8वें वेतन आयोग में केवल रोटी, कपड़े, मकान ही नहीं, अब मोबाइल और इंटरनेट बिल भी जोड़े जाएं; मिनिमम सैलरी के लिए स्टाफ साइड की मांग

8वें वेतन आयोग से पहले स्टाफ साइड ने न्यूनतम वेतन तय करने के लिए नया और आधुनिक फॉर्मूला सुझाया है. इसमें भोजन, कपडे और आवास के अलावा मोबाइल, इंटरनेट और डिजिटल सेवाओं जैसे जरूरी खर्च शामिल करने की मांग की गई है. 7वें वेतन आयोग ने 1957 के ILC स्टैंडर्ड अपनाए थे, जो आज की जरूरतों को कवर नहीं करते.

स्टाफ साइड ने न्यूनतम वेतन तय करने के लिए नया फॉर्मूला सुझाया है. Image Credit: money9live

8th Pay Commission: 8वां वेतन आयोग शुरू होने से पहले ही कर्मचारियों की मिनिमम सैलरी को लेकर बड़ी चर्चा शुरू हो गई है. इसी बीच स्टाफ साइड ने ऐसा नया फॉर्मूला सुझाया है जो आज की असली जरूरतों पर आधारित है. इसमें सिर्फ भोजन, कपडे़ और घर के खर्च नहीं, बल्कि मोबाइल, इंटरनेट और डिजिटल जरूरतों को भी शामिल करने की मांग की गई है. 7वां वेतन आयोग पुराने स्टैंडर्ड पर आधारित था, इसलिए नया प्रस्ताव कर्मचारियों की लाइफस्टाइल और असल खर्च को ध्यान में रखते हुए ज्यादा प्रैक्टिकल माना जा रहा है.

स्टाफ साइड ने क्यों मांगा नया फॉर्मूला

NC JCM स्टाफ साइड ने 8th CPC को बताया है कि आज की लाइफस्टाइल पहले जैसी नहीं रही. अब परिवार का खर्च कैलोरी, किराना और कपडों से आगे बढ़कर मोबाइल, इंटरनेट, डिजिटल सेवाओं और सोशल खर्च तक फैला है. इसलिए न्यूनतम वेतन तय करते समय इन सभी खर्चो को शामिल करना जरूरी है.

TOR में क्या है और क्या कमी रह गई

8वें वेतन आयोग के टर्म ऑफ रेफरेंस यह तो कहते हैं कि सैलरी स्ट्रक्चर ऐसा हो जो टैलेंट आकर्षित करें, लेकिन इसमें न्यूनतम वेतन कैसे तय हो, इसका कोई तरीका नहीं बताया गया. इसलिए स्टाफ साइड चाहती है कि आयोग एक ऐसा फॉर्मूला बनाए जो बदलते समय के अनुसार फिट बैठे.

7वें वेतन आयोग ने कैसे तय किया था वेतन

7th CPC ने 1957 के इंडियन लेबर कॉन्फ्रेंस (ILC) स्टैंडर्ड अपनाए थे. इन मानकों में एक परिवार की जरूरतें जैसे भोजन, दूध, कपड़े, बिजली, ईंधन और घर का खर्च शामिल था. यह तरीका जरूरत आधारित था, लेकिन आज की डिजिटल जरूरतों को यह कवर नहीं कर पाता.

पुराने फॉर्मूले की सबसे बड़ी कमी

ILC का फार्मूला मोबाइल, इंटरनेट, वाइफाई या डिजिटल सेवाओं जैसे जरूरी खर्च को शामिल नहीं करता. लेकिन आज हर घर में ये बेसिक जरूरत बन चुके हैं. इसलिए कर्मचारी संगठन चाहते हैं कि मिनिमम सैलरी में इन खर्चो को भी जोड़ा जाए, ताकि वेतन वास्तविक जीवन के खर्चो को पूरा कर सके.

नया फॉर्मूला कर्मचारियों के लिए क्यों जरूरी है

आज का खर्च सिर्फ खाना और कपड़ो पर नहीं रुकता. बच्चे की पढ़ाई, डिजिटल बैंकिंग, इंटरनेट और ऑनलाइन सेवाएं अब परिवार का जरूरी हिस्सा हैं. अगर वेतन इन्हें कवर नहीं करेगा तो कर्मचारियों की असल खरीद क्षमता कम होती जाएगी. नया प्रस्ताव इसी गैप को भरने की कोशिश है.

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अब आगे क्या होगा

स्टाफ साइड इस फॉर्मूले को औपचारिक रूप से 8वें वेतन आयोग को सौपेगी. इसके बाद आयोग इसका अध्ययन करेगा और सरकार को अंतिम सिफारिश देगा. उम्मीद है कि 8th CPC पुराने मानकों और आधुनिक जरूरतों को मिलाकर ऐसा सैलरी स्ट्रक्चर बनाएगा जो कर्मचारियो के लिए ज्यादा संतुलित और फायदेमंद हो.