है कि कंपनी की मार्केट लीडरशिप और परफॉर्मेंस प्रभावशाली है, मगर वैल्यूएशन “स्ट्रेच्ड” है. ऊपरी प्राइस बैंड पर कंपनी का EV/Sales 10.1x और EV/EBITDA 68.7x बैठता है, जो रिटेल सेक्टर के औसत से कहीं ऊपर है. ऐसे में लिस्टिंग गेन सीमित रह सकते हैं. वहीं, कुछ एनालिस्ट मानते हैं कि कि P/E (235x) और EV/EBITDA (68x) भले ऊंचे हैं, लेकिन ये Trent और Metro Brands जैसे प्रीमियम लाइफस्टाइल रिटेलर्स के मुकाबले “रीजनबल” दिखते हैं.
सेक्टर में ग्रोथ का कितना दम?
FY25 में भारत का आईवियर मार्केट करीब 74,000 करोड़ रुपये का रहा है, जो FY30 तक 1.48 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. यानी इसमें 13% CAGR ग्रोथ की संभावना है. फिलहाल, इस सेक्टर में 18-20% हिस्सा ऑर्गनाइज्ड खिलाड़ियों के पास है, जो 2030 तक 30% से अधिक हो सकता है.
क्या है कंपनी की असली ताकत?
लेंसकार्ट का वर्टिकली इंटीग्रेटेड सप्लाई चेन मॉडल मजबूत है. कंपनी हर साल 3-4 करोड़ लेंस और 2.5 करोड़ फ्रेम खुद बनाती है, जिससे 70% तक ग्रॉस मार्जिन मिलता है. इसके अलावा कंपनी की टेक्नोलॉजी-फर्स्ट स्ट्रैटेजी भी इसकी सबसे बड़ी ताकत है. फिलहाल, कंपनी के ऐप को 10 करोड़ बार डाउनलोड किया गया है.
इसके अलावा ऐप में मौजूद AI-बेस्ड ट्राय-ऑन फीचर्स और 1.3 करोड़ आई-टेस्ट ने स्टोर्स की पेबैक अवधि को 18-24 महीने से घटाकर सिर्फ 10 महीने कर दिया है. इसके अलावा आने वाले तीन सालों में कंपनी 620 नए स्टोर्स खोलने की योजना बना रही है. इस तरह कंपनी के पास बैवकर्ड इंटीग्रेशन और टेक्नोलॉजी की ताकत के साथ स्पष्ट ग्रोथ प्लान है. यही इसकी असली ताकत है.
क्या हाई वैल्यूएशन वाजिब है?
जाहिर तौर पर लेंसकार्ट IPO एक प्रीमियम पर आ रहा है. ET की रिपोर्ट के मुताबिक मार्केट पार्टिसिपेंट्स इस पर फिर भी दांव लगा रहे हैंं, क्योंकि कंपनी ब्रांड स्टिकनेस, ग्लोबल प्रेजेंस और प्रॉफिटेबिलिटी टर्नअराउंड दिखा चुकी है. वहीं, SBI सिक्योरिटीज का कहना है कि 238x P/E पर निवेश करने का मतलब यह है कि निवेशक को शॉर्ट-टर्म लिस्टिंग गेन से ज्यादा लॉन्ग-टर्म ग्रोथ पर भरोसा रखना होगा.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.
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