ई-कॉमर्स दिग्गज Snapdeal की पैरेंट कंपनी ला रही है IPO, SEBI के पास फाइल किया DRHP; जानें डिटेल्स
Snapdeal की पैरेंट कंपनी Svaksha Group ने SEBI के पास DRHP फाइल कर भारतीय IPO मार्केट में एंट्री की तैयारी शुरू कर दी है. कंपनी ने कॉन्फिडेंशियल प्री-फाइलिंग का रास्ता अपनाया है, जिससे उसे IPO टाइमलाइन और फंड साइज में लचीलापन मिलेगा. इस ट्रेंड को Swiggy, Groww और Tata Capital जैसी कंपनियां पहले ही अपना चुकी हैं.

Snapdeal parent company IPO: भारतीय IPO मार्केट में बीते कुछ महीनों से जोरदार तेजी देखने को मिल रही है. मार्केट में एक के बाद एक IPO दस्तक दे रहे हैं. अब ई-कॉमर्स सेक्टर की एक बड़ी कंपनी अपना IPO लाने वाली है. Snapdeal की पैरेंट कंपनी एसवेक्टर ग्रुप ने आखिरकार अपने IPO की तैयारी शुरू कर दी है. कंपनी ने बाजार नियामक SEBI के पास ड्राफ्ट पेपर (DRHP) फाइल कर दिया है. Snapdeal, जिसने Flipkart और Amazon जैसी कंपनियों को टक्कर दी है, अब निवेशकों को बड़ा मौका देने की तैयारी में है.
गोपनीय तरीके से फाइल किया DRHP
आजकल DRHP फाइलिंग में एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है. ज्यादातर कंपनियां कॉन्फिडेंशियल तरीके से DRHP फाइल कर रही हैं. एसवेक्टर ग्रुप ने भी कुछ ऐसा ही किया है. कंपनी ने गोपनीय पूर्व-फाइलिंग (कॉन्फिडेंशियल प्री-फाइलिंग) का रास्ता अपनाया है, जिसके तहत वह DRHP की जानकारी सार्वजनिक करने से फिलहाल बच सकती है. यह विकल्प भारतीय कंपनियों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, क्योंकि इससे उन्हें IPO की समयसीमा और साइज में लचीलापन मिलता है.
एसवेक्टर ने एक सार्वजनिक बयान में शनिवार को कहा कि उसने प्री-फाइल्ड ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) SEBI और स्टॉक एक्सचेंजों के साथ जमा किया है, जो मेन बोर्ड पर इक्विटी शेयरों के IPO से जुड़ा है.
गोपनीय IPO फाइलिंग का बढ़ता ट्रेंड
हाल के महीनों में कई भारतीय कंपनियों ने इसी रास्ते को अपनाया है. इनमें Swiggy (फूड डिलीवरी), Vishal Mega Mart (रिटेल चेन), Groww (स्टॉक ब्रोकिंग), PhysicsWallah (एडटेक यूनिकॉर्न), boAt (वियरेबल्स ब्रांड) और Tata Capital जैसी कंपनियां शामिल हैं.
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क्या होता है फायदा
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि कॉन्फिडेंशियल प्री-फाइलिंग से कंपनियों को ज्यादा लचीलापन मिलता है और जल्दी IPO लाने का दबाव कम हो जाता है. सामान्य प्रक्रिया में कंपनियों को SEBI की मंजूरी मिलने के 12 महीने के भीतर IPO लाना होता है, लेकिन इस नए तरीके में यह समय सीमा बढ़कर 18 महीने हो जाती है. साथ ही, कंपनियां अपने IPO का साइज (फंड जुटाने की रकम) 50 प्रतिशत तक बदल सकती हैं, जब तक अपडेटेड DRHP जारी नहीं हो जाता.
ई-कॉमर्स सेक्टर में हो सकता है अहम मोड़
एसवेक्टर का यह कदम दिखा रहा है कि कंपनी जल्द ही बाजार में उतरने की तैयारी कर रही है. हालांकि, अभी SEBI की मंजूरी और आगे की प्रक्रिया पूरी होनी बाकी है. निवेशकों और बाजार विश्लेषकों की नजरें अब इस IPO पर टिकी हुई हैं, जो भारतीय ई-कॉमर्स क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है.
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