अब म्यूचुअल फंड पहले जैसा नहीं! 2025 में बदले ये बड़े नियम, TER-NAV-Exit Load समेत देखें पूरी लिस्ट
SEBI ने 2025 में म्यूचुअल फंड उद्योग में अब तक के सबसे बड़े बदलाव कर दिए हैं. TER घटा, NAV की टाइमिंग बदली, Exit Load पर नए नियम लागू हुए और कई बड़ी गाइडलाइंस पूरी तरह रीसेट कर दी गईं. इन बदलावों का सीधा असर निवेशकों की लागत, रिटर्न और जोखिम पर पड़ेगा. यहां देखें 2025 की पूरी अपडेटेड लिस्ट और जानें कि आपका निवेश कैसे बदलने वाला है.
Mutual fund rule changes 2025: भारत में म्यूचुअल फंड निवेश को और सुरक्षित, सस्ता और पारदर्शी बनाने के लिए सेबी ने 2025 में कई बड़े नियम बदले हैं. कुछ नियम लागू हो चुके हैं, जबकि कुछ पर अभी सुझाव मांगे गए हैं. ऐसे में आइए विस्तार में समझते हैं, क्या-क्या बदल रहा है और इसका निवेशकों पर क्या असर होगा.
SEBI ने 16 मार्च 2025 से एक नया सिस्टम शुरू किया है, जिसे MF-Lite कहा गया है. यह सिर्फ पैसिव फंड्स पर लागू होगा, जैसे कुछ इंडेक्स फंड, ETF और पैसिव FoF फंड्स. इन पर पहले की तुलना में कम नियम और कम कागजी प्रक्रिया लागू होगी, ताकि ऐसे फंड सस्ते और आसान तरीके से चल सकें.
लिक्विड और ओवरनाइट फंड में नई कट-ऑफ टाइमिंग
1 जून 2025 से इन फंड्स की यूनिट बेचने के लिए नई समय सीमा तय की गई है. अगर रिक्वेस्ट दोपहर 3 बजे तक आती है, तो अगले कारोबारी दिन से पहले वाले दिन का NAV लगेगा. अगर 3 बजे के बाद आती है, तो अगले कारोबारी दिन का NAV लगेगा. ऑनलाइन रिक्वेस्ट के लिए ओवरनाइट फंड्स में 7 बजे तक की छूट दी गई है. इससे NAV लगने को लेकर भ्रम कम होगा.
पैसिव ब्रीच पर साफ गाइडलाइन
कई बार बाजार में अचानक उतार-चढ़ाव से फंड की एसेट एलोकेशन तय सीमा से बाहर चली जाती है. इसे पैसिव ब्रीच कहा जाता है. अब सेबी ने तय समयसीमा तय कर दी है कि ऐसी स्थिति में फंड हाउस कितने समय में पोर्टफोलियो को सही करे. इससे फंड में अनचाहे जोखिम कम होंगे. एग्जिट लोड की अधिकतम सीमा घटाई गईपहले म्यूचुअल फंड्स 5 फीसदी तक का एग्जिट लोड लगा सकते थे. सेबी ने इसे घटाकर 3 फीसदी कर दिया है. ज्यादातर फंड वैसे भी 1 से 2 फीसदी तक ही चार्ज करते हैं, लेकिन नई सीमा से निवेशकों पर अतिरिक्त बोझ कम होगा.
IA और RA अब बैंक की जगह MF में जमा रख सकेंगे पैसा
इन्वेस्टमेंट एडवाइजर और रिसर्च एनालिस्ट अब अपनी अनिवार्य जमा राशि बैंक में रखने की जगह लिक्विड या ओवरनाइट फंड में रख सकते हैं. यह 30 सितंबर 2025 से लागू है. इससे उनका पैसा सुरक्षित भी रहेगा और थोड़ा रिटर्न भी मिलेगा.
REITs को इक्विटी कैटेगरी में बदला गया
1 जनवरी 2026 से म्यूचुअल फंड्स द्वारा REITs में निवेश को इक्विटी निवेश माना जाएगा. इससे इक्विटी फंड्स में REITs की हिस्सेदारी बढ़ सकती है. हालांकि, 31 दिसंबर 2025 तक मौजूद REIT निवेश पुराने नियमों के तहत ही रहेंगे. सेबी ने 2025 में कई बड़े बदलाव सुझाए हैं, जिनका असर सीधे निवेश की लागत पर पड़ेगा.
- टोटल एक्सपेंस रेशियो यानी TER कम किया जाएगा.
- इंडेक्स फंड और ETF और ज्यादा सस्ते होंगे.
- फंड-ऑफ-फंड्स की लागत भी थोड़ी कम होगी.
- बड़ी AUM वाले फंड्स में भी खर्च घटेगा.
- ब्रोकरेज शुल्क बहुत कम कर दिया गया है.
- GST, STT, स्टांप ड्यूटी जैसे टैक्स अब TER से अलग दिखाए जाएंगे.
- मार्केटिंग और नए फंड लॉन्च की लागत अब AMC खुद देगी.
- परफॉर्मेंस-based TER की अनुमति होगी-बेहतर रिटर्न देने वाले फंड ज्यादा TER ले सकेंगे.
इन सभी बदलावों का मकसद निवेशकों को ज्यादा सुरक्षा, कम खर्च और ज्यादा पारदर्शिता मिले. इससे म्यूचुअल फंड उद्योग में भरोसा बढ़ेगा और निवेशकों के लिए यह और आसान ऑप्शन बन जाएगा.
इसे भी पढ़ें: निवेशकों के लिए सुपर वीक! इस हफ्ते खत्म हो रहा 8 दिग्गज IPO का लॉक-इन, Lenskart-Pine Labs-Groww भी शामिल
Latest Stories
Union Consumption Fund NFO लॉन्च, भारत की महाखपत कहानी में निवेश का नया अवसर
₹5000 की SIP का कमाल…बन गए ₹22.95 लाख! ये 3 फंड बने ‘वेल्थ-क्रिएशन’ मशीन; मिडकैप हैं असली हीरो!
अगर आप भी करते हैं 16000 रुपये की SIP, तो जानिए कब बनेंगे करोड़पति; यह तरीका है और भी कारगर
