इंश्योरेंस बिल 2025 से IRDAI को ज्यादा ताकत तो LIC को आजादी, जानें 100% FDI के साथ आम आदमी के लिए क्या
नए इंश्योरेंस संशोधन बिल 2025 का मकसद भारत के बीमा सेक्टर को आधुनिक और मजबूत बनाना है. इसमें सौ फीसदी FDI की अनुमति, विदेशी री इंश्योरेंस कंपनियों के लिए आसान नियम और IRDAI को ज्यादा अधिकार दिए गए हैं. LIC को भी ज्यादा ऑपरेशनल आजादी मिलेगी. हालांकि कॉम्पोजिट लाइसेंस और नई कंपनियों के लिए कैपिटल में राहत जैसे अहम सुधार शामिल नहीं किए गए हैं.
Insurance Bill 2025: केंद्र सरकार ने सबका बीमा सबकी रक्षा (Sabka Bima Sabki Raksha) नाम से नया इंश्योरेंस संशोधन बिल 2025 को मंजूरी दी है. इसका मकसद भारत के इंश्योरेंस सेक्टर को आधुनिक बनाना, ज्यादा लोगों तक बीमा पहुंचाना और रेगुलेशन को मजबूत करना है. इस बिल में इंश्योरेंस एक्ट 1938, LIC एक्ट 1956 और IRDAI एक्ट 1999 में बदलाव प्रस्तावित हैं. नया इंश्योरेंस बिल विदेशी निवेश और रेगुलेशन के लिहाज से बड़ा कदम है. इससे सेक्टर मजबूत होगा और कंपनियों को फायदा मिलेगा. लेकिन ग्राहकों और छोटे नए प्लेयर्स के लिए कुछ अहम सुधार अब भी अधूरे रह गए हैं, जिस पर संसद में बहस होना तय माना जा रहा है.
बिल में क्या शामिल किया गया है
सौ फीसदी FDI की अनुमति
अब भारतीय इंश्योरेंस कंपनियों में विदेशी निवेश की सीमा 74 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी कर दी गई है. इससे विदेशों से ज्यादा कैपिटल आएगी, नई टेक्नोलॉजी आएगी और इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स बेहतर होंगे. सरकार का मानना है कि इससे 2047 तक सबके लिए बीमा का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी.
विदेशी री-इंश्योरेंस कंपनियों को राहत
विदेशी री-इंश्योरेंस कंपनियों के लिए कैपिटल की शर्त 5000 करोड़ से घटाकर 1000 करोड़ कर दी गई है. इससे नई और छोटी री इंश्योरेंस कंपनियां भारत में आ सकेंगी और बाजार में कंपटीशन बढ़ेगा.
IRDAI को ज्यादा ताकत
IRDAI को अब गलत कमाई वापस लेने का अधिकार मिलेगा. साथ ही इंश्योरेंस एजेंट और बिचौलियों के लिए एक बार रजिस्ट्रेशन की सिस्टम होगी. शेयर ट्रांसफर के लिए मंजूरी की सीमा 1 फीसदी से बढ़ाकर 5 फीसदी की गई है, जिससे कारोबार करना आसान होगा.
LIC को ज्यादा आजादी
LIC अब बिना सरकारी मंजूरी के नए जोनल ऑफिस खोल सकेगी. विदेशों में अपनी यूनिट्स को वहां के कानून के हिसाब से ढालने की भी छूट दी गई है. इससे LIC तेजी से फैसले ले सकेगी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत होगी.
| मुद्दा | बिल में क्या है | बिल में क्या नहीं है |
|---|---|---|
| विदेशी निवेश FDI | 100 फीसदी FDI की अनुमति | कोई लिमिट शर्त नहीं हटाई गई |
| री इंश्योरेंस | विदेशी री इंश्योरेंस के लिए कैपिटल घटाकर 1000 करोड | घरेलू नए री इंश्योरेंस प्लेयर्स को अतिरिक्त राहत नहीं |
| IRDAI की ताकत | गलत कमाई वसूली का अधिकार और आसान रजिस्ट्रेशन | पूरी तरह स्वतंत्र रेगुलेटरी मॉडल नहीं |
| LIC की भूमिका | नए जोनल ऑफिस खोलने की आजादी | सरकारी दखल पूरी तरह खत्म नहीं |
| कॉम्पोजिट लाइसेंस | शामिल नहीं | लाइफ और जनरल बीमा साथ बेचने की छूट नहीं |
| नए इंश्योरेंस प्लेयर्स | कोई राहत नहीं | न्यूनतम कैपिटल नियमों में कटौती नहीं |
| एजेंट्स की छूट | सीमित सुधार | कई कंपनियों के प्रोडक्ट बेचने की अनुमति नहीं |
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बिल में क्या नहीं है
कॉम्पोजिट लाइसेंस नहीं
सबसे बड़ी कमी यह है कि कॉम्पोजिट लाइसेंस की अनुमति नहीं दी गई. इसका मतलब है कि कोई भी कंपनी एक साथ लाइफ और जनरल इंश्योरेंस नहीं बेच सकती. इससे ग्राहकों को एक ही जगह सभी तरह के बीमा मिलने की सुविधा नहीं मिल पाएगी.
नई कंपनियों के लिए कैपिटल नियमों में राहत नहीं
नए इंश्योरेंस प्लेयर्स के लिए न्यूनतम कैपिटल की शर्त में कोई कमी नहीं की गई. इससे छोटे और रीजनल इंश्योरेंस प्लेयर्स के लिए बाजार में आना अब भी मुश्किल रहेगा.
एजेंट और अन्य वित्तीय प्रोडक्ट्स की छूट नहीं
एजेंट को कई कंपनियों के प्रोडक्ट बेचने की अनुमति नहीं दी गई. साथ ही म्यूचुअल फंड, लोन और क्रेडिट कार्ड जैसे प्रोडक्ट बेचने का प्रस्ताव भी शामिल नहीं किया गया.
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