बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा, “मानवता के खिलाफ अपराध” का दोषी बताया गया
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश के एक क्राइम ट्रिब्यूनल ने 2024 में छात्र आंदोलन के खिलाफ किए गए बल प्रयोग को "मानवता के खिलाफ अपराध" करार देते हुए मौत की सजा सुनाई है. हालांकि, हसीना ने शुरुआत से ही इन आरोपों को राजनीतिक करार दिया है.
बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई गई है. PTI की रिपोर्ट के मुताबिक इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल–बांग्लादेश (ICT-BD) ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि हसीना को पिछले वर्ष हुए छात्र आंदोलन के दौरान “मानवता के खिलाफ अपराध” के मामले में दोषी करार दिया गया है. 453 पन्नों के इस फैसले में हसीना को मौत की सजा का ऐलान भी किया गया है.
2024 में क्या हुआ?
जुलाई 2024 में छात्र आंदोलन की शक्ल में शेख हसीना को पद से हटाने के लिए एक कथित आंदोलन की शुरुआत हुई. बाद में यह आंदोलन हिंसक हो गया और सुरक्षा बलों और छात्रों के बीच हिंसक झड़पें हुईं. आंदोलनकारियों ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री आवास पर हमला कर दिया, इस दौरान हसीना जान बचाकर भारत आ गईं. उनके बाद सेना के सहयोग से बनी अंतरिम सरकार ने हसीना के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, यातना और नरसंहार जैसे आरोपों लगाकर मुकदमा शुरू किया.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को बनाया आधार
हसीना के खिलाफ चलाए गए मुकदमे में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की रिपोर्ट को आधार बनाया गया. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 15 जुलाई से 15 अगस्त 2024 के बीच करीब 1,400 लोगों की मौत हुई थी. अभियोजन पक्ष ने 10,000 पन्नों के दस्तावेज, मेडिकल और पोस्टमार्टम रिपोर्ट, वीडियो फुटेज, बैलिस्टिक लॉग और 93 डॉक्यूमेंट्री व 32 मटेरियल एग्जिबिट कोर्ट में पेश किए. 80 से अधिक गवाहों ने गवाही दी.
हसीना ने फैसले को बताया राजनीतिक
पिछले वर्ष हिंसा के बल पर सत्ता से बेदखल की गईं 78 वर्षीय शेख हसीना फिलहाल एक राजनीतिक शरणार्थी के तौर पर भारत में असाइलम में रह रही हैं. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक हसीना ने उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को “झूठा और राजनीतिक साजिश” बताया है. वहीं, ICT-BD की तरफ से दिए गए फैसले के मुताबिक वे 30 दिनों में आत्मसमर्पण करने के बाद इस सजा के खिलाफ अपील कर सकती हैं.
ढाका में पसरा सन्नाटा
हसीना बांग्लादेश की सबसे लोकप्रिय नेताओं में शामिल हैं. उन्होंने प्रचंड बहुमत से चुनाव जीता था. फिलहाल, बांग्लादेश में पाकिस्तान की समर्थक कट्टरपंथी दल जमात ए इस्लामी का सत्ता पर वर्चस्व है. जमात और हसीना के समर्थकों के बीच झड़प नहीं हो, इसे देखते हुए सोमवार का दिन ढाका में कर्फ्यू जैसा दिखा. सुरक्षाबलों ने ICT-BD परिसर, सचिवालय, सुप्रीम कोर्ट, प्रधानमंत्री कार्यालय और डिप्लोमैटिक एन्क्लेव को घेरे में ले लिया. वहीं, ET की एक रिपोर्ट के मुताबि ढाका पुलिस कमिश्नर SM सज्जात अली ने निर्देश दिया कि हिंसा की स्थिति में पुलिस लाइव फायर का इस्तेमाल कर सकती है.
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