2016 से अटका NSE का IPO अब पटरी पर! सेबी चीफ ने बता दी टाइमलाइन; क्या आपको भी है इंतजार
SEBI चीफ तुहिन कांत पांडे के ताजा बयान से यह साफ हो गया है कि NSE का IPO अब करीब है. उनकी बातों से यह झलकता है कि SEBI बाजार को मजबूत और भरोसेमंद बनाने के लिए निरंतर सुधारों पर काम कर रहा है. अगर सब कुछ योजना के अनुसार रहा, तो NSE का IPO आने वाले समय में भारत के पूंजी बाजार का ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हो सकता है.
NSE IPO: भारत के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का IPO पिछले कई सालों से चर्चा में है, लेकिन अभी तक हकीकत नहीं बन सका है. इस इंतजार की घड़ी में निवेशकों के लिए एक बड़ी खबर है. SEBI के चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने इसे लेकर एक बड़ी जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि NSE का IPO उनके कार्यकाल के दौरान ही आएगा. उनका यह बयान निवेशकों के बीच नई उम्मीद लेकर आया है, क्योंकि 2016 से रुका यह IPO भारत के शेयर बाजार के इतिहास में सबसे बड़ा पब्लिक इश्यू माना जा रहा है. सेबी चीफ ने ये जानकारी बिजनेस स्टैंडर्ड BFSI इनसाइट समिट 2025 में दी.
NSE IPO पर SEBI प्रमुख का आश्वासन
सेबी चीफ ने NSE IPO के टाइमलाइन के सवाल पर यह स्पष्ट किया कि अगर उनका कार्यकाल कम वक्त का नहीं रहता है, तो एनएसई के आईपीओ को दिन का सूरज देखना नसीब हो जाएगा. बात दें यह पहली बार है जब किसी SEBI प्रमुख ने NSE की लिस्टिंग को लेकर इतना स्पष्ट संकेत दिया है. अब यह साफ दिख रहा है कि IPO के रास्ते में खड़ी प्रशासनिक बाधाएं धीरे-धीरे हट रही हैं. हालांकि निवेशकों को अभी तक NSE IPO Date पर कोई साफ जानकारी नहीं दी गई है.
साल 2016 से अटका है NSE का 10,000 करोड़ का IPO
दरअसल, NSE ने साल 2016 में 22 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर लगभग 10,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई थी. लेकिन यह प्रक्रिया अब तक आगे नहीं बढ़ सकी क्योंकि एक्सचेंज को SEBI से No-Objection Certificate (NOC) नहीं मिला.
यह सर्टिफिकेट बेहद जरूरी है, क्योंकि इसके बिना NSE अपना Draft Red Herring Prospectus (DRHP) दाखिल नहीं कर सकता, जो किसी भी IPO प्रक्रिया का पहला कदम होता है. तुहिन कांत पांडे ने हालांकि कोई निश्चित तारीख नहीं बताई, लेकिन उनके बयान से यह साफ संकेत मिला कि अब IPO को लेकर अंदरखाने तैयारी शुरू हो चुकी है.
F&O ट्रेडिंग पर बैलेंस रुख अपनाएगा SEBI
इसके अलावा सेबी चीफ ने बातचीत में शेयर बाजार के डेरिवेटिव्स (Derivatives) और Futures & Options (F&O) से जुड़ी बढ़ती सट्टेबाजी पर भी बात की. उन्होंने माना कि SEBI के अपने अध्ययन में सामने आया है कि खुदरा निवेशकों को F&O ट्रेडिंग में भारी नुकसान झेलना पड़ता है. उन्होंने कहा कि SEBI का उद्देश्य बाजार को रोकना नहीं, बल्कि जोखिम को संतुलित करना है. इसी के चलते SEBI ने हाल में कई नियम लागू किए हैं. इसमें सप्ताह में सिर्फ दो दिन ही एक्सपायरी की अनुमति होगी और एक दिन में केवल एक ही इंडेक्स की एक्सपायरी होगी. पांडे ने कहा, क्या हम बाजार को एक झटके में बंद कर सकते हैं? ऐसा करना व्यावहारिक नहीं होगा. उनका कहना था कि कोई भी बड़ा कदम डेटा एनालिसिस और सार्वजनिक परामर्श (Public Consultation) के बाद ही लिया जाएगा.
विदेशी निवेशकों पर भरोसा कायम
हाल में विदेशी निवेशकों द्वारा भारत से पैसा निकालने की खबरें आई थीं. इस पर SEBI प्रमुख ने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है. उन्होंने बताया कि FPIs (Foreign Portfolio Investors) ने भले ही 4 से 5 अरब डॉलर निकाले हों, लेकिन भारत में उनका कुल निवेश करीब 900 अरब डॉलर है, इसलिए यह आंकड़ा बहुत छोटा है. उन्होंने कहा कि विदेशी निवेशक लंबी अवधि में भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर काफी आश्वस्त हैं और उनके लिए भारत अब भी एक आकर्षक बाजार है. उन्होंने जोड़ा कि SEBI निवेश प्रक्रिया को उनके लिए और आसान और पारदर्शी बनाने पर काम कर रहा है.
भारतीय शेयर बाजार की तेजी पर SEBI प्रमुख का जोर
तुहिन कांत पांडे ने यह भी बताया कि पिछले कुछ सालों में भारतीय पूंजी बाजार ने जबरदस्त ग्रोथ दिखाई है. 2018-19 में निवेशकों की संख्या करीब 4 करोड़ थी, जो अब बढ़कर 13.5 करोड़ से अधिक हो गई है. वहीं, मार्केट कैपिटलाइजेशन 2015-16 में GDP का 69 फीसदी था, जो अब 129 फीसदी तक पहुंच चुका है. उन्होंने कहा, ये आंकड़े सिर्फ डेटा नहीं हैं, बल्कि भारतीय बाजार में निवेशकों के भरोसे का प्रमाण हैं.
इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि, सोशल मीडिया पर गुमराह करने वाले फिनफ्लुएंसर्स के खिलाफ SEBI लगातार कार्रवाई कर रहा है. तुहिन कांत पांडे ने बताया कि SEBI हर महीने करीब 5,000 भ्रामक पोस्ट या वीडियो हटाता है, और अब तक 1 लाख से ज्यादा टेकडाउन हो चुके हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि जो भी निवेशकों को धोखा देगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी.
म्यूचुअल फंड नियमों की समीक्षा
सेबी चीफ ने यह भी कहा कि सेबी अब Mutual Fund Regulations की समीक्षा करने जा रहा है ताकि Expense Ratio यानी म्यूचुअल फंड्स की लागत को पारदर्शी बनाया जा सके. उन्होंने कहा कि उद्देश्य यह है कि निवेशकों को अधिक स्पष्ट जानकारी मिले और उद्योग का विकास भी प्रभावित न हो.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.
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