India-UK FTA: स्कॉच व्हिस्की पर टैरिफ आधा, क्या 2500 में मिलेगी 5000 की बोतल, जानें पूरा गणित

भारत और ब्रिटेन में हुए Free Trade Agreement की वजह से उम्मीद की जा रही है कि इम्पोर्टेड स्कॉच व्हिस्की की कीमत में भारी कमी हो सकती है. क्योंकि, इस समझौते के तहत भारत स्कॉच पर टैरिफ को घटाकर आधा करने जा रहा है. ऐसे में क्या वाकई इम्पोर्टेड स्कॉच की कीमत आधी हो जाएगी. जानते हैं इसका पूरा गणित क्या है और कीमत कितनी कम हो सकती हैं?

दुनिया की टॉप 20 में से आधी से ज्यादा सबसे ज्यादा बिकने वाली व्हिस्की ब्रांड्स भारत की हैं Image Credit: FREEPIK

India–UK Free Trade Agreement Scotch Whisky Tariff: यूनाइडेट किंगडम में शामिल स्कॉटलैंड की व्हिस्की, पूरी दुनिया में फेमस है. भारत इस स्कॉच व्हिस्की का सबसे ज्यादा इम्पोर्ट करता है. साल 2024 में भारत ने 19.2 करोड़ स्कॉच बोतल आयात की थीं, जिसके लिए भारत ने ब्रिटेन को 24.8 करोड़ पाउंड यानी करीब 3 हजार करोड़ रुपये चुकाए. इस तरह एक बोतल की औसत कीमत 1.29 पाउंड यानी करीब 150 रुपये होती है. लेकिन, भारत में रिटेल स्पेस में बिकने वाली इम्पोर्टेड स्कॉच की औसत कीमत 1700 से 3400 रुपये के बीच है. ऐसे में यह उम्मीद बढ़ गई है कि अब स्कॉच व्हिस्की के दाम में कमी आएगी.

क्यों महंगी मिलती है स्कॉच?

अब तक भारत में स्कॉच के आयात पर 150 फीसदी टैरिफ लगाया जाता रहा है. लेकिन, अब यह घटकर आधा यानी 75 फीसदी हो जाएगा. बहरहाल, अगर 150 फीसदी टैरिफ के लिहाज से देखें, तो एक बोतल की कीमत 225 रुपये हो जाती है. इसके बाद राज्यों के VAT और एक्साइज ड्यूटी को मिला लिया जाए, तो एक बोतल की औसत कीमत 300 रुपये से ज्यादा हो जाती है. हालांकि, शिपिंग, लॉजिस्टिक्स, ट्रांसपोर्टेशन, पैकेजिंग, हैंडलिंग और मार्जिन जैस खर्चों की वजह से कीमत और बढ़ जाती है.

क्या वाकई आधी हो जाएगी कीमत?

भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच हुए नए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) के तहत स्कॉच व्हिस्की पर इम्पोर्ट टैरिफ को 150% से घटाकर 75% कर दिया गया है. इस घोषणा को गेम-चेंजर बताया गया है. लेकिन जमीनी हकीकत इससे काफी अलग हो सकती है. सुनने में यह कटौती बड़ी लगती है, लेकिन स्कॉच व्हिस्की पर टैक्सेशन की जटिल परतों के चलते इसका असर रिटेल प्राइस पर बेहद सीमित होगा.

भारत में स्कॉच की कीमत का ब्रेकअप

मिसाल के तौर पर अगर यूके में किसी प्रीमियम स्कॉच की एक बोतल की कीमत 100 पाउंड यानी करीब 10,500 रुपये है, तो भारत में वही बोतल लगभग करीब 30,000 रुपये या इससे भी अधिक में बिकती है. यह कीमत अलग-अलग राज्य में अलग हो सकती है. क्योंकि भारत के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में शराब पर अलग-अलग टैक्स लगता है. कुछ राज्यों में एक्साइज ड्यूटी 300% तक रही है, जिसे हाल ही में घटाया गया है. मसलन महाराष्ट्र में 300% से 150% तक एक्साइज ड्यूटी लगाई जा रही थी.

टैक्स या शुल्कटैक्स प्रतिशतकुल लागत में योगदान
बेस प्राइस (UK)₹1,050
इम्पोर्ट ड्यूटी75%₹787.5
एजुकेशन सेस और अन्य शुल्क~10%₹1,83.7
स्टेट एक्साइज ड्यूटी (उदाहरण: दिल्ली/Karnataka)80–100%₹1,800–₹2,100
VAT/सेल्स टैक्स~20%₹250
कुल अनुमानित कीमत₹3,000–₹3,400

इम्पोर्ट कट: बदलाव या भ्रम?

टैरिफ में कटौती को लेकर सोशल मीडिया और इनवेस्टमेंट फर्म्स काफी सक्रिय हो गई हैं. फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक कई व्हिस्की कास्क इनवेस्टमेंट कंपनियां इसे निवेश का सुनहरा मौका बता रही हैं. क्योंकि, अब भारत स्कॉच के लिए दरवाजे खोल रहा है और इसकी वजह से व्हिस्की कास्क की वैल्यू बढ़ेगी. लेकिन, भारत का बाजार इतना आसान नहीं है. टैरिफ घटने का सबसे पहले फायदा कंपनियां खुद उठाएंगी, ताकि उनका प्रॉफिट मार्जिन बढ़े. वहीं, अगर कंपनियां दाम कम भी करती हैं, तो राज्य सरकारें अपना टैक्स रेवेन्यू बढ़ाने के लिए वैट और एक्साइज ड्यूटी बढ़ा सकती हैं. ऐसे में रिटेल के स्तर पर दाम कम होने की उम्मीद बहुत कम है.

भारत के बाजार में कीमत अहम

भारत दुनिया का सबसे बड़ा व्हिस्की उपभोक्ता देश है. यहां सालाना 2.4 अरब बोतल व्हिस्की बिकती है. हालांकि इसमें बड़ी खपत सस्ती, मोलासेस (गुड़ से बनी) बेस्ड ‘इंडियन व्हिस्की’ की होती है. इस मामले में McDowell’s No.1 टॉप पर है. वहीं, टॉप स्कॉच ब्रांड Johnnie Walker की भारत के कुल व्हिस्की मार्केट में हिस्सेदारी सिर्फ 0.5% है. इस लिहाज से देखा जाए, तो स्कॉच पर टैरिफ कम किए जाने से न तो भारतीय व्हिस्की ब्रांड्स की सेल पर खास फर्क पड़ने की उम्मीद है और न स्कॉच की खपत बढ़ने की संभावना नजर आती है.

क्या है एक्सपर्ट की राय?

भारत-UK फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के चलते स्कॉच व्हिस्की पर टैरिफ घटकार 75 फीसदी किए जाने पर ब्रुअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल विनोद गिरी का कहना है कि इस टैक्स कटौती से कीमत कम जरूर होगी, लेकिन इसका फायदा कंज्यूमर तक पहुंचने की संभावना काफी कम है. गिरी का कहना है कि “FTA के बाद जो कीमत में कमी आएगी, वो पूरी तरह से बाजार में नहीं दिखेगी. कंपनियां उसका बहुत ही मामूली हिस्सा ही ग्राहकों को पास करेंगी.”

क्यों नहीं बढ़ेगी स्कॉच की खपत?

उन्होंने बताया कि शराब के बाजार में अलग-अलग दामों की कैटेगरी बनी है. इसमें 3000 रुपये से ऊपर इम्पोर्टेड प्रीमियम ब्रांड्स आते हैं. 1800 से 2000 रुपये में स्टैंडर्ड स्कॉच और कुछ इंडियन ब्रांड्स आते हैं. वहीं, 1000 से 1300 रुपये में IMFL सेगमेंट के ब्रांड आते हैं. अगर किसी इम्पोर्टेड स्कॉच व्हिस्की की कीमत 5000 रुपये है और FTA के वजह से कीमत घटकर 3750 भी हो जाए, तब भी वह 2000 रुपये वाली कैटेगरी से काफी ऊपर रहेगी. ऐसे में स्कॉच की खपत बढ़ने की संभावना बहुत कम है.

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