8वें वेतन आयोग में कितनी बढ़ेगी सैलरी? जानें ग्रेड पे, पे बैंड और पे मैट्रिक्स से कैसे कैलकुलेट होगा पैसा
सरकार ने जनवरी 2025 में 8वें वेतन आयोग का ऐलान किया, जिससे 1 करोड़ से अधिक केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों को फायदा होने की उम्मीद है. इसके तहत फिटमेंट फैक्टर 2.86 हो सकता है. इस वेतन संशोधन में पे बैंड, ग्रेड पे और पे मैट्रिक्स की बड़ी भूमिका होगी.

8th Pay Commission: सरकार ने इस साल जनवरी में 8वें वेतन आयोग के गठन का ऐलान किया. इस फैसले से देश में 1 करोड़ से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनधारकों को फायदा मिलने की उम्मीद है. ऐलान के बाद से ही कर्मचारियों में इस बात को लेकर चर्चा तेज है कि इसके लागू होने के बाद उनकी सैलरी में कितनी बढ़ोतरी होगी, फिटमेंट फैक्टर कितना होगा और उनका सैलरी स्ट्रक्चर कैसा बदलेगा. इसको लेकर कर्मचारियों के संगठन ने सरकार के साथ कई स्तर की बैठक भी की है. उनकी मांग है कि सरकार 2.86 फिटमेंट फैक्टर रखे, हालांकि इसको लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है. वेतन आयोग में सैलरी कैसे बदलेगी और कितनी बदलेगी, यह पे ग्रेड, पे बैंड और पे मैट्रिक्स से तय होता है. तो आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं.
क्या होता है पे बैंड
कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर में समय-समय पर बड़े बदलाव हुए हैं. छठे वेतन आयोग (2006) में एक बड़ा सुधार किया गया, जिसमें पहली बार पे बैंड (Pay Band) और ग्रेड पे (Grade Pay) की व्यवस्था लाई गई. इससे पहले, हर विभाग और पद के लिए अलग-अलग वेतनमान थे, जिनकी संख्या हजारों में थी और यह सिस्टम बहुत जटिल था. छठे वेतन आयोग ने इसको सरल बनाने के लिए सभी पदों को चार मुख्य पे बैंड्स में बांट दिया, जैसे – PB-1 (5200–20200 रुपये), PB-2 (9300–34800 रुपये) आदि.
क्या होता है ग्रेड पे
पे बैंड के अंदर कर्मचारियों की वरिष्ठता और जिम्मेदारी के आधार पर ग्रेड पे जोड़ा गया. हर पद के लिए एक तय ग्रेड पे निर्धारित किया गया, जैसे क्लर्क के लिए 2400 रुपये और सेक्शन ऑफिसर के लिए 4800 रुपये. ग्रेड पे को पे बैंड के अंदर मूल वेतन में जोड़कर कुल बेसिक सैलरी तय होती थी. हालांकि, इस व्यवस्था में एक बड़ी समस्या यह थी कि कई बार जूनियर कर्मचारी अपने सीनियर से अधिक वेतन पाने लगते थे, क्योंकि ग्रेड पे और प्रमोशन के बीच संतुलन नहीं बन पाता था. इससे वेतन में असमानता और भ्रम की स्थिति पैदा होती थी.
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क्या होता है पे मैट्रिक्स
सातवें वेतन आयोग (2016) में पे बैंड और ग्रेड पे की जगह एक नया सिस्टम लाया गया जिसे पे मैट्रिक्स (Pay Matrix) कहा जाता है. यह एक सरल चार्ट होता है जिसमें 18 लेवल होते हैं. हर लेवल एक सरकारी पद का प्रतिनिधित्व करता है और उसमें तय वेतनमान होता है और हर साल सैलरी में बढ़ोतरी होती है. उदाहरण के लिए, लेवल 6 की शुरुआती सैलरी 35400 रुपये होती है और हर साल इसमें तय तरीके से बढ़ोतरी होती है. प्रमोशन होने पर कर्मचारी ऊपरी लेवल पर चला जाता है. इस नई व्यवस्था ने सैलरी तय करने के तरीके को पहले से ज्यादा ट्रांसपेरेंट, सरल और समान बना दिया है.
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