इक्विटी बाजार में भारत के सामने कहीं नहीं टिकता चीन, 24 साल से बादशाहत है कायम

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2000 से 2024 तक मुख्य ईएम और डीएम देशों में 6.9 प्रतिशत का उच्चतम वास्तविक इक्विटी रिटर्न है. रिपोर्ट में आगे जोर दिया गया है कि भारत और अमेरिका 2024 तक रिकॉर्ड-उच्च CAPE अनुपात के करीब कारोबार करने वाले कुछ बाजारों में से हैं.

भारत-चीन Image Credit: TV9 Bharatvarsh

भारतीय इक्विटी बाजार चीन के इक्विटी बाजार से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. इस बात का खुलासा ड्यूश बैंक की एक रिपोर्ट में हुआ है. ड्यूश बैंक ने हाल ही में जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय इक्विटी बाजार साल 2000 से चीन के इक्विटी मार्केट से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की तीव्र आर्थिक वृद्धि के बावजूद, इसके इक्विटी बाजार का प्रदर्शन तुलनात्मक रूप से औसत रहा है, जिसमें वास्तविक रिटर्न औसतन केवल 4.0 प्रतिशत प्रति वर्ष रहा है. दूसरी ओर, भारत उभरते और विकसित दोनों बाजारों में अग्रणी बनकर उभरा है, जिसने इसी अवधि के दौरान 6.9 प्रतिशत प्रति वर्ष से अधिक का उच्चतम वास्तविक इक्विटी रिटर्न प्रदान किया है.

द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2000 से 2024 तक मुख्य ईएम और डीएम देशों में 6.9 प्रतिशत का उच्चतम वास्तविक इक्विटी रिटर्न है. रिपोर्ट में आगे जोर दिया गया है कि भारत और अमेरिका 2024 तक रिकॉर्ड-उच्च CAPE अनुपात के करीब कारोबार करने वाले कुछ बाजारों में से हैं. दरअसल, CAPE (चक्रीय रूप से समायोजित मूल्य-से-आय) मीट्रिक, जो 10 साल की अवधि में आय की गणना करता है. साथ ही चक्रीय उतार-चढ़ाव को सुचारू करता है. लेकिन बाजार की गतिशीलता में संरचनात्मक परिवर्तनों को पूरी तरह से पकड़ नहीं सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मिलेनियम की शुरुआत में यूएस एसएंडपी 500 का सीएपीई अनुपात 2000 के दशक की शुरुआत में गिरने से पहले अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया था, फिर भी यह तब से ऐसे स्तरों तक बढ़ गया है जो पहले कभी नहीं देखे गए थे और पिछली शताब्दी में केवल थोड़े समय के लिए ही इससे अधिक हुआ था. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि तकनीकी प्रभुत्व और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के चलते अमेरिकी बाजार में तेजी आई है. वहीं, भारत के इक्विटी बाजार में तेजी के लिए इसकी तेज आर्थिक विकास को माना जा रहा है.

निवेशक प्रीमियम भुगतान करने के लिए तैयार

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत की आर्थिक विकास की गति को देखते हुए निवेशक बड़े स्तर पर भारतीय इक्विटी मार्केट में पैसा लगा रहे हैं. जबकि, चीन की अर्थव्यवस्था भी इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है. खास बात यह है कि चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट के लिए उनके आयात-निर्यात के खराब प्रदर्शन को भी माना जा रहा है.

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निवेशकों के विश्वास पर निर्भर करती है

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों देश सदी की अगली तिमाही (2025-2049) को मजबूती से शुरू करने के लिए तैयार हैं, लेकिन वे अधिक मध्यम मूल्यांकन वाले बाजारों की तुलना में महंगे बने हुए हैं. ये अटकलें उन्हें देखने लायक प्रमुख बाजार बनाती हैं, क्योंकि उनकी विकास की दिशाएं उनकी संरचनात्मक ताकत और भविष्य की संभावनाओं में निवेशकों के विश्वास पर निर्भर करती हैं.

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