ट्रंप के दावे के बीच ये है हकीकत, भारत ने खरीद लिया 25597 करोड़ का रूसी तेल; चीन के बाद सबसे बड़ा खरीदार

Indian Russian Oil: एक तरफ अमेरिका लगातार भारत को रूस से तेल की खरीदारी रोकने के लिए कह रहा है, लेकिन भारत अपने फैसले पर अडिग है और भारी मात्रा में कच्चे तेल का आयात कर रहा है. भारत रूसी कोयला और रिफाइंड फ्यूल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है. चीन के बाद दूसरे नंबर पर भारत ही है.

रूस के कच्चे तेल का भारत दूसरा सबसे बड़ा खरीदार. Image Credit: AI

Indian Russian Oil: बीते दिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा. अमेरिका लंबे समय से डिमांड है कि भारत, रूस के तेल की खरीदारी रोक दे. ट्रंप के दावे के बाद भारत ने अपनी नीति फिर से दोहरा दी है. सरकार ने कहा कि देश के ऊर्जा संबंधी निर्णय उपभोक्ता हितों को ध्यान में रखकर लिए जाते हैं. सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि स्थिर ऊर्जा मूल्य सुनिश्चित करना और आपूर्ति सुनिश्चित करना भारत की ऊर्जा नीति के दो उद्देश्य हैं और फैसले इसी आधार पर लिए जाते हैं. एक तरफ अमेरिका लगातार भारत को रूस से तेल की खरीदारी रोकने के लिए कह रहा है, लेकिन भारत अपने फैसले पर अडिग है और भारी मात्रा में कच्चे तेल का आयात कर रहा है. भारत रूसी कोयला और रिफाइंड फ्यूल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है. चीन के बाद दूसरे नंबर पर भारत ही है.

भारत ने साफ कर दी अपनी पॉलिसी

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘भारत तेल और गैस का एक महत्वपूर्ण आयातक है. अस्थिर ऊर्जा परिदृश्य में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना हमारी निरंतर प्राथमिकता रही है. हमारी आयात नीतियां पूरी तरह इसी उद्देश्य से निर्देशित होती हैं.’

अमेरिका हाल के महीनों में न पर रूस से तेल आयात रोकने का दबाव बना रहा है, जो भारत के कुल तेल आयात का एक-तिहाई हिस्सा है. उसका तर्क है कि इस कदम से मास्को के आर्थिक संसाधन सीमित हो जाएंगे और उसे यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. बुधवार को ट्रंप ने दावा किया, ‘उन्होंने (प्रधानमंत्री मोदी) आज मुझे आश्वासन दिया कि वे रूस से तेल नहीं खरीदेंगे. यह एक बड़ा कदम है. अब हम चीन से भी यही करवाने जा रहे हैं.’

ये तो ट्रंप के दावे हैं. अब थोड़ा आंकड़े पर भी एक नजर डाल लेते हैं कि भारत और चीन रूस से कितना फ्यूल का इंपोर्ट कर रहे हैं.

दूसरा सबसे बड़ा खरीदार भारत

हेलसिंकी स्थित सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) के अनुसार, भारतीय रिफाइनरियों ने सितंबर में 2.5 अरब यूरो (₹25,597 करोड़) मूल्य का रूसी कच्चा तेल खरीदा, जो चीन के 3.2 अरब यूरो से कम है. भारत रूसी कोयला और रिफाइंड फ्यूल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार भी था, जिसका कुल फॉसिल फ्यूल इंपोर्ट 3.6 अरब यूरो था, जो चीन के 5.5 अरब यूरो के बाद दूसरे स्थान पर था.

कुल मिलाकर, रूसी फॉसिल फ्यूल खरीदारों में चीन पहले स्थान पर रहा, उसके बाद भारत, तुर्किये, यूरोपीय संघ और दक्षिण कोरिया का स्थान रहा. चीन रूसी कच्चे तेल, एलएनजी और कोयले का सबसे बड़ा आयातक था, जबकि रिफाइंड तेल उत्पादों और पाइपलाइन गैस के मामले में तुर्किये सबसे आगे था.

ट्रंप प्रशासन नई दिल्ली पर रूसी तेल आयात पर अंकुश लगाने का दबाव बना रहा है. उसने रूसी तेल खरीद के दंड के रूप में भारतीय निर्यात पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ भी लगाया है. हालांकि, अन्य खरीदारों के खिलाफ ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

रूस से तेल इंपोर्ट में गिरावट

रूस से भारत का कच्चा तेल आयात सितंबर में क्रमिक रूप से 9 फीसदी गिरकर फरवरी के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया, जिसका कारण सरकार ऑपरेटेड रिफाइनरों द्वारा खरीद में 38 फीसदी की गिरावट है. यह मई 2022 के बाद से सबसे कम है. क्रू़ड ऑयल के अलावा, भारत ने 452 मिलियन यूरो का कोयला और 344 मिलियन यूरो के रिफाइंड तेल उत्पाद भी खरीदे, जबकि चीन ने 784 मिलियन यूरो का कोयला, 658 मिलियन यूरो की पाइपलाइन गैस और 487 मिलियन यूरो की एलएनजी का आयात किया.

तुर्किये तीसरा सबसे बड़ा आयातक

सितंबर में तुर्किये तीसरा सबसे बड़ा आयातक था, जिसने 2.6 अरब यूरो के रूसी फॉसिल फ्यूल आयात किए, जिनमें 1 अरब यूरो पाइपलाइन गैस और 542 मिलियन यूरो के कच्चे तेल शामिल हैं. यूक्रेन पर हमलों के कारण प्रोडक्शन बाधित होने के बाद रूसी डीजल निर्यात में कमी के कारण, इसके तेल उत्पादों के आयात में क्रमिक रूप से 27 फीसदी की गिरावट आई. यूरोपीय संघ ने रूस से 743 मिलियन यूरो के एलएनजी और पाइपलाइन गैस तथा 311 मिलियन यूरो के कच्चे तेल का आयात किया.

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