IT शेयर्स की फिसलन ने उड़ाई अरबपतियों की नींद, HCL–Wipro की गिरावट से दो दिग्गजों की नेटवर्थ में अरबों की कटौती
इस समय वैश्विक कंपनियों का तकनीकी बजट मुख्य रूप से AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च हो रहा है जैसे डेटा सेंटर और हार्डवेयर. मतलब, अभी AI का पहला चरण चल रहा है, जिसमें कंपनियां प्रयोग और भारी निवेश पर ध्यान दे रही हैं.
HCL-WIPRO: साल 2025 भारतीय आईटी सेक्टर के लिए कमजोर साबित हो रहा है. ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, भारत के आईटी इंडस्ट्री के दो सबसे बड़े नाम HCL टेक के शिव नादर और विप्रो के अजीम प्रेमजी. इस साल दुनिया के टॉप 10 सबसे ज्यादा नुकसान झेलने वाले अरबपतियों में शामिल हो गए हैं. दोनों की कुल संपत्ति में मिलकर $8.82 बिलियन यानी लगभग ₹73,000 करोड़ की गिरावट आई है. यह गिरावट मुख्य रूप से उनके आईटी शेयरों में कमजोरी के कारण हुई है, क्योंकि बाजार फिलहाल भारतीय आईटी सेवाओं को लेकर सतर्क है.
शेयरों की कमजोरी से घटा अरबपतियों का नेटवर्थ
HCL टेक और विप्रो दोनों कंपनियों के शेयर इस साल 12–13% तक टूटे हैं. इस गिरावट का सीधा असर उनके प्रमुख शेयरधारकों की संपत्ति पर पड़ा. शिव नादर की दौलत में सबसे ज्यादा कमी आई है. उनकी नेटवर्थ में $4.85 बिलियन की गिरावट दर्ज हुई है और अब उनकी कुल संपत्ति $38.2 बिलियन रह गई है. वे HCL टेक में अपने परिवार के साथ 60.81% हिस्सेदारी रखते हैं. दूसरी ओर, अजीम प्रेमजी की भी संपत्ति में $3.97 बिलियन की गिरावट आई है, जिससे उनकी कुल नेटवर्थ अब $26.9 बिलियन रह गई है. प्रेमजी समूह के पास विप्रो में 72.65% हिस्सेदारी है.
| कैटेगरी | HCL टेक (शिव नादर) | विप्रो (अजीम प्रेमजी) |
|---|---|---|
| शेयर गिरावट (2025) | लगभग 12–13% | लगभग 12–13% |
| संपत्ति में कमी | $4.85 बिलियन | $3.97 बिलियन |
| नई कुल संपत्ति (नेटवर्थ) | $38.2 बिलियन | $26.9 बिलियन |
| कंपनी में हिस्सेदारी | 60.81% | 72.65% |
आईटी सेक्टर में गिरावट की वजह क्या है?
इस समय वैश्विक कंपनियों का तकनीकी बजट मुख्य रूप से AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च हो रहा है जैसे डेटा सेंटर और हार्डवेयर. मतलब, अभी AI का पहला चरण चल रहा है, जिसमें कंपनियां प्रयोग और भारी निवेश पर ध्यान दे रही हैं. आईटी सेवाओं की असली मांग तब बढ़ती है जब यह प्रयोग वाला चरण खत्म होकर कंपनियां AI आधारित समाधानों को बड़े स्तर पर लागू करना शुरू करती हैं. ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि जैसे 2016 से 2018 के बीच क्लाउड टेक्नोलॉजी का बूम आया था, उसी तरह AI चक्र में भी जल्द ही आईटी कंपनियों के लिए सुधार का समय आ सकता है.
ब्रोकरेज फर्में क्या कह रही हैं?
BT के हवाले से Nomura ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि निवेशक सोचते हैं कि AI के दौर में भारतीय आईटी कंपनियां पीछे रह जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं है. हर नई तकनीकी क्रांति के साथ आईटी सेवाओं की जरूरत बढ़ती है और आगे भी बढ़ेगी. Antique Stock Broking के अनुसार, AI और क्लाउड प्लेटफॉर्म पर बढ़ते निवेश के कारण कंपनियां फिलहाल पारंपरिक आईटी प्रोजेक्ट्स पर कम खर्च कर रही हैं, जिससे भारतीय आईटी कंपनियों की कमाई प्रभावित हो रही है. हालांकि, जो कंपनियां तेजी से AI आधारित सेवाएं, कॉस्ट कटिंग प्रोग्राम, और मॉडर्नाइजेशन प्रोजेक्ट्स अपनाएंगी, वे भविष्य में बड़ा फायदा उठा सकती हैं. इसने HCL Tech को ‘Buy’ और Wipro को ‘Hold’ रेटिंग दी है.
दुनिया के अन्य अरबपतियों को भी नुकसान
यह गिरावट सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है. दुनिया भर के बड़े अरबपति भी इस साल भारी नुकसान में रहे हैं. सबसे ज्यादा नुकसान माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट्स को हुआ है, जिनकी संपत्ति $41.3 बिलियन कम हुई है. फेसबुक के सह-संस्थापक डस्टिन मोस्कोविट्ज, बाइनेंस के संस्थापक चांगपेंग झाओ, और फिलीपींस के उद्योगपति मैनुअल विलार ने भी $12–16 बिलियन के बीच का नुकसान झेला है.
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