क्रेडिट कार्ड से कैश निकालने से पहले जानें ये बातें, हर दिन लगता है ब्याज, एक बार में देना पड़ता है 2 से 3% चार्ज
क्रेडिट कार्ड के जरिए जब हम एटीएम के जरिए नकद पैसा निकालते हैं, तो इसे कैश एडवांस कहा जाता है. यह हमारे कार्ड की लिमिट के अंदर ही एक शॉर्ट-टर्म लोन की तरह काम करता है. फर्क सिर्फ इतना है कि इस पर ब्याज उसी दिन से लगना शुरू हो जाता है, जब हम पैसा निकालते हैं, तो इसमें कोई ग्रेस पीरियड नहीं होता. आइए जानते हैं इस सुविधा का इस्तेमाल करने के बाद हमें कितना फीसदी तक चार्ज देना पड़ सकता है.
क्रेडिट कार्ड से जब हम एटीएम, बैंक या कार्ड ऐप के जरिए नकद पैसा निकालते हैं, तो इसे कैश एडवांस (Cash Advance) कहा जाता है. यह हमारे कार्ड की लिमिट के अंदर ही एक शॉर्ट-टर्म लोन की तरह काम करता है. फर्क सिर्फ इतना है कि इस पर ब्याज उसी दिन से लगना शुरू हो जाता है, जब हम पैसा निकालते हैं, तो इसमें कोई ग्रेस पीरियड नहीं होता, चाहे हमारा बिल बाद में ही क्यों न भरना हो.
बैंक आमतौर पर हमारे कार्ड लिमिट का 20 से 40 फीसदी तक कैश एडवांस लिमिट देते हैं. उदाहरण के लिए, अगर हमारी कार्ड लिमिट 1 लाख रुपये है, तो हम 20,000 से 40,000 रुपये तक नकद निकाल सकते हैं.
कैसे लगते हैं चार्ज?
क्रेडिट कार्ड से कैश निकालना सबसे महंगा क्रेडिट ऑप्शन माना जाता है.
- बैंक हर महीने 1.99 फीसदी से 4 फीसदी तक ब्याज वसूलते हैं यानी सालाना ब्याज 25 फीसदी से 48 फीसदी तक हो सकता है.
- ब्याज उसी दिन से लगना शुरू हो जाता है जब हम पैसा निकालते हैं.
- इसके अलावा बैंक 2 से 3 फीसदी कैश एडवांस फीस भी लेते हैं, जो कम से कम 300 से 500 रुपये तक होती है.
यानी अगर आपने 10,000 रुपया निकाला, तो आपको शुरुआत में ही 300 से 500 फीस रुपया देनी होगी और उसके बाद हर दिन ब्याज तब तक लगता रहेगा जब तक हम पूरा पैसा चुका नहीं देते. साथ ही इस पर GST भी लागू होता है, जिससे कुल लागत और बढ़ जाती है. अगर आप बिलिंग साइकिल के बीच में कैश निकालते हैं और पेमेंट ड्यू डेट पर करते हैं, तो आपको उन सभी दिनों का ब्याज देना पड़ता है.
कब काम आता है कैश एडवांस
अगर किसी इमरजेंसी में कैश की जरूरत पड़ जाए जैसे हॉस्पिटल डिपॉजिट, अचानक मरम्मत या मकान मालिक जो UPI नहीं लेता तो यह एक तुरंत मिलने वाला ऑप्शन है. अब कई बैंक ऐप के जरिए भी सीधे अपने सेविंग अकाउंट में कैश एडवांस ट्रांसफर करने की सुविधा देते हैं. यह नया लोन लेने से तेज होता है. लेकिन इसका इस्तेमाल सिर्फ जरूरी वक्त पर और जल्दी चुकाने की शर्त पर ही करना चाहिए.
क्या नुकसान हो सकते हैं?
- ब्याज तब तक चलता रहता है जब तक आप पूरा पैसा नहीं चुका देते, पार्ट पेमेंट करने पर भी ब्याज रुकता नहीं.
- कैश एडवांस पर कोई रिवॉर्ड पॉइंट या कैशबैक नहीं मिलता है.
- कई बैंक तब तक आपकी नई खरीद पर इंटरेस्ट-फ्री पीरियड बंद कर देते हैं, जब तक पुराना कैश एडवांस पूरा नहीं चुकाया जाता है.
- बार-बार कैश निकालने से बैंक को लगता है कि कैश की तंगी है, इससे हमारी क्रेडिट प्रोफाइल पर असर पड़ सकता है या लोन लिमिट घट सकती है.
सस्ते और स्मार्ट ऑप्शन
कैश निकालने से पहले आप कुछ और ऑप्शन देख सकते हैं, इनमें
- कई बैंक Loan on Card का ऑप्शन देते हैं, जिसमें हमारी लिमिट का हिस्सा EMI में बदल जाता है और ब्याज दर भी कम होती है.
- अगर हमारे पास प्री-अप्रूव्ड पर्सनल लोन या ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी है, तो वो भी सस्ता और ट्रैक करने में आसान होता है.
- जरूरत पड़ने पर परिवार या कंपनी से सैलरी एडवांस लेना भी बेहतर है, क्योंकि उस पर ब्याज नहीं लगता.
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