8वें वेतन के बजट का आ गया कैलकुलेशन, 25% बढ़ी सैलरी के लिए चाहिए इतना पैसा, 2.5 करोड़ कर्मचारियों को फायदा
8वें वेतन आयोग की रिपोर्ट अगले 18 महीने में आने की उम्मीद है और इसे जनवरी 2026 से लागू किया जा सकता है. अनुमान है कि केंद्र और राज्यों पर हर साल कुल 3.7 से 3.9 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. इसमें वेतन और पेंशन में 20 से 25 प्रतिशत बढ़ोतरी शामिल है. केंद्र पर 1.4 लाख करोड़ और राज्यों पर 2.3 से 2.5 लाख करोड़ रुपये का दबाव बढ़ेगा, जिससे वित्तीय घाटा भी बढ़ सकता है.
Pay Commission Impact: देश में 8वां वेतन आयोग लागू होने की तैयारियां तेज हो गई है. आयोग की रिपोर्ट अगले 18 महीने में आने की उम्मीद है और इसे जनवरी 2026 से लागू करने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि इससे सरकार की जेब पर कितना बोझ पड़ेगा. मौजूदा अनुमान बताते है कि केंद्रीय सरकार और राज्य सरकारों पर मिलाकर हर साल 3.7 से 3.9 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च बढ़ सकता है. इसमें वेतन और पेंशन में 20 से 25 फीसदी की बढ़ोतरी शामिल है.
8वां वेतन आयोग से कितना खर्च बढ़ेगा
द इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट में असिस्टेंट प्रोफेसर पुष्पेंद्र सिंह (सोमैया विद्याविहार यूनिवर्सिटी, मुंबई) और असिस्टेंट प्रोफेसर अर्चना सिंह, (इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज, मुंबई) ने बताया है कि, अगर आयोग की सिफारिशें लागू होती है तो केंद्र सरकार पर हर साल 1.4 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. राज्य सरकारों पर इससे अधिक असर दिखेगा क्योंकि वे करीब 1.9 करोड़ कर्मचारियों को वेतन देती है. ऐसे में राज्यों का कुल अतिरिक्त खर्च 2.3 से 2.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. दोनों को जोड़कर यह खर्च 3.7 से 3.9 लाख करोड़ रुपये प्रतिवर्ष तक जाएगा.
वित्तीय घाटा कितना बढ़ेगा
केंद्र सरकार का वित्तीय घाटा अभी जीडीपी का 4.4 फीसदी है. 8वें वेतन आयोग के बाद यह 5 फीसदी तक बढ़ सकता है. इसका कारण यह है कि वेतन और पेंशन का कुल खर्च 2025 26 में ही करीब 5.7 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है. इसमें बढ़ोतरी से वित्तीय स्पेस और तंग हो जाएगा.
| कैटेगरी | मुख्य जानकारी |
|---|---|
| कुल अतिरिक्त खर्च | 3.7 से 3.9 लाख करोड़ रुपये प्रति वर्ष (केंद्र + राज्य) |
| वेतन–पेंशन बढ़ोतरी | 20 से 25 प्रतिशत तक बढ़ोतरी का अनुमान |
| केंद्र सरकार पर बोझ | 1.4 लाख करोड़ रुपये प्रति वर्ष |
| राज्य सरकारों पर बोझ | 2.3 से 2.5 लाख करोड़ रुपये प्रति वर्ष |
| वित्तीय घाटा (केंद्र) | 4.4% से बढ़कर 5% तक जा सकता है |
| वित्तीय घाटा (राज्य) | 3% से बढ़कर 3.7% तक पहुंच सकता है |
| राज्यों का वेतन–पेंशन बिल | 9 से 10 लाख करोड़ रुपये सालाना |
| लाभार्थी | कुल 2.5 करोड़ (50 लाख केंद्रीय कर्मचारी, 65 लाख केंद्रीय पेंशनर, 1.85 करोड़ राज्य कर्मचारी) |
| कर्मचारियों का फायदा | वेतन में 20–25% वृद्धि, इनकम व परचेजिंग पावर बढ़ेगी |
राज्यों पर सबसे बड़ा असर
राज्य सरकारों का वेतन और पेंशन बिल पहले से ही 9 से 10 लाख करोड़ रुपये के बीच है. अगर 70 फीसदी राज्य 8वें वेतन आयोग को लागू करते है, जैसा कि पहले हुआ है, तो उनका वित्तीय घाटा जीएसडीपी के 3 फीसदी से बढ़कर 3.7 फीसदी तक पहुंच सकता है. यह राज्यों के विकास खर्च पर दबाव बढ़ा सकता है.
कर्मचारियों को कितना फायदा
8वें वेतन आयोग से लगभग 2.5 करोड़ कर्मचारियों और पेंशनरों को फायदा होगा. इसमें 50 लाख केंद्रीय कर्मचारी, 65 लाख केंद्रीय पेंशनर और लगभग 1.85 करोड़ राज्य कर्मचारी शामिल है. उनकी सैलरी में 20 से 25 फीसदी तक बढ़ोतरी होने का अनुमान है, जिससे उनकी इनकम और परचेजिंग पावर बढ़ेगी.
यह भी पढ़ें- 8वें वेतन आयोग के टर्म ऑफ रेफरेंस पर बढ़ा विवाद, पेंशनर्स ने उठाए सवाल, जल्द लागू करने की मांग हुई तेज
अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा
वेतन बढ़ने से जहां कर्मचारियों की इनकम बढ़ेगी, वहीं सरकारों की वित्तीय स्थिति पर दबाव बढ़ेगा. टैक्स बढ़ाना, उधार लेना या विकास खर्च में कटौती करना सरकारों के सामने चुनौती बन सकता है. अगर खर्च बढ़ा और प्रोडक्टिविटी नहीं बढ़ी तो अर्थव्यवस्था पर लंबी अवधि में असर पड़ सकता है.
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