सैलरीड कर्मचारियों के लिए खुशखबरी! नई टैक्स रिजीम में भी मिलेगी छूट, जानें क्या हैं वे 5 तरीके

वित्त वर्ष 2025-26 के लिए नई टैक्स रिजीम में टैक्स छूट की सुविधाएं सीमित हैं, लेकिन फिर भी सैलरीड कर्मचारियों के पास टैक्स बचाने के कई स्मार्ट विकल्प मौजूद हैं. NPS, EPF, Arbitrage Funds, रिइंबर्समेंट्स और किराये की प्रॉपर्टी जैसे तरीकों से आप टैक्स में बड़ी राहत पा सकते हैं.

टैक्स सेविंग Image Credit: @Tv9

Tax Saving Tips for salaried people: वित्त वर्ष 2025-26 के लिए लागू नए टैक्स रिजीम में कई पुराने टैक्स डिडक्शन हटा दिए गए हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि टैक्स बचाने के रास्ते बंद हो गए हैं. खासकर सैलरीड कर्मचारियों के पास अब भी कुछ स्मार्ट विकल्प मौजूद हैं जिनसे वे टैक्स में अच्छी खासी राहत पा सकते हैं. आइए विस्तार से समझते हैं ऐसे 5 आसान उपाय.

NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) के जरिए टैक्स बचाएं

नई टैक्स रिजीम में कर्मचारी को सीधे NPS में निवेश करने पर टैक्स छूट नहीं मिलती, लेकिन अगर आपका एम्प्लॉयर आपके NPS अकाउंट में योगदान करता है, तो वह टैक्स फ्री होता है.

  • सेक्शन 80CCD(2) के तहत यह छूट दी जाती है.
  • आपके बेसिक वेतन का अधिकतम 14 फीसदी तक योगदान टैक्स से मुक्त है.
  • रिटायरमेंट पर NPS से 60 फीसदी राशि टैक्स फ्री निकाली जा सकती है और बाकी 40 फीसदी से आपको एन्यूटी खरीदनी होती है.

NPS न केवल रिटायरमेंट के लिए फायदेमंद है, बल्कि नई टैक्स व्यवस्था में भी यह एक मजबूत टैक्स बचत का विकल्प बन गया है.

EPF और VPF में अधिक योगदान कर टैक्स बचाएं

Employees’ Provident Fund (EPF) में एम्प्लॉयर का योगदान भी नई टैक्स व्यवस्था में टैक्स फ्री है.

  • कर्मचारी खुद भी EPF में योगदान करते हैं, जो आमतौर पर बेसिक सैलरी का 12 फीसदी होता है.
  • अगर आप चाहें तो Voluntary Provident Fund (VPF) के ज़रिए अपनी ओर से योगदान और बढ़ा सकते हैं.

ध्यान रहे:

  • EPF और NPS में एम्प्लॉयर का कुल योगदान सालाना 7.5 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए.
  • आपकी अपनी तरफ से EPF में सालाना 2.5 लाख रुपये तक का योगदान टैक्स फ्री माना जाएगा.

यह तरीका उन कर्मचारियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है जिनकी सैलरी हाई है.

Fixed Deposit की जगह Arbitrage Funds का इस्तेमाल करें

अगर आप फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसा लगाते हैं, तो उस पर मिलने वाला ब्याज आपकी टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्सेबल होता है. इसके मुकाबले Arbitrage Funds में एक साल से ज्यादा निवेश करने पर मिलने वाला मुनाफा सिर्फ 12.5 फीसदी टैक्स के दायरे में आता है. ये फंड्स कम रिस्क वाले होते हैं और FD जैसा रिटर्न देते हैं. साथ ही, 1.25 लाख रुपये तक का लॉन्ग टर्म गेन टैक्स फ्री होता है. आप हर साल ये गेन बुक कर सकते हैं और फिर दोबारा निवेश कर सकते हैं. इस प्रक्रिया को Gain Harvesting कहा जाता है.

सैलरी (CTC) के स्ट्रक्चर को ऑप्टिमाइज करें

आप अपने सैलरी पैकेज (CTC) के कुछ हिस्सों को टैक्स फ्री रीइंबर्समेंट में बदल सकते हैं. उदाहरण:

  • किताबें और पत्रिकाएं (Books & Periodicals)
  • प्रोफेशनल लर्निंग या कोर्स
  • ऑफिस मोबाइल और ब्रॉडबैंड
  • कंपनी की ओर से कार लीज
  • मील वाउचर

इन रीइंबर्समेंट्स का फायदा उठाने के लिए आपको बिल्स जमा करने होते हैं. कुछ कंपनियां पहले से ही इन्हें सैलरी से अलग दिखा देती हैं. यह तरीका बिना किसी निवेश के भी टैक्स बचाने का मौका देता है.

रेंट पर दी गई प्रॉपर्टी से भी टैक्स बचाया जा सकता है

नए टैक्स रिजीम में HRA और होम लोन ब्याज पर कटौती की सुविधा नहीं है, लेकिन अगर आपने घर खरीदकर किराए पर दे रखा है, तो स्थिति अलग है. ऐसी स्थिति में आप होम लोन का ब्याज रेंटल इनकम की सीमा तक टैक्स से घटा सकते हैं. उदाहरण के लिए, अगर आपको साल में 2 लाख रुपये का किराया मिलता है, तो आप उतने तक के होम लोन इंटरेस्ट को टैक्स डिडक्शन में दिखा सकते हैं. यह तरीका उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनके पास एक से ज्यादा संपत्तियां हैं.

ये भी पढ़ें- अपनी हेल्‍थ इंश्‍योरेंस कंपनी से हैं दुखी, 5 आसान स्‍टेप्‍स में पोर्ट करें अपनी पॉलिसी; नहीं होगा कोई नुकसान