ग्रॉस और इन-हैंड सैलेरी में क्या फर्क? जानें अपनी महीने की कमाई से जुड़ी हर बात
कई लोगों को अपनी सैलेरी से जुड़ी चीजों का कुछ मालूम नहीं होता, जैसे ग्रॉस या नेट सैलेरी का क्या मतलब, DA, HRA, बेसिक सैलेरी क्या है, सीटीसी क्या है, पीएफ क्या होता है?
नौकरी पेशा लोगों को अपनी सैलेरी से जुड़ी हर बात की समझ होना बहुत जरूरी है. जो लोग अपने करियर की शुरुआत में होते हैं खासकर वे लोग सैलेरी से जुड़ी चीजों पर ध्यान तक नहीं देते, उन्हें समझ नहीं आता कि ग्रॉस या नेट सैलेरी का क्या मतलब है, डीए क्या होता है, बेसिक सैलेरी क्या है, सीटीसी क्या है, पीएफ, एचआरए क्या होता है? ये सब तो हम आपको बताएंगे ही लेकिन इन सबकी जानकारी रखना क्यों जरूरी ये भी बताएंगे.
सीटीसी मतलब कॉस्ट टू कंपनी है, यानी आपकी कंपनी आपके ऊपर कितना खर्च कर रही है, लागत क्या है. सीटीसी हमेशा आपकी इन-हैंड सैलेरी से ज्यादा होता है.
इसमें आपकी बेसिक सेलेरी, डीए, एचआरए, पीएफ ये सब जुड़ा होता है. डीए आपको महंगाई की वजह से मिलता है ताकी आप महंगाई से निपट सकें. एचआरए माने हाउस रेंट अलाउंस है ताकी आप किराया निकाल सकें. और आप जो कंपनी को सेवा देते हैं उसके बदले आपको बेसिक सैलेरी तो मिलनी ही होती है. फिर पीएफ जो आपकी रिटायरमेंट प्लानिंग का अहम हिस्सा है. आपकी बेसिक सैलेरी का 12% कंपनी और आप जमा करते हैं. इसे भी सीटीसी में जोड़ दिया जाता है.
ग्रोस और नेट सैलेरी में फर्क जानें
ग्रोस सैलेरी वो राशि है जिसमें से कोई डिडक्शन नहीं होते हैं यानी इसमें पीएफ और बीकी चीजें जुड़ी होती हैं.
नेट सैलेरी या इन-हैंड सैलेरी वो राशि होती है जो आपको सब कुछ कट-पिट कर मिलती है.
क्या-क्या कटता है?
ये तो आपके काम और कंपनी पर निर्भर करता है लेकिन जनरल डिडक्शन की बात करें तो टीडीएस यानी टैक्स डिडक्टेबल एट सोर्स, प्रोविडेंट फंड, प्रोफेशनल टैक्स जैसी कटौती होती है.
इसके अलावा आप चाहें तो एनपीएस में भी पैसा जमा कर सकते हैं, एलआईसी की कोई पॉलिसी ले सकते हैं. कार लोन, होम लोन लेंगे तो हर महीने ईएमआई कटेगी.
इन सबका ज्ञान होना इसलिए जरूरी है ताकि आप टैक्स में छूट का फायदा उठा सकें, अपने फाइनेंसेस को मैनेज कर सकें. भविष्य को लेकर सही फाइनेंशियल फैसले ले सकें. इसीलिए आपको इन सबकी जानकारी होनी ही चाहिए.