क्या प्रयागराज के अलख पांडे बदल देंगे इतिहास? मार्केट ने एड टेक कंपनियों को दिया है झटका, अब PhysicsWallah पर नजर

PhysicsWallah IPO: शिक्षा और धन, मानव विकास के केंद्र में रहे हैं, लेकिन भारतीय शेयर बाजारों में ये दोनों कभी साथ-साथ नहीं चले. दशकों से उद्यमी शिक्षा को वेल्थ में बदलने की कोशिश करते रहे हैं. लेकिन उन्हें कभी शानदार तरीके से सफलता हासिल नहीं हुई है. अब सभी की नजरें अलख पांडे पर टिकी हैं.

फिजिक्सवाला क्या बदल पाएगी इतिहास. Image Credit: Money9live

PhysicsWallah IPO: ठीक उसी समय जब अनुभवी शिक्षक छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाने के साहसिक कार्य में चोटिल होने के बाद अपनी नौकरी छोड़ रहे थे, उसी समय एक शौकिया टीचर यूट्यूब पर अपने लेक्चर के साथ प्रयोग करने में जुटा था. वक्त बीता, अपने प्रयोग में वह सफल हुआ और पॉपुलैरिटी ने उसे देश के सबसे बड़े सेलिब्रिटी टीचरों में शुमार कर दिया. अब उसने कॉरपोरेट जगत में जाकर उनकी लोकप्रियता का फायदा उठाने का फैसला किया है. शिक्षा और धन, मानव विकास के केंद्र में रहे हैं, लेकिन भारतीय शेयर बाजारों में ये दोनों कभी साथ-साथ नहीं चले. दशकों से उद्यमी शिक्षा को वेल्थ में बदलने की कोशिश की है. लेकिन उन्हें कभी शानदार तरीके से सफलता हासिल नहीं हुई है और वे ढंग से फले-फूले नहीं. चाहे वह लिस्टेड एमटी एजुकेयर और एडुकॉम्प हों, या नॉन-लिस्टेड बायजू और अनएकेडमी.

इतिहास बदलने की कोशिश में फिजिक्सवाला

लेकिन धार्मिक नगरी प्रयागराज के अलख पांडे, फिजिक्सवाला नाम की एक ऑनलाइन एजुकेशन कंपनी को मार्केट में लिस्ट करके इतिहास को गलत साबित करने की दिशा में साहसपूर्वक आगे बढ़ रहे हैं. फिजिक्सवाला की मार्केट वैल्यू 31,000 करोड़ रुपये है. अलख पांडे ने एक ऐसे बाजार में हाथ डाला है, जो ऑनलाइन एजुकेशन कंपनियों के लिए कभी सुनहरा साबित नहीं हुआ है. सभी की नजर अब इसी पर है कि क्या इस बार निवेशकों के लिए कुछ अलग होगा.

एमटी एजुकेयर का हुआ था बुरा हाल

एमटी एजुकेयर साल 2012 में आईपीओ लेकर आई थी और कंपनी 2022 में दिवालिया हो गई. इन 10 वर्षों में कंपनी के भीतर बहुत कुछ घटित हुआ. संभावनाओं और ग्रोथ को देखते हुए एमटी एजुकेयर को मार्केट में लेकर उतरने वाले फाउंडर महेश शेट्टी 2020 में कंपनी से बाहर हो गए, क्योंकि कंपनी का अधिग्रहण जीलर्न ने कर लिया.

एड-टेक कंपनी में बदलने का फैसला

ठीक उसी समय जब शेट्टी 2020 में एमटी एजुकेयर से बाहर निकले, पांडे ने अपने लोकप्रिय यूट्यूब चैनल फिजिक्सवाला को पूरी तरह एक एड-टेक कंपनी में बदलने का फैसला किया. उन्होंने प्रतीक माहेश्वरी, एक एंटरप्रन्योर, के साथ साझेदारी की और सपनों को हकीकत में बदलने में जुट गए.

कुछ ही वर्षों में फिजिक्सवाला ने खुद को परीक्षा की तैयारी के क्षेत्र में स्थापित कर लिया. 2887 करोड़ रुपये के साथ इसका रेवेन्यू प्रतिस्पर्धी वेदांतु से 10 गुना अधिक है. वास्तव में, फिजिक्सवाला का रेवेन्यू ऑफलाइन चेन एलन इंस्टीट्यूट के बराबर और आकाश एजुकेशन से भी अधिक है.

दूसरों से कैसे अलग है फिजिक्सवाला

एक्सपर्ट का कहना है कि फिजिक्सवाला अलग है. यह एक ऐसी कंपनी है जिसकी डिस्ट्रीब्यूशन क्षमता बहुत व्यापक है और यह पूरे भारत में अपने कम लागत वाले कोर्स चलाने में सक्षम है. शहरों और टियर-2 व टियर-3 शहरों दोनों तक इसकी पहुंच है. कंपनी ने स्वाभाविक रूप से ग्रोथ किया है और हमेशा से ही कैश में पॉजिटिव रही है. कोर्स लगभग 4,000 रुपय प्रति वर्ष की दर से उपलब्ध हैं. दूसरी तरफ प्रतिस्पर्धियों के कोर्स फिजिक्सवाला के पाठ्यक्रमों से 10 गुना महंगे हैं.

जुटाई है सबसे कम पूंजी

ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, चार ऐप-बेस्ड टेस्ट प्रिपरेशन वेंचर्स (बाकी तीन बायजू, अनएकेडमी और वेदांतु) में से लगभग 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ, फिजिक्सवाला ने सबसे कम पूंजी जुटाई है और सबसे मजबूत बना हुआ है. दरअसल, फिजिक्सवाला की सफलता वास्तव में शिक्षकों पर केंद्रित रहने की फिलॉसफी से जुड़ी है और अब तक, उद्योग में इसकी मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन लागत सबसे कम रही है. इश्यू के बाद प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 72 फीसदी होगी, जो दर्शाता है कि इस खेल में उनकी मजबूत पकड़ है.

ईटी ने अपनी रिपोर्ट में एमटी एजुकेयर के फाउंडर महेश शेट्टी के हवाले से लिखा, ‘हमने बहुत जल्दी नयापन ला दिया. अपनी कोचिंग क्लासेस को ऐप और टैब पर लॉन्च कर दिया. अमिताभ बच्चन को अपनी कंपनी का ब्रांड एंबेसडर बनाया, जिससे खर्च बढ़ गया और बिक्री उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ी. वो अकेले ऐसे थे जो ऑफलाइन मॉडल से ऑनलाइन मॉडल की ओर बढ़ रहे थे. पैसे जुटाने के लिए उन्हें अपने शेयर भी गिरवी रखने पड़े.

फिजिक्सवाला के लिए क्या कारगर रहा

जब फिजिक्सवाला 2021 में 20 लाख एक्टिव लर्नर्स के साथ एक ऐप के रूप में उभरा, तब तक एड-टेक सेक्टर में पांच यूनिकॉर्न कंपनियां थीं. उनमें से तीन – बायजू, अनएकेडमी और वेदांतु – पहले से ही टेस्ट प्रिपरेशन के क्षेत्र में अपनी जगह बना चुके थी और फिजिक्सवाला से सीधे मुकाबला कर रही थीं.

बायजू ने तब कुल 4 अरब अमेरिकी डॉलर जुटाए थे और उसकी वैल्यूएशन 21 अरब अमेरिकी डॉलर थी. अनएकेडमी ने 88 करोड़ अमेरिकी डॉलर जुटाए थे और उसकी वैल्यूएशन 3.44 अरब अमेरिकी डॉलर थी, और वेदांतु ने 32 करोड़ अमेरिकी डॉलर जुटाए थे और उसकी वैल्यूएशन 1 अरब अमेरिकी डॉलर थी.

लगातार विस्तार के बाद बायजू का पतन हो गया और वह वर्तमान में दिवालिया हो रही है. अनएकेडमी कथित तौर पर अपनी मैक्सिमम वैल्यूएशन के दसवें हिस्से के बराबर कीमत पर संकटग्रस्त बिक्री के लिए तैयार है. एक चुनौतीपूर्ण दौर के बाद, वेदांतु ने अपने ऑपरेशन को स्थिर किया है और मौजूदा निवेशकों से कम कीमत पर छोटी रकम जुटाई है.

आम जनता और स्थानीय भाषा बोलने वाले महत्वाकांक्षी युवाओं पर अटूट ध्यान केंद्रित करने के अलावा, अलख पांडे के लिए एक और बात कारगर रही है कि उन्हें प्रतीक माहेश्वरी के रूप में एक साथी मिल गया है. एक शिक्षक के रूप में पांडे की लोकप्रियता और माहेश्वरी की व्यावसायिक कुशलता ने एक बेहतरीन कॉम्बिनेशन बनाया है.

YouTube चैनल से पेड ऐप तक

फिजिक्सवाला ने NEET, JEE और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए इंटरैक्टिव कोर्स प्रदान करने के लिए एक ऐप शुरू किया. फिर वे एक फ्री कंटेंट वाले YouTube चैनल से एक पेड ऐप पर चले गए. तब से यूजर्स की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है. 2024 में, कंपनी का रेवेन्यू 2,015 करोड़ रुपये था और इसकी वैल्यूएशन 2.8 बिलियन रुपये (₹22,500 करोड़) को पार कर गया. 2025 में कुल रेवेन्यू 51% बढ़कर 3,039 करोड़ रुपये हो गया और कंपनी का एबिटा 193 रुपये करोड़ हो गया।

नई चुनौतियां सामने आएंगी

फिजिक्सवाला, आईपीओ से जुटाए गए 3,800 करोड़ रुपये में से लगभग 26.5 करोड़ रुपये उत्कर्ष क्लासेस और एडुटेक में अतिरिक्त हिस्सेदारी हासिल करने में इस्तेमाल किए जाएंगे. जून 2023 में कंपनी ने जाइलम में 50 फीसदी हिस्सेदारी हासिल की, जिसे बाद में दक्षिण भारत में अपनी उपस्थिति मजबूत करने के लिए बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया गया.

वित्त वर्ष 2025 में फिजिक्सवाला को 215 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. नए बाजारों में विस्तार के साथ मार्केटिंग लागत बढ़ने के साथ, एक नई लिस्टेड कंपनी पर मुनाफा कमाने का दबाव होगा. वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में फिजिक्सवाला के रेवेन्यू में 33 फीसदी की वृद्धि हुई.

फिजिक्सवाला इस बात से सहमत है कि उसके प्रमुख रेवेन्यू सेंटर दिल्ली-एनसीआर और शेष उत्तर भारत में हैं. लेकिन दक्षिण के बाजार में विस्तार करना एक चुनौती है. यह अधिक संभावनाओं वाला एक बड़ा बाजार है, लेकिन एक ऑफलाइन इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना मुश्किल होगा.

अब ऐसे समय में जब फिजिक्सवाला ने 3,480 करोड़ रुपये जुटाने के लिए आईपीओ के साथ बाजार में कदम रखा है, तो इस सेक्टर से जुड़े तमाम लोगों के आंखों में चमक और सवाल नजर आ रहे हैं कि, क्या ऑनलाइन एजुकेशन कंपनियों के लिए बाजार में माहौल बदलेगा.

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