बैंक लोन और क्रेडिट कार्ड के लिए स्पैम कॉलिंग होगी बंद, TRAI और RBI आए साथ, ग्राहकों को मिलेगी राहत
लोन और क्रेडिट कार्ड से जुड़े स्पैम कॉल और मैसेजेज पर लगाम लगाने के लिए TRAI और RBI साथ आ गए हैं. डिजिटल कंसेंट मैनेजमेंट पर आधारित इस समाधान के लिए फिलहाल एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. जल्द ही इसे व्यापक रूप से लागू किया जाएगा.

लोन और क्रेडिट कार्ड के नाम पर दिनभर आने वाले कॉल बड़ी समस्या बन चुके हैं. मोबाइल की वजह से सूचना और संचार के स्तर पर लोगों को तमाम सुविधाएं मिलती हैं. लेकिन, इसके साथ ही स्पैम कॉलर की दुविधा भी जुड़ी है. आप किस परिस्थिति में हैं इसकी परवाह किए बिना अचानक आपके फोन की घंटी बजती है, सामने से चिर-परिचित अंदाज में लोन या क्रेडिड कार्ड ऑफर किया जाता है. बहरहाल, RBI और TRAI दो नियामक इस समस्या से निपटने के लिए साथ आए हैं.
रिजर्व बैंक जहां बैंकिंग का नियामक है, वहीं TRAI टेलीकॉम सेक्टर का नियामक है. बैंकों की तरफ से या बैंकों के नाम पर लोन और क्रेडिट कार्ड के लिए स्पैम कॉल किए जाते हैं. दोनों नियामक मिलकर दोनों छोर से इस तरह के स्पैम कॉल को रोकने का प्रयास करेंगे. इससे आने वाले दिनों में उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी और वित्तीय धोखाधड़ी पर भी लगाम लगाई जा सकेगी. असल में स्पैम कॉलिंग अवैध हैं. लेकिन, जब स्पैम कॉल को लेकर बैंक या कंपनियों से सवाल पूछे जाते हैं, तो इन कंपनियों का दावा होता है कि ग्राहक ने ही उन्हें इस तरह के कॉल करने की इजाजत दी है.
क्या है TRAI-RBI की योजना?
स्पैम कॉल की समस्या से निजात दिलाने के लिए ट्राई ने रिजर्व बैंक और कुछ बैंकों के साथ मिलकर डिजिटल कंसेंट मैनेजमेंट पर केंद्रित एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. वहीं, 13 जून, 2025 को ट्राई ने सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को बैंकों के साथ इस पायलट परियोजना में शामिल होने का निर्देश दिया है. 16 जून को इस संबंध में टेलीकॉम मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि वित्तीय लेनदेन की संवेदनशीलता और स्पैम कॉल से होने वाले धोखाधड़ी के जोखिम को ध्यान में रखकर सबसे पहले बैंकिंग क्षेत्र में स्पैम कॉल को कंट्रोल करने पर ध्यान दिया जा रहा है. रेगुलेटरी सैंडबॉक्स स्ट्रक्चर के तहत चल रहा यह पायलट प्रोजेक्ट एडवांस्ड कंसेंट रजिस्ट्रेशन फंक्शन यानी CRF पर आधारित है.
बदलेगा इजाजत लेने का तरीका
नई व्यवस्था के तहत कंपनियों को प्रमोशनल कॉल के लिए अनिवार्य रूप से डिजिटल कंसेंट लेना होगा. इसके साथ ही इस कंसेंट को टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर की तरफ से मैनेज्ड सिक्योर सिस्टम पर रजिस्टर करना होगा. यह सिस्टम किसी भी कमर्शियल कॉल से पहले इस डिजिटल कंसेंट का सत्यापन करेगा. इसके बाद ही कॉल की अनुमति दी जाएगी. इसके साथ ही ट्राई ने कहा कि इस कंसेंट रजिस्ट्रेशन ढांचे को सफल बनाने के लिए कमर्शियल कम्युनिकेशन से जुड़ी संस्थाओं को शामिल करना भी जरूरी है.
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