टैरिफ पर ट्रंप को US सुप्रीम कोर्ट से झटका! राष्ट्रपति की ‘अनलिमिटेड इकोनॉमिक पॉवर’ पर जजों ने उठाए सवाल

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में ट्रंप के टैरिफ को लेकर सुनवाई जारी है. बुधवार को जजों ने ट्रंप प्रशासन से पूछा कि क्या राष्ट्रपति कांग्रेस की मंजूरी बिना वैश्विक टैरिफ लगा सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट में IEEPA कानून के तहत ‘आपातकालीन शक्तियों’ पर उठे संवैधानिक सवाल आने वाले दिनों में ट्रंप टैरिफ नीति पर गहरा असर डाल सकते हैं.

ट्रंप Image Credit: TV9 Bharatvarsh

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाए गए वैश्विक टैरिफ पर सुनवाई के दौरान जजों ने इस फैसले की संवैधानिकता पर शंका जताई. CNBC, रॉयटर और AP ने अपनी अलग-अलग रिपोर्ट्स में बताया है कि इस दौरान यह सवाल भी उठाया गया कि क्या किसी राष्ट्रपति को आपातकालीन कानून के नाम पर कांग्रेस की टैक्स लगाने की शक्ति को नजरअंदाज करने का अधिकार है?

क्या है पूरा मामला

ट्रंप ने इंटरनेशनल इमर्जेंसी इकोनॉमिक पावर एक्ट (IEEPA) के तहत ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ घोषित कर अप्रैल में लगभग सभी व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ लगाए थे. इससे पहले फरवरी में उन्होंने कनाडा, चीन और मैक्सिको से आयात पर फेंटानिल टैरिफ भी लागू किया कियाा. ट्रंप का तर्क था कि यह कदम विदेशी नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है.

निचली अदालतों में हो चुकी है हार

दो निचली अदालतों और एक फेडरल अपील कोर्ट ने पहले ही फैसला दिया था कि IEEPA राष्ट्रपति को असीमित टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं देता है. अमेरिकी संविधान के मुताबिक, टैरिफ लगाना कांग्रेस की शक्ति है, राष्ट्रपति की नहीं. लिहाजा, ट्रंप का फैसला अवैध है.

सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ

रिपोर्ट्स के मुताबिक बुधवार को सुनवाई के दौरान कंजरवेटिव और लिबरल दोनों जजों ने सरकार की दलीलों पर सख्त सवाल उठाए. चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स, एमी कोनी बैरेट और नील गोरसच के सवालों से संकेत मिला कि वे भी ट्रंप प्रशासन के पक्ष में नहीं हैं. तीनों लिबरल जजों ने भी टैरिफ नीति को लेकर संदेह जताया.

ट्रंप प्रशासन की दलील

अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि सॉलिसिटर जनरल डी जॉन सॉयर ने कहा कि राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान व्यापक आर्थिक कदम उठाने का संवैधानिक अधिकार है. उन्होंने तर्क दिया कि यह कदम विदेश नीति का हिस्सा है, जिसमें अदालत को दखल नहीं देना चाहिए.

क्या दांव पर है

इस मामले की सुनवाई के जरिये US का फेडरल सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों की सीमा तय कर सकता है. इसके साथ ही यह भी पता चलेगा कि क्या ट्रंप को भी उन मानकों का सामना करना होगा, जो कोर्ट ने जो बाइडेन के मामलों में तय किए थे? अगर कोर्ट ने टैरिफ को अवैध माना, तो यह ट्रंप की आर्थिक नीतियों और चुनावी रणनीति दोनों को झटका देगा.

अब आगे क्या

सुनवाई करीब दो घंटे तक चली और हर जज ने इस अहम मुद्दे पर तीखे सवाल किए. हालांकि फैसला कब आएगा, यह स्पष्ट नहीं है. आमतौर पर ऐसे हाई-प्रोफाइल मामलों में कई महीने लगते हैं, लेकिन अदालत चाहे तो जल्द भी निर्णय सुना सकती है. बरहहाल, यह मुकदमा केवल ट्रंप की नीति पर नहीं, बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति की संवैधानिक सीमाओं का फैसला भी कर सकता है. सवाल यही है कि क्या ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ की आड़ में कोई राष्ट्रपति वैश्विक व्यापार युद्ध छेड़ सकता है?