RBI ने इन 3 बैंकों को घोषित किया सबसे सेफ, कभी नहीं डूबेगा पैसा, किसमें है आपका खाता

RBI ने SBI, HDFC Bank और ICICI Bank को फिर से D-SIBs घोषित किया है, क्योंकि ये बैंक वित्तीय सिस्टम के लिए बेहद अहम हैं. इन पर अतिरिक्त कैपिटल नियम लागू होंगे ताकि संकट की स्थिति में सिस्टम सुरक्षित रहे. यह जमाकर्ताओं के पैसे की सुरक्षा के लिहाज से भी महत्वपूर्ण कदम है.

सेफ बैंक Image Credit: canva

लोग बैंक में खाता इसलिए खोलते हैं ताकि पैसा सुरक्षित रहे और जमा रकम पर ब्याज भी मिलता रहे. एक बार बैंक में पैसा जमा करने के बाद अक्सर हम निश्चिंत हो जाते हैं कि हमारी बचत पूरी तरह सुरक्षित है लेकिन सच्चाई यह है कि किसी भी बैंक की वित्तीय स्थिति हमेशा एक जैसी नहीं रहती. अगर बैंक पर संकट आ जाए या वह दिवालिया होने की स्थिति में पहुंच जाए, तो जमाकर्ताओं का पैसा जोखिम में पड़ सकता है. अगर आपका State Bank of India (SBI), HDFC Bank और ICICI Bank में खाता है तो आपके लिए राहत भरी खबर है क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2025 में भी देश के इन तीन सबसे बड़े बैंकों को डोमेस्टिक सिस्टमिकली इम्पॉर्टेंट बैंक्स (D-SIBs) की श्रेणी में बनाए रखा है. आइये जानते हैं कि इसका क्या मतलब है.

क्या है इसका मतलब

इसका मतलब है कि तीनों बैंकों को सरकार और RBI डूबने नहीं देंगे. यानी ये बैंक देश के सबसे सेफ बैंक हैं. आरबीआई के मुताबिक, इन बैंकों को D-SIB घोषित किए जाने का अर्थ यह है कि भारतीय वित्तीय प्रणाली के लिए ये संस्थान बेहद अहम हैं. इन बैंकों में किसी भी तरह की बड़ी गड़बड़ी या संकट का असर पूरे बैंकिंग और वित्तीय सिस्टम पर पड़ सकता है. इसी वजह से आरबीआई इन बैंकों के लिए अतिरिक्त कैपिटल संबंधी नियम लागू करता है.

क्या हैं इसके नियम

आरबीआई ने बताया है कि इन D-SIB बैंकों पर कॉमन इक्विटी टियर-1 (CET1) कैपिटल की अतिरिक्त आवश्यकता लागू होगी, जो कैपिटल कंजर्वेशन बफर से अलग होगी. जोखिम-भारित परिसंपत्तियों (RWA) के प्रतिशत के रूप में यह अतिरिक्त CET1 आवश्यकता ICICI Bank के लिए 0.10%, HDFC Bank के लिए 0.40% और State Bank of India के लिए 0.80% तय की गई है. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि ये बैंक किसी भी फाइनेंशियल झटके को सहन करने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत बने रहें.

कब शुरु हुआ फ्रेमवर्क

आरबीआई ने डोमेस्टिक सिस्टमिकली इम्पॉर्टेंट बैंक्स से जुड़ा फ्रेमवर्क पहली बार 22 जुलाई 2014 को जारी किया था. इस ढांचे के तहत, केंद्रीय बैंक हर साल D-SIB के रूप में चिह्नित बैंकों के नाम सार्वजनिक करता है और उन्हें उनके सिस्टमिक इम्पोर्टेंस स्कोर (SIS) के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों या बकेट में रखता है. जिस बकेट में बैंक को रखा जाता है, उसी के अनुसार उस पर अतिरिक्त कैपिटल की शर्त लागू होती है.

आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि भारत में काम करने वाला कोई विदेशी बैंक वैश्विक स्तर पर ग्लोबल सिस्टमिकली इम्पॉर्टेंट बैंक (G-SIB) है, तो उसे भारत में भी अतिरिक्त CET1 कैपिटल रखना होगा. यह अतिरिक्त कैपिटसल उसकी भारतीय जोखिम-भारित परिसंपत्तियों के अनुपात में तय की जाती है, जैसा कि उसके होम रेगुलेटर द्वारा निर्धारित किया गया हो.

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