बिजली बनाने में भारत आगे या चीन? पावर डाटा देख रह जाएंगे हैरान, जानें 167 अरब डॉलर का नया खेल

चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने हाल ही में तिब्बत के मेदोग काउंटी में यारलुंग त्सांगपो हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट निर्माण की बात कही है, ये दुनिया का सबसे बड़ा बिजली प्रोड्यूस करने वाला डैम होगा, इससे चीन की बिजली उत्‍पादन क्षमता काफी बढ़ जाएगी. हालांकि अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास बनने वाले इस डैम से भारत पर असर पड़ सकता है. अगर दोनों देशों की बिजली उत्‍पादन क्षमता पर नजर डालें तो जानें दोनों के टारगेट और प्‍लानिंग.

चीन या भारत, बिजली उत्‍पादन में कौन है आगे? Image Credit: money9

India Vs China Power Capacity: अलग-अलग मुद्दों की वजह से भारत और चीन अक्‍सर दोनों में तनातनी रहती है. उनके बीच ये गहमागहमी आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है, क्‍योंकि चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने हाल ही में तिब्बत के मेदोग काउंटी में यारलुंग त्सांगपो हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के निर्माण की घोषणा की. ये दुनिया के सबसे बड़े डैम में से एक होगा जो सबसे ज्‍यादा बिजली का उत्‍पादन करेगा. मगर भारत के लिए ये मुश्किलें खड़ी कर सकता है. क्‍योंकि चीन का ये डैम यानी बांध भारत के अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास बना है, जिससे भारत को नुकसान झेलना पड़ सकता है. अब सवाल उठता है कि आखिर चीन के इस नए प्‍लान की वजह से उसकी बिजली उत्‍पादन क्षमता कितनी बढ़ जाएगी और अभी उसकी कैपेसिटी कितनी हैं, वहीं अगर भारत से इसकी तुलना की जाए तो वो अभी किसी स्थिति में है, आज हम आपको इसी बारे में बताएंगे.

भारत की कितनी है बिजली उत्‍पादन क्षमता?

ओमिनिसाइंस कैपिटल की पावर कैपेक्स रिपोर्ट के अनुसार भारत 2035 तक 850-900 गीगावाट नई बिजली क्षमता जोड़ेगा, जिससे कुल क्षमता 1,300-1,400 गीगावाट हो जाएगी. जबकि वित्‍त वर्ष 2025 तक भारत की कुल बिजली उत्‍पादन क्षमता 475 गीगावाट है, जिसमें रिन्‍यूएबल और नॉन रिन्‍यूएबल एनर्जी दोनों शामिल है. रिपोर्ट के मुताबिक कुल बिजली उत्‍पादन क्षमता में से नॉन रिन्‍यूएबल एनर्जी क्षमता 255 गीगावाट यानी कुल क्षमता का 54 फीसदी है, वहीं रिन्‍यूएबल एनर्जी का हिस्‍सा 46 फीसदी यानी 220 गीगावाट है.

Source: Omniscience Capital’s Power Capex report,

क्‍या है आगे की प्‍लानिंग?

पावर कैपेक्स रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2035 तक नई बिजली क्षमता जोड़ेगा, जिससे कुल क्षमता 1,300-1,400 गीगावाट हो जाएगी. इस एनर्जी चेंज के लिए 65-70 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी, जिसमें से 15 लाख करोड़ रुपये ट्रांसमिशन ग्रिड और स्मार्ट मीटर में लगाए जाएंगे. FY25 से FY35 तक भारत के ऊर्जा परिवर्तन पर 54 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें सोलर एनर्जी की हिस्सेदारी सबसे बड़ी होगी. इसमें 23 लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा.

चीन की कितनी है बिजली उत्‍पादन क्षमता?

S&P Global की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की नेशनल एनर्जी एडमिनिस्‍ट्रेशन यानाी NEA के 2025 दिशानिर्देश के अनुसार, चीन की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 2024 में 3,170 गीगावाट थी. चीन ने 2025 में इसका टारगेट 3,600 गीगावाट को पार करने का रखा था. साथ ही इस साल न्‍यू रिन्‍यूएबल एनर्जी प्रोडक्‍शन कैपेसिटी को 200 गीगावाट से ज्‍यादा करने का लक्ष्‍य रखा गया था.

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चीन के नए प्रोजेक्‍ट में क्‍या है खास?

चीन के167 अरब डॉलर की इस विशाल प्रोजेक्‍ट के तहत बनने वाला डैम यानी बांध दुनिया का सबसे बड़ा डैम होगा, जो 60 गीगावाट बिजली उत्पादन और सालाना 300 अरब किलोवाट-घंटे की क्षमता रखेगा. यह यांग्त्से नदी पर बने थ्री गॉर्जेस डैम से तीन गुना बड़ा होगा. यह प्रोजेक्ट यारलुंग त्सांगपो नदी के “ग्रेट बेंड” पर बनाया जा रहा है, जिसे भारत में ब्रह्मपुत्र और बांग्लादेश में जमुना के नाम से जाना जाता है. चीन का दावा है कि यह परियोजना 2060 तक कार्बन न्यूट्रल बनने की उसकी योजना का हिस्सा है.

भारत को किस खतरे का डर?

चीन ये नया डैम अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास बन रहा है, जिसे चीन दक्षिण तिब्बत कहकर अपना हिस्सा बताता है. चूंकि भारत और चीन के बीच 1962 का युद्ध इसी एरिया में हुआ था. इसलिए जानकारों का कहना है कि इस बांध के इस्‍तेमाल से तनाव दोबारा बढ़ सकता है. इसके अलावा यारलुंग ज़ांगबो ग्रैंड कैन्यन जैव-विविधता का खजाना है. यहां एशिया के सबसे ऊंचे और पुराने पेड़ और बड़े मांसाहारी जानवर (जैसे तेंदुआ, बाघ) पाए जाते हैं. बांध बनने से पर्यावरण को नुकसान पहुंच सकता है.