रिकॉर्ड हाई के बाद निवेशक अलर्ट! PMI डाटा ने बिगाड़ा सेंटीमेंट; इन 4 वजहों से फंसी बाजार की चाल

HSBC फ्लैश इंडिया कंपोजिट आउटपुट इंडेक्स, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर की संयुक्त परफॉर्मेंस को ट्रैक करता है. यह नवंबर में घट गया और 59.9 पर आ गया. अक्टूबर के 60.4 के मुकाबले कम है और छह महीने का लो लेवल है. यह इंडेक्स माह-दर-माह दोनों सेक्टर के कुल आउटपुट की दिशा बताता है और इस बार इसका संकेत रहा कि बढ़त जारी है लेकिन अक्टूबर के मुकाबले स्लो हो गई है. इसके साथ 4 ऐसे कारण हैं जिससे निवेशक अब अलर्ट हैं.

बाजार गिरा. Image Credit: Canva

सोमवार को घरेलू शेयर बाजार रिकॉर्ड हाई छूने के बाद दबाव में आ गए. शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी ने नए शिखर जरूर बनाए, लेकिन दोपहर तक मुनाफावसूली ने सेंटीमेंट बिगाड़ दिया. सुबह सेंसेक्स 452 अंक चढ़कर 86,159 के नए हाई पर पहुंचा था और निफ्टी 122 अंक उछलकर 26,325 पर आ गया. लेकिन 12:20 बजे तक सेंसेक्स अपने हाई से 500 अंक गिरकर 85,600 पर आ गया, जबकि निफ्टी 26,168 तक फिसल गया.

कंपोजिट फ्लैश PMI 6 महीने के निचले स्तर पर

HSBC फ्लैश इंडिया कंपोजिट आउटपुट इंडेक्स, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर की संयुक्त परफॉर्मेंस को ट्रैक करता है. यह नवंबर में घट गया और 59.9 पर आ गया. अक्टूबर के 60.4 के मुकाबले कम है और छह महीने का लो लेवल है. यह इंडेक्स माह-दर-माह दोनों सेक्टर के कुल आउटपुट की दिशा बताता है और इस बार इसका संकेत रहा कि बढ़त जारी है लेकिन अक्टूबर के मुकाबले स्लो हो गई है.

रुपया निचले स्तर पर

बाजार में गिरावट की सबसे बड़ी वजह रुपये की तेज कमजोरी रही. सोमवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 89.76 तक फिसल गया, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है. पिछले दो हफ्तों में रुपये में लगभग 1 रुपये की गिरावट आ चुकी है. रुपये के कमजोर होने से विदेशी निवेशक सतर्क हो जाते हैं और इक्विटी बाजार पर तुरंत दबाव बनता है.

FII की तेज बिकवाली

विदेशी निवेशक लगातार नवंबर में बिकवाली करते रहे हैं. शुक्रवार को FII ने 3,795.72 करोड़ रुपये की बिक्री की. यह चौथी बार है जब पांच महीनों में FIIs बिकवाल बने हैं. लगातार विदेशी फंड आउटफ्लो भारतीय बाजारों के लिए एक बड़ी चिंता है और इसका दबाव इंडेक्स पर साफ दिखा.

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कच्चे तेल की कीमतों में उछाल

OPEC+ द्वारा पहली तिमाही 2026 के लिए तेल उत्पादन स्तर को स्थिर रखने के फैसले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई. ब्रेंट क्रूड 1.62 प्रतिशत बढ़कर 63.39 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया. भारत जैसे बड़े तेल आयात करने वाले देश के लिए महंगा कच्चा तेल हमेशा नेगेटिव साबित होता है क्योंकि इससे इम्पोर्ट कॉस्ट, महंगाई और करेंट अकाउंट पर दबाव बढ़ जाता है.

डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.