साल की शुरुआत से FPI ने अबतक निकाले ₹1.6 लाख करोड़, मार्केट एक्सपर्ट से जानें किन वजहों से खिंचे हाथ और आगे क्या होगा?

हाल के हफ्तों में शेयर बाजार में निवेश के रुझान को लेकर कई संकेत सामने आए हैं. विदेशी और घरेलू निवेशकों की अलग-अलग रणनीतियां बाजार की चाल को प्रभावित कर रही हैं, जबकि कुछ वैश्विक और घरेलू फैक्टर आगे की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं.

FPI छोड़ रहे हैं भारतीय बाजार Image Credit:

भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली एक बार फिर चर्चा में है. दिसंबर के शुरुआती दो हफ्तों में ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने भारतीय इक्विटी बाजार से बड़ी रकम निकाल ली है. हालांकि, इस दबाव के बावजूद बाजार में बड़ी गिरावट नहीं दिखी है, जिसकी वजह घरेलू संस्थागत निवेशकों की मजबूत खरीद मानी जा रही है. निवेशकों के लिए यह समझना जरूरी है कि विदेशी निवेशक क्यों बाहर जा रहे हैं और आगे क्या स्थिति बन सकती है.

दिसंबर में तेज निकासी, 2025 में ₹1.6 लाख करोड़ बाहर

नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के आंकड़ों के मुताबिक, 1 से 12 दिसंबर के बीच FPIs ने भारतीय शेयरों से ₹17,955 करोड़ की निकासी की है. इसके साथ ही पूरे 2025 में अब तक विदेशी निवेशकों का कुल आउटफ्लो बढ़कर करीब ₹1.6 लाख करोड़ हो गया है. नवंबर में भी FPIs ने ₹3,765 करोड़ की शुद्ध बिकवाली की थी, जिससे बाजार पर दबाव लगातार बना हुआ है.

अक्टूबर को छोड़ दें तो पिछले कई महीनों से विदेशी निवेशक लगातार शेयर बेचते रहे हैं. सितंबर में ₹23,885 करोड़, अगस्त में ₹34,990 करोड़ और जुलाई में ₹17,700 करोड़ की बिकवाली हुई थी. अक्टूबर में जरूर ₹14,610 करोड़ का निवेश आया था, लेकिन वह सिर्फ एक अस्थायी राहत साबित हुआ.

विदेशी निवेशक क्यों कर रहे हैं बिकवाली

मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इसके पीछे कई वजहें हैं. मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के प्रिंसिपल मैनेजर हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है कि अमेरिका में ऊंची ब्याज दरें, सख्त लिक्विडिटी और विकसित बाजारों में ज्यादा सुरक्षित व बेहतर रिटर्न के विकल्प विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं. इसके अलावा, भारतीय शेयर बाजार की वैल्यूएशन भी कई दूसरे उभरते बाजारों के मुकाबले महंगी नजर आ रही है.

एंजेल वन के सीनियर एनालिस्ट वकारजावेद खान के मुताबिक, रुपये की कमजोरी, ग्लोबल पोर्टफोलियो रीबैलेंसिंग, साल के अंत का असर और मैक्रो इकोनॉमिक अनिश्चितता भी इस बिकवाली की बड़ी वजह हैं.

DII ने संभाला मोर्चा

हालांकि, विदेशी निवेशकों की इस भारी बिकवाली का असर बाजार पर पूरी तरह नहीं पड़ा है. घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने इसी अवधि में ₹39,965 करोड़ का निवेश किया, जिससे बाजार को मजबूत सहारा मिला.

जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट वीके विजयकुमार का मानना है कि भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि और कमाई के बेहतर अनुमान को देखते हुए लगातार विदेशी बिकवाली ज्यादा समय तक टिकाऊ नहीं है. वहीं, यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि अगर भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर तेजी से प्रगति होती है, तो विदेशी निवेशकों का रुख फिर से बदल सकता है.

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