इस धनतेरस प्रॉपर्टी खरीदते समय भूल के भी ना करें ये गलती, वरना जिंदगी भर पछताएंगे…जानिए जरूरी बातें
धनतेरस पर संपत्ति खरीदना शुभ माना जाता है, लेकिन आकर्षक ऑफर के चक्कर में जल्दबाजी भारी पड़ सकती है. प्रॉपर्टी खरीदारी एक बड़ी जिम्मेदारी है, जिसमें सावधानी और सही जानकारी जरूरी है. यह न सिर्फ आपकी पूंजी को सुरक्षित रखती है, बल्कि भविष्य में अच्छा रिटर्न भी दिला सकती है.
धनतेरस का त्योहार संपत्ति खरीदने के लिए शुभ मौका माना जाता है, लेकिन आकर्षक ऑफर और छूट के चक्कर में जल्दबाजी में लिए गए फैसले भारी नुकसान का कारण बन सकते हैं. प्रॉपर्टी खरीदना सिर्फ एक निवेश नहीं, बल्कि एक बड़ी जिम्मेदारी है. सही जानकारी और सावधानी के साथ लिया गया फैसला न सिर्फ आपका पैसा सुरक्षित रखता है, बल्कि भविष्य में अच्छा मुनाफा भी दे सकता है. जमीन खरीदते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.
प्रॉपर्टी की कीमत और भविष्य की संभावनाएं जांचें
जमीन खरीदने से पहले उसकी मौजूदा कीमत और भविष्य में उसकी कीमत बढ़ने की संभावना को समझना जरूरी है. विक्रेता की बातों पर आंख बंद करके भरोसा न करें. आसपास के इलाकों के प्रॉपर्टी रेट और सरकारी सर्कल रेट की पूरी जानकारी लें. ऐसे इलाके चुनें जहां सड़क, मेट्रो, मॉल या अन्य बड़े प्रोजेक्ट का निर्माण हो रहा हो. इन जगहों पर प्रॉपर्टी की कीमत तेजी से बढ़ती है.
मालिकाना हक की पक्की जांच करें
प्रॉपर्टी खरीदने से पहले यह सुनिश्चित करें कि उसका मालिकाना हक साफ है. विवादित जमीन या कोर्ट-कचहरी में फंसी प्रॉपर्टी से हमेशा बचें. टाइटल डीड, सेल डीड और एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट जैसे कागजात को ध्यान से देखें. जरूरत हो तो किसी वकील से सलाह लें ताकि कोई कानूनी परेशानी न आए.
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जमीन की कैटेगरी और जोनिंग समझें
भारत में जमीन कई प्रकार की होती है, जैसे रिहायशी, कृषि, कमर्शियल या औद्योगिक. अगर आप घर बनाने के लिए जमीन खरीद रहे हैं, तो वह रिहायशी होनी चाहिए. कृषि जमीन पर घर बनाना भविष्य में कानूनी दिक्कतें पैदा कर सकता है. इसलिए नगरपालिका या पंचायत से जमीन की जोनिंग की जानकारी जरूर लें.
लोकेशन और आसपास की सुविधाओं का ध्यान रखें
प्रॉपर्टी का स्थान उसकी कीमत और रहने की सुविधा पर बड़ा असर डालता है. ऐसी जगह चुनें जहां स्कूल, अस्पताल, बाजार, सड़क, बस या मेट्रो जैसी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हों. अगर आसपास कोई विकास प्रोजेक्ट चल रहा हो, तो यह जमीन की कीमत को और बढ़ा सकता है.
जमीन की नाप और सीमाओं की पुष्टि करें
कई बार कागजों में लिखा क्षेत्रफल जमीन की असल माप से मेल नहीं खाता. इसलिए खरीदने से पहले जमीन की फिजिकल नाप GPS या सरकारी रिकॉर्ड से मिलान करवाएं. बिना अप्रूव्ड प्लॉट पर निर्माण में रुकावट आ सकती है और सीमाओं को लेकर विवाद भी हो सकता है.