टैक्सपेयर्स को लगा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने आयकर विभाग से जारी 90,000 रीअसेसमेंट टैक्स नोटिस को ठहराया वैध
पुरानी कर व्यवस्था के तहत जारी किए 90,000 टैक्स रीअसेसमेंट नोटिसों को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बरकरार रखने का फैसला किया है. इस फैसले से उन टैक्सपेयर्स को झटका लगा है जिन्होंने नोटिस को चुनौती दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आयकर विभाग की ओर से पुरानी कर व्यवस्था के तहत जारी किए 90,000 टैक्स रीअसेसमेंट नोटिसों को बरकरार रखने का फैसला किया है. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने इन नोटिसों को वैध करार दिया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उन तमाम उच्च न्यायालयों के आदेशों को भी खारिज कर दिया, जो विभाग को पुरानी व्यवस्था के तहत कर नोटिस जारी करने से रोकते थे. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उन टैक्सपेयर्स को झटका लगा है जिन्होंने नोटिस को चुनौती दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला 1 अप्रैल से 30 जून 2021 के बीच टैक्स असेसमेंट ईयर 2013-14 से 2017-18 के लिए विभाग की ओर से जारी किए गए लगभग 90,000 टैक्स नोटिसों को लेकर दिया है. कोर्ट का कहना है कि आयकर विभाग को नोटिस जारी करने की अनुमति है. बता दें इन टैक्स नोटिसों को टैक्सपेयर्स ने चुनौती थी, उनकी दलील थी कि ये मामले नए टैक्स रिजीम के तहत आने चाहिए, जो कोविड महामारी के दौरान 1 अप्रैल 2021 को लागू हुई थीं.
क्या था मसला?
आयकर विभाग ने पुराने मामलों की जांच के लिए 1 अप्रैल से 30 जून के बीच करीब 1 लाख लोगों को नोटिस भेजे थे. इसके बाद मामलों की जांच से पता लगाया जाता कि टैक्सपेयर ने सही से टैक्स भरा है या नहीं, कहीं कोई जानकारी छुपाई तो नहीं है. मामले की पुष्टि होने पर विभाग आरोपी के खिलाफ र्कारवाई भी करता, लेकिन साल 2021-22 के बजट में सरकार ने घोषणा की थी कि 3 साल या इससे ज्यादा पुराने मामलों को नहीं खोला जा सकेगा. इससे बहुत से उन टैक्सपेयर्स को राहत मिलती, जिन्हें नोटिस मिला था. मगर सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले से ऐसे करदाताओं की उम्मीदों पर पानी फिर गया.
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