SEBI ने म्यूचुअल फंड्स को Pre-IPO में निवेश से रोका, सिर्फ एंकर बुक या पब्लिक इश्यू में निवेश की इजाजत

SEBI ने म्यूचुअल फंड्स को Pre-IPO प्लेसमेंट्स में निवेश करने से रोक दिया है. अब ये केवल एंकर बुक या पब्लिक इश्यू में ही निवेश कर सकते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक सेबी का यह फैसला अनलिस्टेड शेयरों के जोखिम से निवेशकों की सुरक्षा के लिए है.

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भारतीय शेयर बाजार के नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने साफ कर दिया है कि म्यूचुअल फंड्स अब Pre-IPO प्लेसमेंट्स में हिस्सा नहीं ले पाएंगे. मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक अब म्यूचुअल फंड्स केवल एंकर इन्वेस्टर के तौर पर या पब्लिक इश्यू में ही निवेश कर सकते हैं. यह कदम 1996 के SEBI म्यूचुअल फंड रेगुलेशन की सातवीं अनुसूची के 11वें क्लॉज के तहत आया है. इसमें कहा गया है कि म्यूचुअल फंड केवल लिस्टेड या लिस्ट होने वाले सिक्योरिटीज में ही निवेश कर सकते हैं.

निवेशकों के हित में फैसला

SEBI ने यह निर्देश इसलिए जारी किया, क्योंकि Pre-IPO में निवेश में जोखिम ज्यादा होता है. अगर IPO में देरी होती है या रद्द हो जाता है, तो फंड्स अनलिस्टेड शेयरों में फंस सकते हैं, जो नियमों के खिलाफ है. नियामक ने AMFI को तुरंत इस निर्देश को सभी AMCs तक पहुंचाने और पालन सुनिश्चित करने को कहा है.

फंड मैनेजर्स की बढ़ेगी चिंता

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ फंड मैनेजर्स की चिंता इससे बढ़ जाएगी. क्योंकि वे Pre-IPO निवेश से वे हाई रिटर्न (Alpha) कमा सकते थे, क्योंकि IPO में अक्सर कीमत पहले से तय रहती है और प्राइवेट निवेशकों को फायदा होता है. इसके अलावा एंकर बुक में शामिल होना उतना प्रॉफिटेबल नहीं होता है. ऐसे में Pre-IPO में निवेश के रोके जाने से केवल अमीर निवेशकों के लिए ही अवसर बचता है.

कैसी है इंडस्ट्री प्रतिक्रिया

रिपोर्ट में इंडस्ट्री इनसाइडर्स के हवाले से बताया गया है कि SEBI के इस कदम को ज्यादातर फंड मैनेजर्स ने अजीब और आश्चर्यजनक बताया है. उनका कहना है कि अन्य रेगुलेटेड संस्थागत निवेशकों जैसे फैमिली ऑफिसेज, AIFs और विदेशी निवेशकों को Pre-IPO में निवेश की अनुमति है, लेकिन म्यूचुअल फंड्स को बाहर रखना सही नहीं. वहीं, सेबी का कहना है कि निवेशकों को अनलिस्टेड शेयरों के जोखिम से बचाना जरूरी है.

म्यूचुअल फंड निवेशकों पर क्या होगा असर?

SEBI के फैसले के बाद म्यूचुअल फंड्स Pre-IPO प्लेसमेंट्स में निवेश नहीं कर पाएंगे, जिससे निवेशकों के लिए Alpha के अवसर कम हो जाएंगे. हालांकि, यह कदम निवेशकों की सुरक्षा के लिहाज से अहम है, क्योंकि अगर किसी IPO में देरी होती है या रद्द हो जाता है, तो फंड्स के पास अनलिस्टेड शेयर फंस सकते हैं.

अब फंड केवल Anchor Investor हिस्से या पब्लिक इश्यू में निवेश करेंगे, जो पहले से सुरक्षित और नियमबद्ध हैं. इसकी वजह से फंड्स को पोर्टफोलियो रणनीतियों में बदलाव करना होगा और रिटर्न की संभावना सीमित हो सकती है, लेकिन निवेशकों का जोखिम कम होगा और ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी.