Iran-Israel: ईरान पर बरसी टॉमहॉक मिसाइलें, जानें कितना खतरनाक है ये अमेरिकी हथियार, पहले भी दिखी है ताकत
ईरान-इजरायल तनाव के बीच अमेरिका ने टॉमहॉक मिसाइलों का इस्तेमाल कर ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया. जानिए इस खतरनाक मिसाइल की ताकत, तकनीक और कहां-कहां दिखा चुकी है अपना दम.

Iran and Israel and America Tomahawk Missiles: ईरान और इजरायल के बीच जारी तनाव के बीच अमेरिका ने शनिवार को ईरान के तीन प्रमुख न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला कर दिया. इस हमले में अमेरिका ने अपनी सबसे खतरनाक और अत्याधुनिक हथियारों में से एक- टॉमहॉक क्रूज मिसाइल का इस्तेमाल किया. आइए इस मिसाइल के बारे में बताते चलते हैं. साथ ही ये भी जानने की कोशिश करेंगे कि अमेरिका ने अपने इस खतरनाक मिसाइल को और कब कब इस्तेमाल किया है.
क्या है टॉमहॉक मिसाइल?
टॉमहॉक एक लंबी दूरी तक मार करने वाली क्रूज मिसाइल है, जिसे अमेरिकी नौसेना और रॉयल नेवी इस्तेमाल करती हैं. इसे समंदर में मौजूद जहाजों या पनडुब्बियों से लॉन्च किया जा सकता है. इस मिसाइल की सबसे खास बात ये है कि ये बहुत कम ऊंचाई पर उड़ती है, जिससे इसे रडार से पकड़ना मुश्किल होता है.
ईरान पर कैसे हुआ हमला?
22 जून, 2025 को अमेरिका ने ईरान के Fordow, Natanz और Esfahan न्यूक्लियर साइट्स पर हमला किया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 400 मील दूर स्थित अमेरिकी पनडुब्बियों से 30 टॉमहॉक मिसाइलें छोड़ी गई. इसके साथ ही अमेरिका ने छह 30,000-पाउंड ‘बंकर बस्टर’ बम का भी इस्तेमाल किया. यह मिसाइल सीधे रेखा में नहीं जाती, बल्कि घुमावदार रास्ते से टारगेट तक पहुंचती है, ताकि दुश्मन की एयर डिफेंस से बच सके. इसमें GPS, इंसर्शनल नेविगेशन सिस्टम (INS) और TERCOM जैसे एडवांस्ड सिस्टम लगे होते हैं, जिससे यह बेहद सटीक निशाना लगाती है. टॉमहॉक को हवा में उड़ते वक्त भी रूट बदलने की क्षमता है. इससे इतर, यह मिसाइल करीब 1,600 किलोमीटर तक के टारगेट को निशाना बना सकती है.
इतिहास में कहां-कहां हुआ इस्तेमाल?
- 1991 – Gulf War: 280 से ज्यादा टॉमहॉक मिसाइलें दागी गईं.
- 1998 – अफगानिस्तान और सूडान में आतंकी ठिकानों पर हमला.
- 2003 – इराक युद्ध में भारी मात्रा में इस्तेमाल.
- 2011 – लीबिया में हवाई सुरक्षा सिस्टम को नष्ट करने के लिए.
- 2017 – सीरिया के शायरत एयरबेस पर 59 टॉमहॉक मिसाइलें दागी गईं.
एक टॉमहॉक मिसाइल की कीमत और ताकत
- लंबाई: करीब 18.4 फीट
- वजन: करीब 3,200 पाउंड (बूस्टर के साथ 4,400 पाउंड)
- कीमत: लगभग 2 मिलियन डॉलर (करीब 16-17 करोड़ रुपये)
- वारहेड: 1,000 पाउंड तक का पारंपरिक विस्फोटक या क्लस्टर बम
ईरान का विरोध
ईरान ने इस हमले को “बर्बर सैन्य आक्रमण” बताते हुए अमेरिका की कड़ी आलोचना की है. ईरान के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका को इसके “भयानक परिणामों” के लिए जिम्मेदार ठहराया और इजरायल के साथ मिलीभगत का आरोप भी लगाया. हालांकि, बाद में ट्रंप ने साफ किया है कि वह फिलहाल किसी अन्य सैन्य कार्रवाई करने की प्लानिंग नहीं कर रहे हैं.
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