ED के निशाने पर कैसे आए Anil Ambani, 8 साल पहले हुआ खेल! Yes Bank और इन डूबी कंपनियों से है लिंक
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी की कंपनियों से जुड़े 50 से अधिक ठिकानों पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में छापेमारी की है. यह कार्रवाई रिलायंस कम्युनिकेशंस और अनिल अंबानी को SBI द्वारा 'फ्रॉड' घोषित किए जाने के बाद की गई. जांच में यस बैंक से लिए गए 3,000 करोड़ के लोन और RHFL को दिए गए संदिग्ध कॉर्पोरेट लोन की भी पड़ताल हो रही है.

Anil Ambani ED raid: प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुवार को अनिल अंबानी की कंपनियों से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की. यह कार्रवाई स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) द्वारा रिलायंस कम्युनिकेशंस को ‘फ्रॉड’ घोषित किए जाने के कुछ दिन बाद हुई है. हालांकि, अनिल अंबानी के निजी आवास को इस छापेमारी में शामिल नहीं किया गया, लेकिन दिल्ली और मुंबई की ईडी टीमों ने उनकी कंपनियों से जुड़े कई परिसरों की तलाशी ली है. यह जांच रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप (RAAGA) की कंपनियों पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों से संबंधित है. तो चलिए आपको बताते हैं कि पूरा मामला क्या है और ये छापेमारी क्यों हो रही है.
कई इनपुट के आधार पर हो रही कार्रवाई
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी ने यह छापेमारी नेशनल हाउसिंग बैंक, सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड), एनएफआरए (नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी), बैंक ऑफ बड़ौदा और सीबीआई द्वारा दर्ज की गई दो एफआईआर से प्राप्त जानकारी के आधार पर की है.
इस जांच में अनिल अंबानी समूह से जुड़े कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के ठिकानों पर भी छापेमारी की गई. ईडी का दावा है कि उसे पब्लिक मनी को डायवर्ट करने की एक सोची-समझी योजना के सबूत मिले हैं. जांच से यह संकेत मिलता है कि इस प्रक्रिया में बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और सरकारी संस्थानों को धोखा दिया गया हो सकता है.
जांच के केंद्र में यस बैंक के लोन
रिपोर्ट के अनुसार, ईडी 2017 से 2019 के बीच यस बैंक से लिए गए 3,000 करोड़ रुपये के लोन के अवैध इस्तेमाल की जांच कर रही है. ईडी का कहना है कि यह पैसा कंपनियों को देने से पहले ही बैंक के प्रमोटर्स से जुड़े लोगों को ट्रांसफर कर दिया गया था.
जांच में रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) पर भी नजर है. एक बड़ा संदेह यह है कि इस कंपनी को कॉर्पोरेट लोन 2017-18 में 3,742.60 करोड़ से बढ़कर 2018-19 में 8,670.80 करोड़ रुपये हो गया था. रिपोर्ट के मुताबिक, यस बैंक के पूर्व प्रमोटर्स की रिश्वतखोरी की आशंका भी जांच का हिस्सा है.
SBI ने आरकॉम और अनिल अंबानी को फ्रॉड घोषित किया
ईडी की यह कार्रवाई SBI के उस निर्णय के बाद हुई है, जिसमें अनिल अंबानी और उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) को ‘फ्रॉड’ घोषित किया गया था. 13 जून 2025 को RBI के दिशा-निर्देशों और अपनी आंतरिक नीति के तहत SBI ने कंपनी और उसके प्रमोटर को फ्रॉड की श्रेणी में रखा है.
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा को बताया कि SBI ने 24 जून 2025 को यह मामला RBI को रिपोर्ट किया. अब बैंक सीबीआई में औपचारिक शिकायत दर्ज करने की तैयारी कर रहा है. 1 जुलाई 2025 को आरकॉम के रेजोल्यूशन प्रोफेशनल ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को भी SBI के इस निर्णय के बारे में जानकारी दी थी.
SBI का रिलायंस कम्युनिकेशंस पर बड़ा कर्ज
SBI का रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) पर 2,227.64 करोड़ रुपये का मूल कर्ज है, जिस पर 26 अगस्त 2016 से ब्याज और अन्य शुल्क भी जुड़ रहे हैं. इसके अलावा, बैंक ने 786.52 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी भी दी हुई है.
आरकॉम पहले से ही दिवाला कानून (IBC 2016) के तहत दिवालिया प्रक्रिया में है. 6 मार्च 2020 को लेनदारों की समिति ने एक पुनर्गठन योजना को मंजूरी दी थी, जो NCLT मुंबई में विचाराधीन है. साथ ही, SBI ने अनिल अंबानी के खिलाफ व्यक्तिगत दिवालिया प्रक्रिया भी शुरू की है, जो NCLT में लंबित है.
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कितने स्थानों पर पड़ा छापा
सूत्रों के अनुसार, ईडी ने अनिल अंबानी की 50 कंपनियों और कार्यालयों पर छापेमारी की है. इसमें दिल्ली और मुंबई जैसे शहर शामिल हैं. इस जांच के दायरे में ईडी ने 50 से अधिक कंपनियों और 25 व्यक्तियों को शामिल किया है.
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