IIP June 2025: 10 महीने के निचले स्तर पर औद्योगिक उत्पादन, 1.5 फीसदी रही ग्रोथ; मैन्युफैक्चरिंग में सुधार
जून 2025 में देश में औद्योगिक उत्पादन की ग्रोथ सालाना आधार पर 1.5 फीसदी रही. इससे पहले मई में यह ग्रोथ रेट 1.9 फीसदी रही थी. MoSPI यानी सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की तरफ से जारी डाटा के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग के आउटपुट में इस बार अच्छी ग्रोथ देखने को मिली है.

Index of Industrial Production June 2025: भारत का औद्योगिक उत्पादन में जून 2025 में 10 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है. मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इम्प्लीमेंटेशन (MoSPI) की तरफ से सोमवार को जारी डाटा के मुताबिक जून 2025 में सालाना आधार पर IIP में 1.5 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई है. वहीं, इससे पहले मई 2025 में यह ग्रोथ रेट 1.9 फीसदी रही. IIP में आई गिरावट से पता चलता है कि देश में औद्योगिक गतिविधियां सुस्त हो रही हैं.

मैन्युफैक्चरिंग ने पकड़ी रफ्तार
जून 2025 में IIP में सबसे अच्छा प्रदर्शन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का रहा है. मंत्रालय की तरफ से जारी डाटा के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग का आउटपुट जून में 3.9 फीसदी बढ़ा, जो मई के 3.4% से अधिक है. IIP में इसका अहम योगदान रहता है. मैन्युफैक्चरिंग में ग्रोथ की वजह उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में सुधार को माना जा रहा है.
माइनिंग और बिजली उत्पादन में गिरावट
MoSPI के आंकड़ों के मुताबिक माइनिंग और बिजली उत्पादन में गिरावट देखने को मिली है. जून में माइनिंग सेक्टर का आउटपुट 8.7% घटा, जबकि बिजली उत्पादन में 2.6% की कमी आई. इससे पहले मई में बिजली उत्पादन में 4.7% की गिरावट हुई थी. इस तरह मासिक आधार पर हल्का सुधार हुआ है.
उपभोक्ता वस्तुओं का प्रदर्शन
उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं (Consumer Durables) का उत्पादन जून में 2.9% बढ़ा, जो मई के 1.8% से अधिक है. इसके विपरीत, उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं (Non-Durables) का उत्पादन 0.4% घटा. यह ग्रामीण मांग में अस्थिरता को दर्शाता है.
कोर सेक्टर में हल्का सुधार
औद्योगिक उत्पादन का करीब 40 फीसदी हिस्सा कवर करने वाले कोर सेक्टर का उत्पादन जून में 1.7% बढ़ा, जो पिछले तीन महीनों का उच्चतम स्तर है. इसमें स्टील उत्पादन 9.3%, सीमेंट उत्पादन 9.2% और रिफाइनरी उत्पादन 3.4% बढ़ा है. वहीं, कोयला, क्रूड ऑयल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में गिरावट देखने को मिली है.
मांग में सुस्ती बनी बाधा
मई में औद्योगिक उत्पादन की ग्रोथ रेट नौ महीने के निचले स्तर पर आ गई थी. इसके पीछे बिजली खपत में कमी और खनन उत्पादन में गिरावट को अहम वजह माना गया. इसके अलावा वैश्विक मांग में सुस्ती, मुद्रास्फीति का दबाव और पाकिस्तान के साथ सीमा तनाव जैसे फैक्टर्स की वजह से भी उद्योगों की ग्रोथ पर असर पड़ा है.
कैसी है आगे की राह?
अप्रैल-जून 2025 (Q1 FY26) तिमाही में देश में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि केवल 2% रही, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 5.4% थी. बहरहाल, औद्योगिक उत्पादन की ग्रोथ में कमी को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी कैपेक्स में बढ़ोतरी, ग्रामीण मांग में सुधार और अनुकूल मानसून के चलते आने वाले महीनों में औद्योगिक उत्पादन में तेजी आ सकती है. जून के IIP से औद्योगिक गतिविधियों में सुधार के संकेत मिलने लगे हैं. खासतौर पर Purchasing Managers Index (PMI) जून में 58.4 अंकों पर पहुंच गया, जो तीन महीने का उच्च स्तर है. यह बताता है कि आने वाले दिनों में औद्योगिक उत्पादन बढ़ सकता है.
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