ई-रिक्शा के लिए भारत NCAP जैसे सुरक्षा मानक लाने की तैयारी में सरकार, नितिन गडकरी ने दिए संकेत
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को बताया कि सरकार सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए ई-रिक्शा के लिए भी भारत-NCAP जैसे सुरक्षा मानक लागू करने पर विचार कर रही है. इसके साथ ही उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे सड़क हादसे के शिकार लोगों की मदद करने से हिचकिचाएं नहीं और उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाएं.

देश रोड इन्फ्रा बेहतर होने के साथ ही सड़क दुर्घटनाओं में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इसके पीछे वाहन सुरक्षा मानकों की कमी को बड़ा कारण है. केंद्र सरकार अब ई-रिक्शा की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दे रही है. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि सरकार ई-रिक्शा के लिए भारत NCAP जैसे सुरक्षा मानक लागू करने पर विचार कर रही है, जिससे देश में सड़क सुरक्षा को मजबूत बनाया जा सके.
नितिन गडकरी ने FICCI की तरफ से आयोजित रोड सेफ्टी अवॉर्ड्स एंड सिम्पोजियम के 7वें संस्करण में कहा, सड़क सुरक्षा सरकार के लिए एक अहम मुद्दा है. भारत में हर साल करीब 5 लाख सड़क हादसे होते हैं, जिनमें 1.8 लाख लोगों की जान चली जाती है. इनमें से 66.4% मृतक 18 से 45 वर्ष के बीच की आयु वर्ग के होते हैं. युवा पीढ़ी का इतनी बड़ी संख्या में सड़क हादसों का शिकार होना बेहद चिंताजनक है और इसके लिए जागरूकता के साथ-साथ मजबूत सुरक्षा मानकों की जरूरत है.
ई-रिक्शा पर ध्यान क्यों?
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देशभर में ई-रिक्शा की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है और यह अब शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बड़ी संख्या में इस्तेमाल किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा, हम ई-रिक्शा के लिए भी भारत NCAP जैसे मानक लाने की दिशा में काम कर रहे हैं. यह इसलिए जरूरी है, क्योंकि इनकी संख्या लाखों में है और इनकी सुरक्षा पर ध्यान न देने से गंभीर खतरे पैदा हो सकते हैं.
भारत NCAP से मिलेगी नई दिशा
गडकरी ने याद दिलाया कि 2023 में केंद्र सरकार ने भारत न्यू कार एसेसमेंट प्रोग्राम (NCAP) शुरू किया था, जिसके तहत 3.5 टन तक के मोटर वाहनों की सुरक्षा रेटिंग तय की जाती है. इसमें वाहनों को क्रैश टेस्ट और अन्य सुरक्षा मानकों पर परखा जाता है. अब सरकार चाहती है कि इसी तरह की व्यवस्था ई-रिक्शा पर भी लागू की जाए, ताकि यात्रियों और चालकों की सुरक्षा को मजबूत किया जा सके.
सड़क हादसों की बड़ी वजह
गडकरी ने सड़क सुरक्षा से जुड़े आंकड़े साझा करते हुए कहा कि हर साल लगभग 30,000 लोगों की मौत केवल हेलमेट न पहनने से होती है, जबकि 16,000 मौतें सीट बेल्ट न लगाने के कारण होती हैं. उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं से देश को आर्थिक रूप से भी नुकसान झेलना पड़ता है. उन्होंने बताया कि करीब 3% GDP सिर्फ सड़क दुर्घटनाओं की वजह से बर्बाद हो जाती है.
सुरक्षा ऑडिट और चुनौतियां
गडकरी ने बताया कि सरकार ने देशभर में सड़क सुरक्षा ऑडिट कराई है, इसमें हादसों के कारणों की पहचान की गई है. इसके आधार पर ही ई-रिक्शा के लिए सुरक्षा मानक तय करने पर विचार किया जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने माना कि सरकार को तमाम क्षेत्रों में कामयाबी मिली है, लेकिन सड़क सुरक्षा में अपेक्षित प्रगति नहीं हो पाई है. उन्होंने कहा, सड़क हादसा एक सामाजिक समस्या है और इसे मिलकर सुलझाना होगा.
ई-रिक्शा इंडस्ट्री की स्थिति और चुनौतियां
भारत फिलहाल करीब 30 लाख ई-रिक्शा सड़कों पर दौड़ रहे हैं. यह संख्या लगातार बढ़ रही है, क्योंकि ये सस्ते, प्रदूषण मुक्त और आसानी से उपलब्ध परिवहन साधन हैं. हालांकि, इनकी सुरक्षा बड़ी चुनौती बनी हुई है. क्योंकि, ज्यादातर ई-रिक्शा असंगठित सेक्टर में बनते हैं और इनमें बेसिक सेफ्टी फीचर्स का अभाव होता है. इसके अलावा कई बार इन वाहनों में ओवरलोडिंग की जाती है, जिससे दुर्घटना का खतरा और बढ़ जाता है. वहीं, सड़क पर इनकी कम गति के बावजूद अचानक ब्रेक फेल होना या बैटरी से जुड़ी समस्याएं भी हादसों का कारण बनती हैं. यही वजह है कि सरकार अब इन वाहनों के लिए भी सुरक्षा मानक तय करना चाहती है.
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