बुजुर्ग हैं साइबर ठगों का सॉफ्ट टारगेट, ऐसे रखें अपने माता-पिता को ठगी से सुरक्षित, ये हैं आसान टिप्स
साइबर अपराधी वरिष्ठ नागरिकों को आसान शिकार मानते हैं. डिजिटल अरेस्ट जैसे स्कैम में ठग पुलिस या जज बनकर उन्हें डराते हैं और पैसे ऐंठते हैं. डिजिटल लिटरेसी की कमी और अकेलापन इन्हें खासा जोखिम में डालते हैं. यह रिपोर्ट बताएगी कि कैसे बुजुर्ग अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकते हैं.
साइबर अपराधी वरिष्ठ नागरिकों को ठगी के लिए आसानी से निशाना बनाते हैं. खासकर डिजिटल अरेस्ट जैसे स्कैम में, जिसमें पुलिस या जज के रूप में धोखेबाज उन्हें डराकर बड़ी रकम ट्रांसफर करवाते हैं. डिजिटल लिटरेसी की कमी, भावनात्मक अकेलापन और आर्थिक स्थिरता उनकी समझदारी को कमजोर बनाते हैं. यही कारण है कि वरिष्ठ नागरिकों को सूचना, तकनीकी ज्ञान और परिवार के सहयोग की विशेष आवश्यकता है, ताकि वे भरोसे के जाल में फंसने से बच सकें और सुरक्षित रह सकें. इस रिपोर्ट में आप जानेंगे कि जालसाज वरिष्ठ नागरिकों को निशाना क्यों करता है.
वरिष्ठ नागरिक साइबर अपराध के प्रमुख निशाने क्यों रहते हैं?
डिजिटल साक्षरता की कमी एवं तकनीकी समझ में कमी – कई वरिष्ठ नागरिक “डिजिटल माइग्रेंट्स” होते हैं यानी वे तकनीक के साथ जुड़े हुए नहीं हुए होते हैं और अक्सर ऑनलाइन सुरक्षा जानकारियों की कमी होती है. वे आसानी से फिशिंग, मैलवेयर या नकली लिंक जैसी चीजों के जाल में फंस जाते हैं.
अकेलापन, भावात्मक कमजोरी और विश्वासप्रवृत्ति – वृद्ध अक्सर अकेले रहते हैं या परिवार से दूर होते हैं, जिससे धोखेबाज उन्हें भावनात्मक रूप से ज्यादा प्रभावित कर पाते हैं. साथ ही, उनका अधिकतर भरोसा अधिकारियों पर रहता है, जिसे अपराधी डिजिटल गिरफ्तारी या CBI वाला कॉल जैसे स्कैम में भुनाते हैं.
आर्थिक स्थिरता का फायदा उठाना – अक्सर वरिष्ठ नागरिकों के पास पेंशन या बचत होती है, जिसे स्कैमर्स जल्दी से टारगेट कर लेते हैं. वे खुद को इंवेस्टमेंट ऑप्शन या लॉ फाइन क्लियर कराओ जैसे तरीकों के जरिए फंसाते हैं. वरिष्ठ नागरिक अक्सर फंसने पर शर्म या अज्ञानता के कारण अपराध की रिपोर्ट नहीं करते, जिससे अपराध जुड़ते रहते हैं. उन्हें यह भी पता नहीं होता कि शिकायत कैसे दर्ज करनी है या कौन सी सहायता उपलब्ध है.
ऐसे रहें सेफ
- मजबूत पासवर्ड और टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) का उपयोग करें, जिससे ऑनलाइन खातों तक गैर-इजाजती पहुंच रोकी जा सके.
- किसी भी अनजान लिंक, अटैचमेंट या कॉल से सीधे निजी जानकारी (OTP, बैंक डिटेल्स, पासवर्ड) साझा ना करें, बल्कि पहले भरोसेमंद परिजनों या आधिकारिक चैनलों से पुष्टि करें.
- अपने कंप्यूटर और मोबाइल में सुरक्षा सॉफ्टवेयर (एंटीवायरस) इंस्टॉल करें, और इसे तथा ऑपरेटिंग सिस्टम को समय-समय पर अपडेट रखते रहें.
- वेबसाइट पर केवल भरोसेमंद और प्रसिद्ध ई-कॉमर्स/फाइनेंसियल प्लेटफॉर्म से ही खरीदारी करें, और अत्यधिक सौदों पर संदेहपूर्वक व्यवहार करें.
- साइबर अपराध की किसी भी संदिग्ध घटना की तुरंत रिपोर्ट करें, जैसे हेल्पलाइन 1930 या ऑनलाइन पोर्टल cybercrime.gov.in के माध्यम से.
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