
UPI नहीं सिर्फ कैश, चांदनी चौक में बेंगलुरू जैसा डर, ग्राउंड रिपोर्ट में जानें कारोबारी क्यों बना रहे दूरी
UPI Payment in Chadni Chowk: UPI का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है. हर जगह पेमेंट के लिए UPI का इस्तेमाल हो रहा है. वहीं, देश की सबसे बड़ी होल सेल मार्केट में से एक, चांदनी चौक, जहां लाखों-करोड़ों का टर्नओवर है, वहां यूपीआई पेमेंट एक अलग ही कहानी बयां कर रहा है. इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट के व्यापारी अरुण कुमार बताते हैं कि उन्हें अपनी हर कमाई का हिसाब सरकार को देना पड़ता है. इसके अलावा, सरकार की GST की मार अलग से पड़ती है. इसका खामियाजा उन्हें ग्राहक खोकर देना पड़ता है. यही कारण है कि वे UPI पेमेंट स्वीकार नहीं करते. व्यापारियों का कहना है कि UPI पेमेंट की वजह से उनके लेन-देन का हिसाब सरकार के पास पहुंच रहा है, और फिर GST विभाग की नजर उन पर पड़ रही है. कुछ व्यापारियों को लाखों रुपये के टैक्स नोटिस मिले हैं, जिसने उन्हें डरा दिया है. इस मुद्दे की जांच-पड़ताल करने के लिए मनी 9 की टीम होल सेल मार्केट के गढ़ चांदनी चौक पहुंची, जहां हमने व्यापारियों, ग्राहकों और रिक्शा चालकों से बात कर पूरी कहानी सामने लाई.
क्या है मामला?
इन दिनों UPI पेमेंट को लेकर लोगों का मिजाज बदला-बदला दिख रहा है. देश भर में कुछ दुकानदारों और वेंडर्स ने UPI पेमेंट लेने से साफ इनकार कर दिया है और दुकान के बाहर लगा दिया है ‘UPI NAHI, SIRF CASH’. चांदनी चौक में कुछ साल पहले तक छोटे-बड़े दुकानदार QR कोड के जरिए पेमेंट ले रहे थे. चाहे साड़ी की दुकान हो, मसालों का ठेला हो या जलेबी की तवे की सिसकारी, हर जगह फोन पे और गूगल पे जैसे ऐप्स की आवाज गूंजती थी. लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. कुछ दुकानदारों ने QR कोड से पेमेंट लेना बंद कर दिया है. इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह है GST और सरकारी नोटिस का डर. देश के कई हिस्सों, खासकर बेंगलुरु जैसे डिजिटल पेमेंट के गढ़ में छोटे व्यापारी और सड़क किनारे के ठेले वाले UPI पेमेंट लेने से कतरा रहे हैं. चांदनी चौक में भी यही कहानी दोहराई जा रही है.
UPI न लेने की क्या वजहें
चांदनी चौक में हमने जब यहां के व्यापारियों से बात की, तो कई ने बताया कि UPI पेमेंट की वजह से उनकी कमाई का हिसाब सरकार तक पहुंच रहा है, और उन्हें डर है कि कहीं GST नोटिस उनके दरवाजे पर न दस्तक दे. एक बुजुर्ग बैग विक्रेता अमृत पाल सिंह ने अपनी परेशानी बताई. उन्होंने कहा, “हर चीज पर 18 फीसदी GST लगना हमारे लिए बड़ी मुसीबत है. खासकर गांव से आने वाले ग्राहक 18 फीसदी टैक्स देने से हिचकते हैं. मैं UPI पेमेंट नहीं लेता, क्योंकि इससे हमारा धंधा धीरे-धीरे कम हो रहा है.”
इलेक्ट्रिक मार्केट में इमरजेंसी लाइट का कारोबार करने वाले अरुण कुमार ने भी अपनी मजबूरी बताई. उन्होंने कहा, “UPI पेमेंट लेने में बहुत दिक्कतें हैं. जो लोग GST नंबर नहीं लेते, उन्हें 40 लाख तक की छूट मिलती है. लेकिन हमें हर पेमेंट का हिसाब देना पड़ता है. ऐसे में जो लोग बिना GST के माल बेचते हैं, वे कम कीमत पर सामान दे देते हैं. हम GST देकर बेचें, तो घाटे में चले जाते हैं.” अरुण ने एक उदाहरण दिया, “एक टॉर्च की कीमत 100 रुपये है. उस पर 18 फीसदी GST लगने के बाद वह 118 रुपये की हो जाती है. लेकिन बिना GST वाले दुकानदार इसे 110 रुपये में बेच देते हैं. इससे हमें अपने सामान को सही दाम पर बेचना मुश्किल हो जाता है. इसका हल तभी निकलेगा, जब फैक्ट्री से सबको एकसमान दाम पर माल मिले.”
GST का डर और नोटिस की मार
GST नियमों के मुताबिक, अगर कोई दुकानदार सामान बेचकर सालाना 40 लाख रुपये से ज्यादा कमाता है या सर्विस देकर 20 लाख रुपये से ज्यादा कमाता है, तो उसे GST में रजिस्टर करना जरूरी है. मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक के GST विभाग ने 14,000 छोटे व्यापारियों को नोटिस भेजे, जिनके UPI लेन-देन से सालाना 40 लाख रुपये से ज्यादा का टर्नओवर दिखा, लेकिन वे GST में रजिस्टर नहीं थे. बेंगलुरु और हुब्बली जैसे शहरों में इस डर की वजह से कई दुकानदारों ने QR कोड हटा दिए और कैश पर जोर देना शुरू कर दिया.
टैक्स एक्सपर्ट ने क्या कहा?
टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन का कहना है कि GST नोटिस का डर और भ्रम लोगों में ज्यादा फैल गया है. उन्होंने कहा, “ज्यादातर छोटे व्यापारियों का टर्नओवर इतना नहीं है कि वे GST के दायरे में आएं. UPI पेमेंट लेने से उनकी बिक्री बढ़ती है, क्योंकि आजकल लोग UPI का खूब इस्तेमाल करते हैं. लेकिन अफवाहों की वजह से लोग डर रहे हैं और UPI से दूरी बना रहे हैं.”
अफवाहों का जाल और UPI से दूरी
चांदनी चौक की गलियों में कुछ दुकानदार UPI से दूरी बनाने की वजह अफवाह भी हैं. पिछले कुछ समय से यह खबर फैली थी कि 2000 रुपये से ज्यादा के UPI लेन-देन पर सरकार टैक्स लगाएगी. हालांकि यह खबर बाद में गलत साबित हुई, लेकिन इसने कई व्यापारियों और ग्राहकों को डरा दिया. एक कपड़ा विक्रेता ने बताया, “जब यह खबर फैली थी कि 2000 रुपये से ज्यादा के UPI पेमेंट पर टैक्स लगेगा,तब से कई ग्राहक कैश में पेमेंट करने लगे. अब हम भी सोचते हैं कि कैश ही ठीक है.”
20 साल से चांदनी चौक में रिक्शा चला रहे मुश्ताक अजहर ने भी UPI से इनकार कर दिया. जब हमने ग्राहक बनकर उनसे पूछा कि क्या वे UPI पेमेंट लेते हैं, तो उन्होंने साफ मना कर दिया. कारण पूछने पर उन्होंने कहा, “सरकार GST नोटिस भेज रही है. इसलिए मैं UPI नहीं लेता.” लेकिन जब हमने पूछा कि उन्हें यह जानकारी कहां से मिली, तो उन्होंने बताया कि यह बात उन्होंने आसपास के लोगों से सुनी है. साफ है कि मुश्ताक जैसे कई लोग अफवाहों का शिकार हो रहे हैं.
बेंगलुरु से दिल्ली तक एक जैसी कहानी
चांदनी चौक की कहानी सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है. देश की आईटी राजधानी बेंगलुरु में भी यही हाल है. वहां की सड़कों पर खाने-पीने के ठेले और छोटी दुकानों से QR कोड गायब हो रहे हैं. उनकी जगह ‘केवल कैश’ के साइनबोर्ड लग गए हैं. बेंगलुरु स्ट्रीट वेंडर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव विनय के. श्रीनिवास ने बताया, “GST अधिकारियों के नोटिस की वजह से छोटे व्यापारी डर गए हैं. कईयों को लाखों रुपये के टैक्स नोटिस मिले हैं. इसलिए वे UPI की जगह कैश लेना पसंद कर रहे हैं.”