ऑनलाइन जानें आपकी प्रॉपर्टी असली है या नकली, घर बैठे ऐसे करें रजिस्ट्री की जांच

इस समय के ज्यादातर राज्यों ने अपने लैंड रिकॉर्ड को डिजिटल कर दिया है, जिससे लोग घर बैठे ही अपनी प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट्स की ऑथेंटिसिटी चेक कर सकते हैं. हर राज्य सरकार का अपना ऑफिशियल पोर्टल है जहां यह जानकारी ऑनलाइन मिल जाती है.

लैंड रिकॉर्ड

Registry Online Check: अब यह पता लगाने के लिए कि आपकी जमीन या मकान की रजिस्ट्री असली है या नहीं, आपको सब-रजिस्ट्रार ऑफिस के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है. देश के ज्यादातर राज्यों ने अपने लैंड रिकॉर्ड को डिजिटल कर दिया है, जिससे लोग घर बैठे ही अपनी प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट्स की ऑथेंटिसिटी चेक कर सकते हैं. हर राज्य सरकार का अपना ऑफिशियल पोर्टल है जहां यह जानकारी ऑनलाइन मिल जाती है.

उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश राज्य में रहने वाले लोग वहां के ऑफिशियल वेबसाइट के माध्यम से अपनी रजिस्ट्री जांच सकते हैं. वेबसाइट पर उन्हें Registry Search या Property Details टैब पर क्लिक करके रजिस्ट्री नंबर, मालिक का नाम, प्लॉट नंबर, जिला और रजिस्ट्रेशन की तारीख जैसी बेसिक जानकारी भरनी होती है.

सबमिट करने के बाद मिलेगी ये जानकारी

जानकारी सबमिट करने के बाद कुछ ही सेकंड में स्क्रीन पर पूरी प्रॉपर्टी डिटेल्स दिख जाती हैं, जिसमें मालिक का नाम, रजिस्ट्रेशन की तारीख, स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रार ऑफिस की जानकारी होती है. यूजर इन डिटेल्स को अपने फिजिकल डॉक्यूमेंट से मिलाकर सत्यापित कर सकता है. अगर जानकारी मैच करती है, तो रजिस्ट्री को असली माना जा सकता है. रिकॉर्ड को डाउनलोड या प्रिंट भी किया जा सकता है. अगर Record Not Found या Invalid Entry का मैसेज आता है, तो रजिस्ट्री अधूरी या फर्जी हो सकती है. ऐसे में सब-रजिस्ट्रार ऑफिस जाकर एंट्री को ऑफिशियल रजिस्टर में चेक करवाना चाहिए. इस वेरिफिकेशन की फीस आमतौर पर 50 से 200 रुपये के बीच होती है.

EC बताएगा आपकी प्रॉपर्टी का इतिहास

इसके अलावा, अगर आप अपनी प्रॉपर्टी के इतिहास की गहराई से जांच करना चाहते हैं, तो Encumbrance Certificate (EC) निकाल सकते हैं. यह सर्टिफिकेट बताता है कि प्रॉपर्टी पर कोई लोन, विवाद या लीगल क्लेम तो नहीं है। साथ ही, दाखिल-खारिज (Mutation Record) देखकर यह पता लगाया जा सकता है कि मालिकाना हक सही तरीके से ट्रांसफर हुआ है या नहीं. यह पूरा ऑनलाइन प्रोसेस सिर्फ 5 मिनट में पूरा हो जाता है और इसे मोबाइल या लैपटॉप से किया जा सकता है. इससे न केवल धोखाधड़ी और विवादों से बचाव होता है, बल्कि यह बैंक लोन या प्रॉपर्टी सेल के समय वैध ओनरशिप प्रूफ के रूप में भी काम आता है.

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