LIC ने अडानी ग्रुप में निवेश पर दी सफाई, कहा निर्णय स्वतंत्र और ड्यू डिलिजेंस के तहत; ईमेज खराब करने की कोशिश
LIC ने स्पष्ट किया कि अडानी ग्रुप की कंपनियों में उसके निवेश पूरी तरह स्वतंत्र और बोर्ड की ओर से स्वीकृत नीतियों के तहत किए गए हैं. अमेरिकी रिपोर्ट के आरोपों को LIC ने खारिज करते हुए कहा कि निवेश निर्णय ड्यू डिलिजेंस, नियमों और हितधारकों के सर्वोत्तम हित में लिए गए, जानें पूरा मामला.
LIC Adani Group Investment: भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन (LIC) ने शनिवार, 25 अक्टूबर को स्पष्ट किया कि अडानी ग्रुप की कंपनियों में उसके निवेश पूरी तरह स्वतंत्र रूप से और बोर्ड की ओर से स्वीकृत नीतियों के तहत किए गए हैं. LIC ने कहा कि इन निवेश निर्णयों से किसी दूसरे विभाग, जैसे कि वित्त मंत्रालय का विभाग या कोई दूसरी संस्था का कोई लेना-देना नहीं है.
कंपनी ने क्या कहा?
LIC ने बयान में कहा कि कंपनी ने सालों से अलग-अलग कंपनियों में निवेश के फैसले उनके फंडामेंटल और ड्यू डिलिजेंस के आधार पर किए हैं. भारत की शीर्ष 500 कंपनियों में LIC का निवेश 2014 में 1.56 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर अब 15.6 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो उसकी मजबूत फंड मैनेजमेंट और निवेश रणनीति का संकेत है. कंपनी ने कहा, “सभी निवेश निर्णय बोर्ड द्वारा स्वीकृत नीतियों और विस्तृत ड्यू डिलिजेंस के तहत किए जाते हैं.
LIC ने सुनिश्चित किया है कि हर निवेश उच्चतम मानकों के अनुरूप हो, और सभी निर्णय नियमों, एक्ट्स और रेगुलेटरी गाइडलाइन्स के अनुरूप लिए गए हैं. यह सभी हितधारकों के सर्वोत्तम हित में है.”
क्यों देनी पड़ी सफाई?
यह बयान अमेरिकी अखबार The Washington Post में प्रकाशित रिपोर्ट के जवाब में आया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि LIC को इस साल अडानी समूह में निवेश के लिए प्रेरित किया गया था, जब ग्रुप भारी कर्ज और अंतरराष्ट्रीय जांच के दायरे में था. रिपोर्ट में मई 2025 में LIC की ओर से अडानी पोर्ट्स एंड SEZ (APSEZ) में USD 570 मिलियन के निवेश का जिक्र किया गया, जिसे भारत में सबसे उच्च ‘AAA’ क्रेडिट रेटिंग प्राप्त है.
“LIC के ईमेज को खराब करने की कोशिश”
LIC ने स्पष्ट किया कि इस तरह की रिपोर्ट का उद्देश्य LIC के स्वतंत्र निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित करना और उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना है. LIC एक सामान्य फंड नहीं है, बल्कि भारत का सबसे बड़ा संस्थागत निवेशक है, जिसके पास 41 लाख करोड़ रुपये (USD 500 बिलियन से अधिक) के परिसंपत्तियां हैं. LIC वर्तमान में 351 लिस्टेड कंपनियों में निवेश करती है, जो लगभग हर बड़े सेक्टर और बिजनेस ग्रुप को कवर करती हैं. इसके अलावा, LIC के पास सरकारी बॉन्ड और कॉर्पोरेट लोन का भी पर्याप्त हिस्सा है, जिससे इसका निवेश पोर्टफोलियो बेहद विविध है और रिस्क कम होता है.
कितनी है LIC की अडानी ग्रुप में हिस्सेदारी?
अडानी समूह में LIC की हिस्सेदारी कुल कर्ज का 2 फीसदी से कम है. ग्लोबल निवेशक जैसे ब्लैकरॉक, अपोलो, जापान के Mizuho और MUFG बैंक, और जर्मनी का DZ बैंक भी हाल ही में अडानी के कर्ज में निवेश कर चुके हैं. कुल अडानी कर्ज 2.6 लाख करोड़ रुपये है, जो 90,000 करोड़ रुपये की वार्षिक ऑपरेटिंग प्रॉफिट और 60,000 करोड़ रुपये कैश से समर्थित है. इसका मतलब है कि अगर अडानी नई इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश को रोक दे, तो तीन साल से कम समय में इसका सारा कर्ज चुका सकता है.
इक्विटी निवेश में?
इक्विटी निवेश के मामले में भी अडानी LIC का सबसे बड़ा होल्डिंग नहीं है. रिलायंस इंडस्ट्रीज, ITC और टाटा ग्रुप LIC के बड़े निवेश में शामिल हैं. LIC के पास अडानी स्टॉक्स में 4 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि रिलायंस में 6.94 फीसदी, ITC में 15.86 फीसदी, HDFC बैंक में 4.89 फीसदी, SBI में 9.59 फीसदी और TCS में 5.02 फीसदी हिस्सेदारी है.
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